विश्व हिंदू परिषद (Vishwa Hindu Parishad) ने ईसाइयों को हिंदू धर्म में दोबारा धर्मांतरित करने के लिए एक समारोह आयोजित किया था. यह समारोह कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ में पंजा मंदिर में हुआ.
इस समारोह के दौरान पंजा गांव के कोरगा जनजाति (Koraga tribe) के सात परिवारों के 25 लोगों ने शनिवार को धार्मिक अनुष्ठान में हिस्सा लिया इसके बाद ईसाई धर्म से हिंदू धर्म में शामिल हो गए.
दरअसल, VHP के धर्म प्रसार समिति ने सात कोरगा आदिवासी परिवारों से संपर्क किया, जिन्होंने पहले ईसाई धर्म अपना लिया था. चर्चा के बाद इन परिवारों ने अपने मूल धर्म में वापस लौटने की इच्छा व्यक्त की.
विश्व हिंदू परिषद धर्म प्रसार विभाग ने पंजा मंदिर में समारोह की अगुवाई की थी. इस कार्यक्रम में गण यज्ञ हुआ. जिसमें स्थानीय हिंदू संगठन के नेताओं के साथ 25 लोगों ने हिस्सा लिया, जिनमें 15 पुरुष और 10 महिलाएं शामिल थीं.
इस दौरान इन लोगों ने हिंदू बने रहने और अपने शेष जीवन में हिंदू धर्म का पालन करने की शपथ भी ली.
धर्म प्रसार दक्षिण प्रांत प्रमुख सुनील केआर ने मीडिया को बताया, “परिवार की एक बुजुर्ग महिला ने बताया कि वे करीब 50 साल से यहां रह रहे हैं और कई साल पहले ईसाई धर्म अपना लिया था. वे घर पर ईसाई रीति-रिवाजों का पालन कर रहे थे. अब वे हमारे धर्म में वापस आ गए हैं.”
उनका कहना है कि इस क्षेत्र में ऐसे कई परिवार हैं जो कमज़ोरियों के कारण दूसरे धर्मों की ओर आकर्षित हुए हैं.
धर्म परिवर्तन करने वाले परिवारों को कपड़े, किराने का सामान, विभिन्न हिंदू देवताओं की तस्वीरें और अन्य घरेलू ज़रूरत की चीज़ें दी गईं. साथ ही उन्हें यह भी आश्वासन दिया गया कि उनकी सुरक्षा की नियमित रूप से निगरानी की जाएगी.
कोरगा जनजाति
कोरगा जनजाति को सरकार द्वारा विशेष रूप से कमज़ोर जनजाति यानि पीवीटीजी (PVTGs) में रखा गया है. इन्हें पीवीटीजी में रखने का एक कारण ये भी है की इनकी आबादी में पिछले कुछ दशकों से चिंताजनक गिरावट देखी गई है.
ये मुख्य रूप से कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़, उडुपी जिले और केरल के कासरगोड जिले में रहते हैं.
2011 की जनगणना के मुताबिक, कर्नाटक में 14 हज़ार 794 और केरल में 1582 कोरगा आदिवासी रहते हैं.
कोरगा आदिवासियों की अपनी भाषा हुआ करती थी. लेकिन समय के साथ वह अपनी भाषा भूल गए हैं. अब वह शिक्षा और बोली में कन्नड़ भाषा का मुख्य रूप से उपयोग करते हैं.
कुपोषण, उच्च मृत्यु दर, निरक्षरता और अन्य समस्याओं के खिलाफ कोरगा आदिवासी आज भी संघंर्ष कर रहे हैं.
(Image credit: Deccan Chronicle)