रिबिल्ड केरल इनिशिएटिव (Rebuild Kerala Initiative) के तहत वन-सीमांत क्षेत्रों में गैर-आदिवासी कॉलोनियों के स्वैच्छिक स्थानांतरण को लागू करने के लिए वन विभाग के अधिकारियों के लिए एक ट्रेनिंग कार्यक्रम ने इडुक्की में एक विवाद को जन्म दे दिया है.
इस कदम से यह आरोप लगाया गया है कि वन विभाग की योजना मंकुलम (Mankulam) के सभी निवासियों को जंगलों की सीमा से लगी पंचायत से बेदखल करने और इसे एक प्राकृतिक जंगल में बदलने की है.
हालांकि, वन विभाग ने स्पष्ट किया कि यह 2019 में राज्य सरकार द्वारा घोषित एक परियोजना थी. जो जंगली जानवरों के हमलों और भूस्खलन के खतरों का सामना कर रहे लोगों को जंगल से स्थानांतरित करने के लिए थी.
पिछले हफ्ते, अधिकारियों ने इडुक्की में आरकेआई कार्यक्रम के बारे में वन अधिकारियों के लिए एक ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित किया था. मंकुलम और मुन्नार वन प्रभागों के अधिकारी और मनकुलम और चिन्नाक्कनल पंचायतों के जनप्रतिनिधि कार्यक्रम में शामिल हुए थे.
मंकुलम प्रखंड मंडल के सदस्य प्रवीण जोस ने आरोप लगाया कि वन विभाग परियोजना के तहत मनकुलम पंचायत को वनभूमि बनाने की योजना बना रहा है.
जोस ने आशंका व्यक्त की कि परिवारों को गांव से बाहर जाने के लिए मजबूर किया जाएगा और कहा, “गांव में कुल जनसंख्या 2,350 परिवारों से संबंधित 8,780 लोगों के होने का अनुमान है. हालांकि, स्थायी निवासियों की संख्या 6,000 से कम है. कुल आबादी में से 22 प्रतिशत आदिवासी हैं.”
संपर्क करने पर आरकेआई कार्यान्वयन समिति राज्य स्तरीय उप संरक्षक सबी वर्गीज ने कहा कि सिर्फ जो लोग स्थानांतरित करने के इच्छुक थे उन्हें परियोजना में शामिल किया जाएगा.
वर्गीज ने कहा, “विशेष योजना के अनुसार, टाइटल डीड के साथ 2 हेक्टेयर तक की जमीन के मालिक को 15 लाख रुपये मिलेंगे. 18 वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक अविवाहित वयस्क को भी 15 लाख मिलेंगे, जबकि परिवार के प्रत्येक विकलांग सदस्य को अतिरिक्त 15 लाख मिलेंगे, चाहे उसकी उम्र कुछ भी हो.”
वर्गीज ने आगे कहा कि परियोजना मुख्य रूप से उन लोगों के लिए लक्षित है जो वन सीमावर्ती क्षेत्रों में छोटे जोत के साथ रहते हैं.
अधिकारियों के अनुसार, राज्य सरकार पहले ही राज्य में परियोजना के लिए 800 करोड़ रुपये आवंटित कर चुकी है. एक वरिष्ठ वन अधिकारी ने कहा, “वर्तमान में राज्य भर में 200 परिवार परियोजना में शामिल हो गए हैं और जंगल के किनारे से स्थानांतरित हो गए हैं. राज्य सरकार पहले ही आरकेआई परियोजना के तहत 40 करोड़ वितरित कर चुकी है. अधिकांश लोग विशेष परियोजना से अनजान हैं.”
इस बीच मनकुलम पंचायत के उपाध्यक्ष बिबिन जोसेफ ने कहा कि बैठक में विभाग इस बात पर सहमत हुआ कि किसी को भी उनकी जमीन से जबरन बेदखल नहीं किया जाएगा.
मंकुलम संभागीय वनाधिकारी जी. जयचंद्रन ने बताया कि परियोजना के तहत एक भी आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है. उन्होंने कहा, “यह उन लोगों की मदद करने के लिए एक विशेष परियोजना है जो जंगली जानवरों के खतरे का सामना कर रहे हैं. मंकुलम को वनभूमि बनाने की कोई पहल नहीं है.”
वन अधिकारियों के अनुसार, मनकुलम एक जंगल से आच्छादित पंचायत है और अधिकांश सीमावर्ती क्षेत्रों में मानव-पशु संघर्ष का गंभीर खतरा है.
(प्रतिकात्मक तस्वीर)