HomeAdivasi Dailyपश्चिम बंगाल के 15 जिलों में 3 दिवसीय आदिवासी मेले का आयोजन

पश्चिम बंगाल के 15 जिलों में 3 दिवसीय आदिवासी मेले का आयोजन

सूत्रों का कहना है कि तृणमूल पार्टी पंचायत चुनावों से पहले आदिवासियों के वोटों को लेकर चिंतित है क्योंकि जमीनी रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि चीजें सत्तारूढ़ दल के पक्ष में नहीं हैं.

ममता बनर्जी सरकार पंचायत चुनाव से पहले आदिवासियों को लुभाने के प्रयास में लगी है. इसी कड़ी में राज्य सरकार 28 जनवरी से 30 जनवरी तक बंगाल के 15 जिलों के 102 ब्लॉकों में आदिवासी लोगों के लिए तीन दिवसीय मेले का आयोजन करेगी.

यह पहली बार है कि सरकार विशेष रूप से जनजातीय समुदाय के लिए जय जोहार मेले का आयोजन कर रही है. मेले का आयोजन उत्तर और दक्षिण बंगाल दोनों में 15 जिलों में फैले 102 ब्लॉक में किया जाएगा जहां बड़ी संख्या में आदिवासी आबादी है.

102 ब्लॉक दक्षिण बंगाल में बांकुरा, झारग्राम, पश्चिम मिदनापुर, पूर्वी बर्दवान और बीरभूम जैसे 15 जिलों और उत्तर बंगाल में अलीपुरद्वार, दार्जिलिंग और दक्षिण दिनाजपुर में हैं. ज्यादातर ब्लॉक में जहां मेले आयोजित किए जाएंगे, वहां जनजातीय आबादी कुल आबादी का 10 से 47 प्रतिशत के बीच है.

सूत्रों के मुताबिक जय जोहार मेला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दिमाग की उपज है, जिन्होंने हाल ही में अलीपुरद्वार का दौरा किया.

इससे पहले पिछले साल नवंबर में अपनी झाड़ग्राम यात्रा के दौरान उन्होंने आदिवासी घरों का दौरा किया और उनके जीवन और आजीविका के मुद्दों का प्रत्यक्ष अनुभव किया था.

सूत्रों ने कहा कि तृणमूल पार्टी पंचायत चुनावों से पहले आदिवासियों के वोटों को लेकर चिंतित है क्योंकि जमीनी रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि चीजें सत्तारूढ़ दल के पक्ष में नहीं हैं.

कलकत्ता में तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “हालांकि हमारी पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनावों की तुलना में 2021 के विधानसभा चुनावों में जंगल महल के आदिवासी बेल्ट में अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन बीजेपी की इस क्षेत्र में काफी पहुंच है. उत्तर बंगाल में सीटों के मामले में भी भाजपा की उपस्थिति बहुत महत्वपूर्ण है.”

उन्होंने कहा, “जय जोहार मेला इस साल पहली बार आयोजित किया जा रहा है लेकिन यह आने वाले वर्षों में भी जारी रहेगा.”

आदिवासी विकास विभाग द्वारा जारी एक आदेश में जिला अधिकारियों को बेहतर आजीविका के लिए पशुपालन को प्रोत्साहित करने के लिए हर एक ब्लॉक में कम से कम 100 परिवारों के बीच चूजों, सूअर के बच्चे और बकरियों जैसे पशुओं का वितरण सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है. इसके अलावा मेला स्थलों पर एसटी प्रमाण पत्र, छात्रवृत्ति, कृषि उपकरण और छात्रों के लिए साइकिलें वितरित की जाएंगी.

एक अधिकारी ने कहा, “मेला में आदिवासी लोगों के साथ-साथ अन्य लोगों के लिए लागू होने वाली कई सरकारी योजनाओं को भी बढ़ावा देंगे. तीन दिनों में खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे.”

(Representational image, Credit: Shutterstock)

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