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मणिपुर में AFSPA कानून 6 महीने के लिए बढ़ाया गया

AFSPA एक ऐसा कानून है, जिसे 'अशांत इलाकों' यानी 'डिस्टर्ब एरिया' में लागू किया जाता है. 11 सितंबर 1958 को ये कानून बना था. इसे सबसे पहले पूर्वोत्तर के राज्यों में लागू किया गया था. 90 के दशक में जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ा तो यहां भी ये कानून लागू कर दिया गया.

मणिपुर (Manipur) में पांच महीने पहले शुरू हुई हिंसा का असर अब भी दिख रहा है. जिसके चलते राज्य में इंटरनेट सेवा और स्कूल बंद कर दिया गया है. तनाव को देखते हुए इंफाल ईस्ट और इंफाल वेस्ट में कर्फ्यू लगाया गया है.

हालात बिगड़ता देख मणिपुर के पहाड़ी इलाकों को फिर से सख्त सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम यानि AFSPA के तहत रखा गया है. जबकि घाटी के 19 थानों को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है. एक अधिसूचना में इसकी जानकारी दी गई है.

बुधवार को जारी एक अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘मणिपुर के राज्यपाल ने 19 थाना क्षेत्रों में आने वाले इलाकों को छोड़कर, पूरे मणिपुर राज्य को छह महीने की अवधि के लिये ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है.’’

इसमें कहा गया है कि प्रदेश में इस कानून को एक बार फिर 6 महीने के लिये बढ़ा दिया गया है जो 1 अक्टूबर 2023 से प्रभावी होगा.

जिन थाना क्षेत्रों में यह कानून लागू नहीं किया गया है, उनमें इंफाल, लांफेल, सिटी, सिंगजामेई, सेकमाई, लैमसांग, पास्टोल, वांगोई, पोरोम्पैट, हेंगांग, लामलाई, इरिबुंग, लीमाखोंग, थौबल, बिष्णुपुर, नंबोल, मोइरंग, काकचिन और जिरबाम शामिल हैं.

मणिपुर में 30 सितंबर को AFSPA की अवधि खत्म हो रही थी. लेकिन इसे फिर छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है. अब यहां 31 मार्च तक ये कानून लागू रहेगा.

AFSPA क्या होता है?

AFSPA एक ऐसा कानून है, जिसे ‘अशांत इलाकों’ यानी ‘डिस्टर्ब एरिया’ में लागू किया जाता है. 11 सितंबर 1958 को ये कानून बना था. इसे सबसे पहले पूर्वोत्तर के राज्यों में लागू किया गया था. 90 के दशक में जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ा तो यहां भी ये कानून लागू कर दिया गया.

अफस्पा से सुरक्षाबलों को असीमित अधिकार मिल जाते हैं. सुरक्षाबल बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं, बल प्रयोग कर सकते हैं या फिर गोली तक मार सकते हैं.

हालांकि, बल प्रयोग करने और गोली चलाने से पहले चेतावनी देनी जरूरी होती है. सुरक्षाबल चाहें तो किसी को भी रोककर उसकी तलाशी ले सकते हैं.

इस कानून के तहत, सुरक्षाबलों को किसी के भी घर या परिसर की तलाशी लेने का अधिकार मिल जाता है. अगर सुरक्षाबलों को लगता है कि उग्रवादी या उपद्रवी किसी घर या बिल्डिंग में छिपे हैं, तो वो उसे ध्वस्त भी कर सकते हैं.

इस कानून में सबसे बड़ी बात ये है कि जब तक केंद्र सरकार मंजूरी न दे, तब तक सुरक्षाबलों के खिलाफ कोई मुकदमा या कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती.

अफस्पा को असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नगालैंड, पंजाब, चंडीगढ़ और जम्मू-कश्मीर समेत कई हिस्सों में लागू किया गया था. हालांकि, बाद में समय-समय पर कई इलाकों से इसे हटा भी दिया गया.

फिलहाल ये कानून जम्मू-कश्मीर, नागालैंड, मणिपुर, असम और अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में लागू है. त्रिपुरा, मिजोरम और मेघालय से इसे हटा दिया गया है.

मणिपुर में फिर भड़की हिंसा

राज्य में ताजा हिंसा उस समय शुरू हुई जब जुलाई से लापता दो युवकों के शवों की तस्वीरें सोमवार (25 सितंबर) को सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी. इसके बाद यहां प्रदर्शन शुरू हो गए.

विरोध की आग सबसे पहले इंफाल में धधकी. सिंग्जेई की सड़कों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हुई. गाड़ियों में आग लगा दी गई. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. विरोध प्रदर्शन बुधवार (27 सितंबर) को भी जारी रहा. इस दौरान कई प्रदर्शनकारी और सुरक्षाबलों के जवान घायल हो गए.

प्रदर्शनकारियों के घायल होने को लेकर मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा, ‘‘अगर सुरक्षा बलों ने गोलियां या कुछ भी घातक हथियार इस्तेमाल किए हैं तो सरकार इसे बर्दाश्त नहीं करेगी और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. गंभीर चोटों के मामले में जांच की जाएगी और उन्हें न्याय दिलाया जाएगा.’’

वहीं मणिपुर पुलिस ने रात के करीब साढ़े 9 बजे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, ”भीड़ ने एक नेता के घर पर हमला करने की कोशिश की. इसे नियंत्रित करने के लिए सुरक्षाबलों ने आंसू गैस के गोले छोड़े और भीड़ को खदेड़ दिया. बेकाबू भीड़ ने पुलिस की एक जिप्सी को निशाना बनाकर उसे जला दिया.”

पुलिस ने कहा, ”एक पुलिसकर्मी के साथ मारपीट भी की और उसका हथियार छीन लिया. मणिपुर पुलिस इस तरह की कार्रवाई की निंदा करती है और ऐसे उपद्रवियों से निपटने के लिए सख्त कदम उठाएगी. हथियारों की बरामदगी और बदमाशों की धरपकड़ के लिए कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाया जा रहा है.”

इस बीच सीएम बीरेन सिंह सरकार ने भी लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की और मामले को सीबीआई को सौंप दिया. मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई के विशेष निदेशक अजय भटनागर के नेतृत्व में एजेंसी के अधिकारियों की एक टीम पहुंच गई है. इस टीम ने लापता हुए दो युवकों की हत्या मामले की जांच शुरू कर दी है.

उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें आश्वासन दिया कि दोनों युवकों का अपहरण और हत्या करने वालों को गिरफ्तार किया जाएगा और सजा दी जाएगी.

न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अमित शाह ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से फोन पर बात भी की.

स्कूल और इंटरनेट बंद

मणिपुर में इंटरनेट पर 1 अक्टूबर को रात सात बजकर 45 मिनट तक प्रतिबंध लगाया गया है. राज्य में 3 मई को भड़की हिंसा के बाद इंटरनेट पर पाबंदी लगायी गयी थी और चार महीने से अधिक समय बाद हाल ही में इसे हटाया गया था.

राज्य सरकार ने कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए सभी स्कूलों में 27 और 29 सितंबर को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है. 28 सितंबर को ईद-ए-मिलाद के अवसर पर राज्य में सार्वजनिक छुट्टी है.

कांग्रेस ने बीजेपी पर साधा निशाना

ताजा हिंसा को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर निशाना साधा है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि राज्य के अक्षम मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को बर्खास्त किया जाना चाहिए. उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘147 दिनों से मणिपुर के लोग परेशान हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के पास राज्य का दौरा करने का समय नहीं है. इस हिंसा में छात्रों को निशाना बनाए जाने की भयावह तस्वीरों ने एक बार फिर पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. अब यह स्पष्ट है कि इस संघर्ष में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा को हथियार बनाया गया.”

वहीं कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा कि पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प इंफाल के सिंग्जमेई इलाके में हुई. पीएम ने मणिपुर को पीठ दिखा दिया है इसकी हम निंदा करते हैं.

उन्होंने आगे कहा कि बीते पांच महीने से जारी हिंसा के बावजूद पीएम मोदी मणिपुर नहीं गए. शायद उनके लिए मणिपुर है ही नहीं. गृहमंत्री ने कहा था कि वो बार-बार मणिपुर जाएंगे लेकिन वो ऐसा नहीं कर रहे. पीएम मोदी ने क्या मणिपुर के सीएम से बात की?

वहीं मणिपुर हिंसा को लेकर हो रही आलोचनाओं के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि मणिपुर में पर्याप्त कानून-व्यवस्था लागू है और राज्य और केंद्र सरकार ऐसा रास्ता खोजने का प्रयास कर रही हैं जिससे कि हालात पटरी पर लौटें.

(Image credit: PTI)

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