HomeAdivasi Dailyआंध्र प्रदेश: आदिवासी चलाएंगे पनबिजली परियोजना

आंध्र प्रदेश: आदिवासी चलाएंगे पनबिजली परियोजना

परियोजना को चार आदिवासी बस्तियों को सौंप दिया जाएगा. आदिवासियों को बिजली परियोजना के संचालन का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.

आंध्र प्रदेश के आदिम जाति कल्याण विभाग के निदेशक वीसी वीरभद्रुडु ने कहा है कि राज्य सरकार जल्द ही रामपचोडावरम एजेंसी में चार आदिवासी बस्तियों को 1.2 मेगावाट की मिनी पनबिजली परियोजना सौंप देगी.

राज्य सरकार ने हाल ही में पूर्वी गोदावरी एजेंसी के अद्दतीगला मंडल के भीमुडु पकाला पंचायत में आदिवासी बस्तियों के एक समूह के लाभ के लिए 6 करोड़ रुपए की लागत से बनाई गई जल विद्युत परियोजना को चालू किया था.

मंगलवार को वीरभद्रुडु और रामपचोडावरम एकीकृत आदिवासी विकास एजेंसी परियोजना अधिकारी सी.वी. प्रवीण आदित्य ने भीमुडु पकालू, चिन्ना अड़तीगलु, कोथापकालु और पिंजारी कोंडा के आदिवासी लोगों के साथ जलविद्युत परियोजना का निरीक्षण किया.

एपी पावर जनरेशन कॉरपोरेशन एक साल के लिए जलविद्युत परियोजना की निगरानी करेगा. बाद में, परियोजना को चार आदिवासी बस्तियों को सौंप दिया जाएगा. आदिवासियों को बिजली परियोजना के संचालन का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.

इसके अलावा राज्य सरकार एजेंसी इलाकों में दूसरी कई मिनी जलविद्युत परियोजनाएं स्थापित करने की तैयारी कर रही है.

कोटिया ग्राम पंचायत में जलविद्युत परियोजना

राज्य सरकार ने कोरापुट जिले के पोट्टांगी ब्लॉक के तहत आने वाली कोटिया ग्राम पंचायत में नेराडीवलसा की सीमा से लगे एक और पनबिजली परियोजना के लिए जमीन पर काम शुरू कर दिया है.

पंचायत में गंजईपदार नदी पर मजदूर और मशीनें लगाई गई हैं, और वहां रिसाव परीक्षण शुरू कर दिया गया है.

हाइड्रोपावर प्लांट

बिजली बनाने के दूसरे विकल्पों की तुलना में हाइड्रोपावर प्लांट को चलाने में सबसे कम खर्च आता है. इसका दूसरा फायदा यह है कि हाइड्रोपावर प्लांट लंबे समय तक चलता है.

इनका रखरखाव सस्ता होता है, और समय-समय पर इलेक्ट्रोमैकेनिकल उपकरणों को बदलकर प्लांट के जीवन को आर्थिक रूप से और बढ़ाया जा सकता है. आम तौर पर एक ऐसा हाइड्रो प्लांट, जो 40-50 सालों से सेवा में है, के जीवन काल को दोगुना किया जा सकता है.

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