महाराष्ट्र के पालघर में एक आदिवासी कालू पवार को बँधुआ मज़दूर बना कर उसे आत्महत्या करने को मजबूर करने वाले को आख़िर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. मोखादा तालुका में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के उपाध्यक्ष रामदास कोर्डे को रविवार को गिरफ़्तार किया गया.
अपने 13 वर्षीय बेटे के अंतिम संस्कार के लिए कालू पवार ने कोर्डे से 500 रूपये उधार लिए थे. इसके बदले में कोर्डे कालू पवार से अपने खेतों में महीनों से काम करवा रहा था. इस काम के बदले में कालू पवार को कोई पैसा नहीं दिया जा रहा था.
कालू पवार ने तंग हो कर आख़िर में ख़ुद को फाँसी लगा ली. पुलिस ने कोर्डे के खिलाफ बंधुआ मजदूरी प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम, 1976 के तहत मामला दर्ज किया है.
मोखाड़ा थाना प्रभारी सतीश गवई ने कहा, ‘हमने उसे रविवार को गिरफ्तार किया था. उसके खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद कोर्डे अंडरग्राउंड हो गए. हमने शुरू में उसे गिरफ्तार करने के लिए दो टीमों का गठन किया, हमें पता चला कि वह अपने रिश्तेदारों के घर जवाहर में छिपा है. लेकिन वह वहां नहीं था.
“इसके बाद नासिक में एक और पुलिस टीम भेजी थी क्योंकि हमें उसके वहां छिपे होने का संदेह था लेकिन हमारे प्रयासों का कोई नतीजा नहीं निकला. इस बीच, “वह रविवार को आत्मसमर्पण करने के लिए पुलिस थाने जा रहा था, तभी पुलिस टीम ने उसे बीच में ही दबोच लिया.”
रिमांड पर सुनवाई के लिए सोमवार को उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा. अभी तक, हम उनसे पूछताछ नहीं कर पाए हैं क्योंकि पवार के परिवार से मिलने के लिए असेगांव में एक राजनेता का दौरा तय था.
पुलिस ने शुरू में एक आकस्मिक मौत की रिपोर्ट (एडीआर) दर्ज की थी. लेकिन एक सामाजिक कार्यकर्ता के हस्तक्षेप के बाद पुलिस को 4 अगस्त को पवार के शव को निकालने और पोस्टमार्टम के लिए मुंबई के जे जे अस्पताल भेजना पड़ा.
सावित्रा ने अपनी पुलिस शिकायत में कहा कि कोर्डे पिछले साल नवंबर से उसके पति को परेशान कर रही थे. पवार ने अपने बेटे दत्तू के अंतिम संस्कार के लिए पैसे उधार लिए थे. उनके बेटे का शव दिवाली की पूर्व संध्या पर रहस्यमय परिस्थितियों में मिला था.
सावित्रा ने अपनी शिकायत में कहा कि पवार को पैसे देने पर सहमति जताते हुए कोर्डे ने उन्हें अपने खेत में काम करने और मवेशियों को चराने के लिए ले जाने का निर्देश दिया.
“दत्तू का अंतिम संस्कार करने के बाद, मेरे पति ने कोर्डे के खेत में काम करना शुरू कर दिया.
लेकिन इस काम का कोई दैनिक वेतन तय नहीं किया गया था. कालू पवार को दिन भर काम करने के बदले दो वक़्त की रोटी दी जाती थी.
लेकिन जब कालू पवार ने मज़दूरी की बात की तो रामदास ने उन्हें धमकाना शुरू कर दिया.
रामदास अंबु कोर्डे भी आदिवासी समुदाय से ही हैं.