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आदिवासी ‘दंडवत प्ररिक्रमा’ मामले में NCST ने जांच के आदेश दिए, बंगाल पुलिस को नोटिस जारी

एनसीएसटी ने कहा कि अगर पश्चिम बंगाल पुलिस प्रमुख निर्धारित समय में जवाब देने में नाकाम रहे, तो वह व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए समन जारी करेगा.

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes) ने पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के कुछ नेताओं द्वारा आदिवासी महिलाओं को ‘‘दंडवत परिक्रमा’’ करने के लिए मजबूर करने के आरोपों की जांच शुरू कर दी है.

टीएमसी नेताओं पर आरोप है कि उन्होंने आदिवासी महिलाओं से बीजेपी में शामिल होने की सजा के रूप में ‘‘दंडवत परिक्रमा’’ करवाई.

एनसीएसटी ने पश्चिम बंगाल पुलिस महानिदेशक को एक नोटिस जारी कर मामले से जुड़े तथ्यों और अभी तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और लोकसभा सांसद सुकांत मजूमदार ने हाल ही में इस घटना को आयोग के संज्ञान में लाया था और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की थी.

एनसीएसटी ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के पुलिस प्रमुख मनोज मालवीय को नोटिस भेजा। नोटिस में कहा गया है कि आयोग ने मामले की जांच करने का फैसला किया है और वह (मालवीय) ‘‘तीन दिन’’ के भीतर आरोपों पर की गई कार्रवाई पर तथ्यों की जानकारी’’ दें।

एनसीएसटी ने कहा कि अगर पश्चिम बंगाल पुलिस प्रमुख निर्धारित समय में जवाब देने में नाकाम रहे, तो वह व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए समन जारी करेगा.

मजूमदार ने आरोप लगाया कि उनके बालुरघाट लोकसभा क्षेत्र में आदिवासी परिवारों के करीब 200 लोग छह अप्रैल को भाजपा में शामिल हुए थे, जो तृणमूल नेतृत्व के एक वर्ग को नागवारा गुजरा.

उन्होंने दावा किया कि तृणमूल के ‘‘गुंडों’’ ने उन परिवारों पर दबाव डाला और उनमें से कुछ को तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के लिए मजबूर किया.

मजूमदार ने आरोप लगाया कि ‘‘अमानवीय मध्ययुगीन काल की निरंकुशता’’ का एक उदाहरण पेश करते हुए गरीब आदिवासी महिलाओं को भाजपा में शामिल होने की सजा के रूप में करीब एक किलोमीटर तक ‘‘दंडवत परिक्रमा’’ करने के लिए मजबूर किया गया.

उन्होंने कहा कि ‘‘दंडवत परिक्रमा’’ के बाद इन आदिवासी महिलाओं को जिला पार्टी कार्यालय में तृणमूल का झंडा दिया गया.

कथित घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है.

सुकांत मजूमदार ने कहा कि तृणमलू के नेताओं ने पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ भी आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. खासकर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दलितों के उत्थान के लिए इतना कुछ कर रहे हैं और देश की राष्ट्रपति आदिवासी समुदाय से जुड़ी एक महिला हैं.

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