गुजरात के डेडियापाड़ा से आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक चैतर वसावा (Chaitar Vasava) ने बुधवार को कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को पत्र लिखकर एकलव्य मॉडल स्कूलों (Eklavya Model schools) में पढ़ने वाले आदिवासी छात्रों के सामने आने वाली “चुनौतियों” की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया है.
वसावा का कहना है कि राज्य के बाहर से करीब 500 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है, जो गुजराती भाषा नहीं जानते हैं.
छोटा उदेपुर, नर्मदा, भरूच और पंचमहल के आदिवासी जिलों का दौरा कर रहे वसावा ने बुधवार को कहा कि आदिवासी छात्रों के लिए राष्ट्रीय शिक्षा सोसायटी (NESTS) द्वारा शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति ने “समस्याएं पैदा की हैं” क्योंकि नए शिक्षक गुजराती में बातचीत नहीं कर सकते.
गोधरा में मीडिया से बातचीत के दौरान वसावा ने कहा कि देशभर में प्रिंसिपल, अकाउंटेंट और लैब असिस्टेंट समेत 4,062 नियुक्तियां की गई हैं. इनमें से करीब 500 नियुक्तियां गुजरात में की गई हैं. लेकिन प्रशासनिक कमी के कारण बिना सोचे-समझे लिए गए फैसले से इन स्कूलों में पढ़ने वाले (आदिवासी) छात्रों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ा है.
उन्होंने आगे कहा कि अंग्रेजी माध्यम वाले सीबीएसई एकलव्य स्कूलों में भी बिना सोचे-समझे नियुक्तियां की गई हैं. आदिवासी छात्रों को अंग्रेजी में शिक्षा की जरूरत है लेकिन गुजराती माध्यम के स्कूलों को एक बार में अंग्रेजी में बदलने से छात्रों को परेशानी हुई है.
विधायक ने कहा कि राज्य सरकार ने शिक्षा के माध्यम में बदलाव करने से पहले एकलव्य मॉडल स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के “माता-पिता की राय नहीं ली”.
उन्होंने कहा, “गुजरात के बाहर से इन स्कूलों में नियुक्त किए गए शिक्षक छात्रों, उनकी संस्कृति, उनकी मातृभाषा गुजराती या इन छात्रों के सामने आने वाली बाधाओं से परिचित नहीं हैं. इसलिए छात्र हताश हैं क्योंकि वे अपनी परेशानियों को बताने के लिए शिक्षकों से संवाद करने में असमर्थ हैं.”
वसावा ने छोटा उदेपुर के दौरे के दौरान पुनियावंत एकलव्य मॉडल स्कूल के छात्रों से भी मुलाकात की. जहां रविवार को फूड प्वाइजनिंग के कारण करीब 116 छात्र बीमार पड़ गए थे.
उन्होंने आरोप लगाया कि दौरे के बाद उन्हें आदिवासी छात्रों को दिए जा रहे भोजन में गंभीर कमियां देखने को मिलीं.
उन्होंने आरोप लगाया, “मुझे यह जानकर हैरानी हुई कि रसोई में आग से सुरक्षा के कोई उपाय नहीं हैं. एकलव्य मॉडल स्कूल का कैंटीन ठेकेदार मेहसाणा से है और 15 दिन में एक बार सब्जियों सहित कच्चे माल के साथ एक टेम्पो भेजता है. बच्चों को बासी खाना परोसा जाता है और यही कारण है कि वे बीमार पड़ रहे हैं.”