सामाजिक न्याय और अधिकारिता स्थायी समिति (Parliamentary Standing Committee on Social Justice and Empowerment) ने जनजातीय मामलों के मंत्रालय से कहा है कि सभी पीवीटीजी समूहों को जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाने चाहिएं. इसके लिए मंत्रालय को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एक विशेष अभियान चलाने के निर्देश जारी करने के लिए कहा गया है.
समिति ने इस बात पर हैरानी जताई कि कई पीवीटीजी लोगों के पास जाति प्रमाण पत्र नहीं है. इसके बिना वे केंद्र और राज्य सरकारों की अलग-अलग कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा सकते.
2021-22 के लिए जनजातीय मामलों के मंत्रालय की अनुदान मांगों (Demand for Grants) पर अपनी रिपोर्ट में संसदीय स्थायी समिति ने कहा कि पीवीटीजी समुदायों के संरक्षण और विकास के लिए यह योजनाएं बेहद ज़रूरी हैं.
अपनी रिपोर्ट में समिति ने पाया है कि 2018-19 और 2019-20 में बिहार, केरल, उत्तर प्रदेश और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को मंत्रालय द्वारा कोई धनराशि जारी नहीं की गई थी. मंत्रालय ने राज्यों द्वारा इस योजना के तहत दी गई पिछली धनराशि का उपयोग प्रमाणपत्र (Utilisation Certificate) और परियोजना प्रगति रिपोर्ट (Project progress report) न दिए जाने को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया.
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मंत्रालय को राज्य सरकारों और ग़ैर-सरकारी संगठनों और स्वैच्छिक संगठनों की मदद करनी चाहिए ताकि वो Utilisation Certificate और Project progress Report समय से बना सकें, और अनुदानों का उचित उपयोग हो सके.
रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि पीवीटीजी समुदायों के बीच फॉरेस्ट राइट्स एक्ट (Forest Rights Act), सरकारी योजनाओं, कार्यक्रमों और अन्य बुनियादी सामाजिक अधिकारों के बारे में जानकारी की कमी है.
इसके अलावा पीवीटीजी समुदायों के बीच तपेदिक (tuberculosis), टाइफ़ाइड, पीलिया (jaundice), मलेरिया और सिकल सेल एनीमिया (sickle cell anaemia) जैसी बीमारियों के बारे में जागरुकता की कमी है, जिसका असर उनकी लाइफ़ एक्स्पेक्टेंसी (life expectancy) पर पड़ता है.
रिपोर्ट में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं, और प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों तक इन समुदायों की पहुंच पर भी चिंता जताई गई है.
समिति ने मंत्रालय से कहा है कि इन सभी मुद्दों पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का फीडबैक लिया जाए, और उसके आधार पर नए दिशानिर्देश जारी किए जाएं.
पैनल ने यह भी कहा कि अब जब कोविड महामारी नियंत्रण में है, मंत्रालय को पीवीटीजी समुदायों के लिए योजनाएं लागू करने पर ज़्यादा ज़ोर दिना चाहिए. ऐसा नहीं करने पर यह आदिवासी समुदाय ग़रीबी और अलगाव में और गहरे डूब जाएंगे.