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आदिवासी आदमी की रूस में मौत, अब परिवार शरीर को वापस लाने के लिए दर-दर भटक रहा है

जस्टिस दिनेश मेहता ने यह निर्देश एक आदिवासी महिला आशा देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए, जो रूस से अपने पति हितेंद्र गरासिया के पार्थिव शरीर को घर लाने की कोशिश कर रही है.

राजस्थान हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से रूस से एक आदिवासी व्यक्ति के पार्थिव शरीर को जल्द से जल्द लाने के लिए सभी जरूरी उपाय करने को कहा है.

कोर्ट ने ASG से इस मामले को विदेश मंत्रालय के समक्ष उठाने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी.

जस्टिस दिनेश मेहता ने यह निर्देश एक आदिवासी महिला आशा देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए, जो रूस से अपने पति हितेंद्र गरासिया के पार्थिव शरीर को घर लाने की कोशिश कर रही है.

सामाजिक कार्यकर्ता चर्मेश शर्मा, जो आशा देवी को मदद कर रहे हैं, ने कहा कि उदयपुर में खेरवाड़ा तहसील के गोडवा गांव का निवासी गरासिया अप्रैल 2021 में एक साल के वर्क वीजा पर रूस गया था. उसे मॉस्को में एक पार्क में मृत पाया गया था.

मॉस्को पुलिस ने आकस्मिक मौत कहकर मामले को बंद कर दिया, और परिवार को स्थानीय पुलिस के माध्यम से 28 अगस्त, 2021 को यह जानकारी मिली.

तब से परिवार गरासिया के पार्थिव शरीर को पाने के लिए दर-दर भटक रहा है ताकि उसका अंतिम संस्कार किया जा सके.

शर्मा ने यह भी बताया है की रूसी सरकार के मुताबिक गरासिया के शरीर को भारत नहीं भेजा जा सकता. उनका कहना है कि रूसी अधिकारियों द्वारा गरासिया को दफना दिया जाएगा अगर परिवार के सदस्य उसे लेने के लिए रूस नहीं आए.

हालांकि, इसके बाद रूस को सरकार ने कहा कि इस मामले में जो कुछ भी करना है, वह रूस में भारतीय दूतावास द्वारा किया जाना है ताकि गरासिया के शरीर को भारत वापस लाया का सके.

इसी के बाद परिवार ने हाई कोर्ट का रुख किया.

याचिकाकर्ता के वकील सुनील पुरोहित के मुताबिक मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने एएसजी को सभी संबंधितों को संवेदनशील होकर जरूरी कार्रवाई करने को कहा है ताकि याचिकाकर्ता अपने रीति-रिवाजों के अनुसार गरासिया का अंतिम संस्कार कर सकें.

(तस्वीर प्रतीकात्मक है.)

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