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दूरदराज के आदिवासी गांव को एनजीओ की मदद से मिल रहा है पानी

एनजीओ ने जलधारा महिला पानी वयवस्थापन समिति, वडमल (बी) संगठन बनाने के लिए महिलाओं को एक साथ लाया. स्थानीय महिलाओं का यह संगठन गांव के 125 घरों, दो स्कूलों और आंगनबाडी में से प्रत्येक को पेयजल आपूर्ति प्रणाली के रखरखाव को सुनिश्चित करेगा.

नासिक स्थित एक गैर सरकारी संगठन, महाराष्ट्र प्रबोधन सेवा मंडल (MPSM) ने जिले के आदिवासी बहुल सुरगना तालुका के एक दूरदराज के गांव वडमल (बी) में हर घर में पीने का पानी पहुंचाने में मदद की है.

ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के लिए काम करने वाले महाराष्ट्र प्रबोधन सेवा मंडल को पता चला कि गांव में पानी की तीव्र कमी के कारण, यहां की महिलाओं को गांव के बाहर से पानी लाने के लिए दिन या रात में घंटों कतार में खड़ें होकर बर्बाद करना पड़ता है.

नासिक, एमपीएसएम के निदेशक फादर जोएल नोरोन्हा ने कहा, “हमने देखा कि महिलाओं और लड़कियों ने अपना लगभग आधा दिन पानी लाने में बिताया. उन्हें गांव से 1.3 किलोमीटर दूर स्थित एक कुएं से पानी मिला. अक्सर वे एक साथ घंटों पानी की कतार में खड़ी रहती थीं.”

संगठन ने दो कंपनियों की मदद से, जिन्होंने अपनी कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (CSR) के एक हिस्से के रूप में योगदान दिया. उन्होंने कुएं, जो गांव का जल स्रोत है, से एक पाइप लाइन प्राप्त करने के लिए धन निर्देशित किया. उन्होंने सौर ऊर्जा से चलने वाला पंप भी लगाया है.

एनजीओ ने जलधारा महिला पानी वयवस्थापन समिति, वडमल (बी) संगठन बनाने के लिए महिलाओं को एक साथ लाया.

स्थानीय महिलाओं का यह संगठन गांव के 125 घरों, दो स्कूलों और आंगनबाडी में से प्रत्येक को पेयजल आपूर्ति प्रणाली के रखरखाव को सुनिश्चित करेगा.

गांव की महिलाओं में से एक सेलिना काशवीर ने कहा, “शुरू में महिलाओं के बीच कुछ प्रतिरोध था. लेकिन आखिरकार वे मान गईं और हमने एक संगठन बनाया जिसने हमारे घरों में पीने का पानी पहुंचाने का फैसला किया.”

पूर्व में, राज्य सरकार द्वारा एक पाइप जल योजना को मंजूरी दी गई थी, लेकिन उसे अधूरा छोड़ दिया गया था. ग्रामीणों ने अब कुएं से गाद निकाल दी है, अलग से पाइप लाइन बिछा दी है और घरों के बाहर दो बड़े टैंक और नल भी लगवा दिए हैं. क्योंकि यह सौर ऊर्जा से चलने वाली प्रणाली है इसलिए आवर्ती लागत में भारी कमी आई है.

एक अन्य गांव निवासी शकुंतला गंगुरडे ने कहा कि सबसे अच्छी बात यह है कि अब महिलाओं को पानी के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा. यह एक बड़ी राहत है.

धनराज गंगुरडे जिन्होंने परियोजना की देखरेख की है ने कहा, “रघुनाथ टोप्ले द्वारा दान की गई भूमि पर पाइप और मीटर वाले पानी की व्यवस्था स्थापित की गई है. हर तीन महीने में पानी का बिल जेनरेट होगा. एकत्र किए गए धन का इस्तेमाल मरम्मत और रखरखाव के लिए किया जाएगा.”

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