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तमिलनाडु: सात साल से चेंबकोली गांव के आदिवासी कर रहे हैं पक्की सड़क का इंतजार

गांव के निवासियों का कहना है कि हम पिछले सात वर्षों से पंचायत और वन विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं. हर बार वे हमें आश्वासन देते हैं कि वे जल्द ही काम करेंगे. लेकिन अब तक कुछ भी नहीं हुआ है.

तमिलनाडु के देवर्षशोला पंचायत की आदिवासी बस्ती चेंबकोली में लगभग 150 परिवार बिटुमेन रोड के लिए सात साल से इंतजार कर रहे हैं.

सूत्रों के मुताबिक, 2015 में गुडालूर के राजस्व मंडल अधिकारी (RDO) ने देवर्षशोला नगर पंचायत के कार्यकारी अधिकारी (EO) और गुडालूर वन प्रभाग के जिला वन अधिकारी (DFO) को वन क्षेत्र से हैमलेट तक सड़क बिछाने का निर्देश दिया था.

बोस्पारा-चांगली गेट से बेबी नगर के बीच सड़क की लंबाई सिर्फ दो किमी है लेकिन यह मुदुमलाई टाइगर रिजर्व (MTR) के करीब है.

चेंबकोली के निवासी एम सुरेश ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हम अधिकारियों से वन अधिकार अधिनियम 2006 (अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी और वन अधिकारों की मान्यता) के तहत मिट्टी की सड़क को टार रोड में बदलने की मांग कर रहे हैं. खासकर स्कूल जाने वाले बच्चों को बरसात के मौसम में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.”

चेंबकोली ग्राम सभा के प्रमुख एम राधा ने कहा, “हम एम्बुलेंस या जीप में अस्पताल नहीं जा सकते क्योंकि बारिश के दिनों में सड़क पर कीचड़ हो जाता है. ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जब वाहन कीचड़ में फंस गए और लोगों को उन्हें बाहर निकालना पड़ा है. हमे बेबी नगर तक पहुँचने के लिए दो किलोमीटर से अधिक पैदल चलना पड़ता है जहां बसें रुकती हैं.”

एक अन्य निवासी एम किरुमारण ने कहा, “हम पिछले सात वर्षों से पंचायत और वन विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं. हर बार वे हमें आश्वासन देते हैं कि वे जल्द ही काम करेंगे. लेकिन अब तक कुछ भी नहीं हुआ है.”

एम सुरेश ने कहा, “23 नवंबर, 2020 को देवर्षशोला नगर पंचायत के ईओ एमएन वेणुगोपाल ने गुडलुर वन रेंज अधिकारी को पत्र भेजकर अनुमति देने का अनुरोध किया है. हालांकि अभी तक कोई सुधार नहीं हुआ है.”

देवर्षशोला नगर पंचायत के कार्य निरीक्षक ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि 2015 में पहाड़ी क्षेत्र विकास कार्यक्रम (HADP) के तहत पक्की सड़क बनाने के लिए 50 लाख रुपये आवंटित किए गए थे. लेकिन हमने पाया कि सड़क आरक्षित वन के अंतर्गत आती है इसलिए वन विभाग से अनुमति मांगी.

(Representative image)

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