झारखंड के गुमला ज़िले के बिशुनपुर ब्लॉक में एक विशेष रूप से कमज़ोर आदिवासी समूह यानि पीवीटीजी रहता है. असुर जनजाति के इन लोगों को आजकल कोविड वैक्सीन के लिए मनाने पर काम चल रहा है.
इन लोगों को वैक्सिनेसन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अधिकारी की उपाय अपना रहे हैं, हालांकि उन्हें कुछ ख़ास कामयाबी नहीं मिल रही है.
बिशुनपुर के बीडीओ चंदा भट्टाचार्य ने एक अखबार को बताया कि अब तक असुर आदिवासियों में 18 साल से ज़्यादा उम्र के कुल 72,522 लोगों में से 31,829 को ही वैक्सीन लग पाया है.
पोलपत पाट, कुज्जम, सखुवापानी और अम्तिपानी, जो बिशुनपुर ब्लॉक के गुरदारी और अंप्तिपानी पंचायतों में स्थित हैं, असुर आदिवासियों के चार प्रमुख निवास स्थान हैं.
असुर युवा जागृति अभियान के अध्यक्ष, पोलपोलपत विमल चंद्र असुर ने मीडिया को बताया कि जिले के बिशुनपुर, चैनपुर, घाघरा और डुमरी ब्लॉक में फैले हुई असुर आदिवासियों के बीच अब तक कोविड-19 का एक भी केस नहीं पाया गया है.
लेकिन उनका कहना है कि उनके आदिवासी साथी धीरे-धीरे ही सही, लेकिन वैक्सीन लेने के लिए तैयार हो रहे हैं.
ख़बर यह भी है कि सिर्फ़ हिंडाल्को में काम करने वाले आदिवासियों ने वैक्सीन लगवाया है, क्योंकि कंपनी ने अपने कर्मचारियों के लिए इसे अनिवार्य कर दिया है. सरकारी नौकरियां करने वालों ने भी वैक्सीन लगवा लिया है.
मई के आखिरी हफ़्ते में हिंडाल्को के परिसर में एक वैक्सिनेशन कैंप आयोजित किया गया था, जिसमें सिर्फ़ 65 लोगों ने वैक्सीन लगवाया.
असुर जनजाति के अलावा, गुमला में एक और पीवीटीजी समुदाय बिरजिया ने भी वैक्सीन लगवाने में हिचकिचाहट दिखाई है. गुरदारी पंचायत के अंबाकोना और रामझरिया गांवों में मुंडा और उरांव आदिवासी भी वैक्सीन लेने को तैयार नहीं हैं.
बिशुनपुर सीएचसी के प्रमुख डॉ आशुतोष सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता दूरदराज़ के इलाकों में लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
इसके अलावा लैक्सीन का ताज़ा स्टॉक मिलते ही उस क्षेत्र में मेगा वैक्सिनेशन कैंप आयोजित करने की विशेष योजना भी है.
इस बीच इसी ब्लॉक की सेरका पंचायत के हिसीर गांव के निवासियों ने वैक्सीन लगवाने में खासा उत्साह दिखाया है. यहां के 90 प्रतिशत से ज़्यादा योग्य निवासियों को वैक्सीन लग चुका है.