आंध्र प्रदेश ट्राइबल वेलफ़ेयर रेज़िडेंशियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस सोसाइटी (APTWREIS) ने विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों यानि पीवीटीजी (PVTGs) के बच्चों को स्कूल लाने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है.
इन आदिवासी समूहों के बच्चों को 640 छात्रों की क्षमता वाले 10 विशिष्ट पीवीटीजी स्कूलों में नामांकित करने के लिए सोसायटी के सचिव के. श्रीकांत प्रभाकर ने एक अभियान शुरू किया है.
इसके लिए दूरदराज़ के इलाक़ों में जाकर पीवीटीजी समूहों के बड़ों और बच्चों दोनों को इन स्कूलों में दाखिले के फ़ायदों के बारे में बताया जा रहा है. पीवीटीजी बस्तियों में ब्रोशर बांटे जा रहे हैं, जिनमें छात्रों को दिए जाने वाले फ़ायदों के बारे में विस्तार से लिखा हुआ है.
इन फ़ायदों में बच्चों के लिए भत्ता, जगन्नाथ विद्या कनुका योजना के तहत स्कूल किट, अम्मा वोडी के तहत वित्तीय सहायता, व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास, योग, केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित अटल टिंकरिंग लैब, आत्मरक्षा तकनीकों में प्रशिक्षण और अंग्रेज़ी में बात करने का कौशल शामिल हैं.
COVID प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करते हुए कई सार्वजनिक जगहों पर जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. इनके लिए स्कूलों के प्रिंसिपल और टीचरों के अलग-अलग समूह बनाए गए हैं. श्रीकांत प्रभाकर ने द हिंदू को बताया कि अभियान की जबरदस्त प्रतिक्रिया उन्हें मिल रही है.
चूंकि कुछ बच्चे आधार कार्ड के अभाव में सबी योजनाओं और अवसरों का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं. इन बच्चों की मदद करने के लिए प्रभाकर ने चेजेरला गांव में सोमासिला, बुचिरेड्डीपालम, कवाली, सर्वपल्ली, कोडावलुरु एसटी यानाडी बस्तियों और गोलपुडी एसटी बस्ती के अलावा कुछ और जगहों पर शनिवार और रविवार को आधार कैंप आयोजित करवाए.
उन्होंने कहा कि इन शिविरों का उद्देश्य बच्चों के स्कूलों में प्रवेश का रास्ता निर्बाध करना है.
PVTG आदिम जनजातियों को कहा जाता है, जो सामाजिक और आर्थिक तौर पर काफ़ी पिछड़े हैं. वो आमतौर पर दूरदराज़ के और दुर्गम इलाक़ों में रहते हैं.
उम्मीद की जा रही है कि इस हस्तक्षेप से पीवीटीजी आदिवासियों के सामाजिक और आर्थिक जीवन पर पॉज़िटिव प्रभाव पड़ेगा, औप उनका जीवन बेहतर होगा.
आंध्र प्रदेश में 12 पीवीटीजी समुदाय रहते हैं, जिनमें चेंचू, डोंगरिया कोंध, कोंडारेड्डी, बोंडा, परंग पोरजा जैसे समुदाय शामिल हैं.