आदिवासी मामलों का मंत्रालय सिकल सेल बीमारी की रोकथाम और इलाज के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिल कर काम कर रहा है. संसद में आदिवासी मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने यह जानकारी दी है.
अर्जुन मुंडा ने कहा कि सिकल सेल बीमारी से निपटने के लिए दो स्तर पर काम किया जा रहा है. इसमें एक पक्ष है रिसर्च और जागरूकता का और दूसरा इस बीमारी के इलाज का है. उन्होंने कहा कि यह बीमारी वंशानुगत होती है.
इसलिए इस बीमारी से बचने के उपायों के बारे में सही जानकारी बेहद ज़रूरी है. इसलिए सरकार इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के प्रयास कर रही है.
इसके अलावा ICMR के साथ मिल कर इस बीमारी के इलाज से जुड़ी रिसर्च पर भी काम किया जा रहा है. अर्जुन मुंडा संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दे रहे थे. उन्होंने दावा किया कि सिकल सेल से प्रभावित लोगों को इलाज उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है.
संसद में ओडिशा के केन्द्रपाड़ा के बीजेडी सांसद अनुभव मोहंती ने लोकसभा में यह सवाल उठाया था. उन्होंने कहा कि सिकल सेल बीमारी से आदिवासी आबादी ज़्यादा पीड़ित है. इस बीमारी की वजह से आदिवासियों का जीवनकाल कम हो जाता है. इस बीमारी से पीड़ित लोगों की मृत्यु 20-22 साल की उम्र में ही हो जाती है.
सिकल सेल बीमारी (एससीडी), जो विरासत में मिला सबसे प्रचलित रक्त विकार है. यह बीमारी भारत में व्यापक रूप से कई जनजातीय समूहों में पाई जाती है. भारत के कई राज्यों में आदिवासी आबादी में यह स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है.
झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिमी ओडिशा, पूर्वी गुजरात और उत्तरी तमिलनाडु व केरल में नीलगिरी पहाड़ियों के कुछ इलाकों में काफ़ी लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं.
आदिवासी मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि सरकार इस बीमारी का डेटाबेस तैयार करने में जुटी है. इस बीमारी से निपटने के लिए यह ज़रूरी है कि पता चले की कितने लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं.
उन्होंने कहा कि रियल टाइम डेट, सिकल सेल रोगियों से संबंधित प्रासंगिक जानकारी और परीक्षण, दवाओं और अन्य बुनियादी आवश्यकताओं के संबंध में जानकारी मुहैया कराने में मदद करता है.
आदिवासी मंत्रालय से संसद में आज कुछ और भी प्रश्न पूछे गए. मसलन तमिलनाडु की सांसद जी माधवी ने कहा कि आदिवासी आबादी में से 77 प्रतिशत की इंटरनेट तक पहुँच नहीं है. उन्होंने सरकार से पूछा कि क्या इस सिलसिले में आदिवासी मंत्रालय की कोई योजना है.
इस सिलसिले में जवाब देते हुए अर्जुन मुंडा ने सदन को बताया कि 7000 आदिवासी गाँवों को ब्रॉडबैंड इंटरनेट से जोड़ने का काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि सरकार इस काम पर 6500 करोड़ रूपया खर्च कर रही है.
आज संसद में आदिवासी मंत्रालय से सवाल पूछने वालों में असम को कोकराझार के सांसद नबा कुमार सरनिया भी शामिल थे. उन्होंने कहा कि उनके लोकसभा क्षेत्र में अब 5 ज़िले हैं जो सभी जनजाति बहुल हैं. लेकिन इन ज़िलों में एक ही एकलव्य मॉडल स्कूल बनाया गया है.
उसकी भी हालत काफ़ी ख़राब है. सांसद के प्रश्न पर आदिवासी मामलों के मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया कि वो उनके साथ उस स्कूल में जाएँगे और हालात को ख़ुद देखेंगे.