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मध्य प्रदेश: इस आदिवासी गांव में तीन शिक्षकों ने अपनी सैलरी से बना दिया हाईटेक स्कूल

शिक्षकों के मुताबिक वे चाहते हैं कि उनके स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को बेहतर वातावरण मिले. इसके लिए स्कूल को सजाने से लेकर हाईटेक बनाने तक का काम किया जा रहा है. स्कूल में स्मार्ट टीवी, प्रोजेक्टर, लाउडस्पीकर, लैपटॉप और टैबलेट भी मंगाया जा चुका है जिसके जरिए बच्चों को पढ़ाया जाता है.

आमतौर पर सरकारी स्कूलों और वहां के शिक्षकों को लेकर लोगों के बीच धारणा अच्छी नहीं होती. लेकिन मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के स्कूल के शिक्षक सरकारी स्कूलों को लेकर बनी धारणा को तोड़ने का काम कर रहे हैं. छिंदवाड़ा में इन दिनों एक सरकारी स्कूल और वहां के शिक्षकों की हर तरफ र्चचा हो रही है.

दरअसल जिले के मोहखेड़ विकासखंड के उमरानाला संकुल में एक आदिवासी गांव घोघरी है, जहां एक सरकारी माध्यमिक स्कूल है. यहां के तीन शिक्षक अपने वेतन से पैसे जमा करके स्कूल में आधुनिक सुविधा मुहैया करा रहे हैं. शिक्षकों ने स्कूल की सूरत बदल कर नई मिसाल पेश की है.

स्कूल के प्रिंसिपल अनिल कोठेकर और दो अन्य शिक्षक रघुनाथ तावने और रामू पवार ने ये काबिले तारीफ काम किया है. ये सभी शिक्षक छात्रों को आधुनिक सुविधा मुहैया कराने के लिए पिछले पांच साल से अपने वेतन से हर महीने एक प्रतिशत राशि निकालकर इस काम में लगाते हैं.

शिक्षकों के मुताबिक वे चाहते हैं कि उनके स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को बेहतर वातावरण मिले. इसके लिए स्कूल को सजाने से लेकर हाईटेक बनाने तक का काम किया जा रहा है. स्कूल में स्मार्ट टीवी, प्रोजेक्टर, लाउडस्पीकर, लैपटॉप और टैबलेट भी मंगाया जा चुका है जिसके जरिए बच्चों को पढ़ाया जाता है.

स्कूल के प्रिंसिपल अनिल कोठेकर का कहना है कि शिक्षकों ने छात्रों के सहयोग से इस स्कूल में बड़े बदलाव लाए हैं. वहीं जिला शिक्षा अधिकारी अरविंद चौरगड़े का कहना है कि घोघरी की माध्यमिक पाठशाला के शिक्षकों ने मिलकर स्मार्ट क्लास तैयार की है. इससे बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलेगी. इस तरह के प्रयोग और भी स्कूलों में किए जा रहे हैं.

दूसरी तरफ स्कूल के छात्र भी इससे काफी खुश हैं. उनका कहना है कि उन्हें पढ़ाई के लिए आधुनिक सुविधा तो मिल ही रही है, साथ में पौधारोपण से लेकर दूसरे काम भी वे करते हैं. स्कूल के बदले माहौल ने छात्रों में भी पढ़ने की ललक बढ़ाई है. यहां का माहौल किसी प्राइवेट स्कूल से कम नहीं है. लेकिन अगर यहां किसी कमी की बात की जाती है तो वह बेहतर खेल का मैदान न होना है.

यह स्कूल आसपास के इलाके में खास अहमियत रखता है क्योंकि यहां डिजिटल तरीके से भी पढ़ाई हो रही है. इसे देखने के लिए कई स्कूलों के शिक्षक भी आते हैं.

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