HomeAdivasi Dailyआदिवासी परिवार ने जांच से पहले घर उजाड़ने पर उठाए सवाल

आदिवासी परिवार ने जांच से पहले घर उजाड़ने पर उठाए सवाल

पहलगाम हमले के बाद कश्मीर में सख्त कार्रवाई के तहत एक आदिवासी परिवार का घर गिराया गया. परिवार ने खुद को निर्दोष बताया है, जबकि प्रशासन की ओर से आधिकारिक बयान अभी आना बाकी है.

उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर नारिकुट के एक सीमावर्ती गांव में शनिवार (26 अप्रैल) की शाम अधिकारियों ने एक आदिवासी गुज्जर परिवार के घर को ध्वस्त कर दिया.

मोहम्मद याकूब टेडवा के परिवार के पंद्रह सदस्य, जिसमें उनकी बुजुर्ग मां, छोटे बच्चे और उनके भाई का परिवार शामिल है, उस घर में रहते थे. यह लकड़ी और मिट्टी से बना एक छोटा सा छह कमरों का घर था.

याकूब, जो एक मजदूर है.. उसके मुताबिक, सेना और सीआरपीएफ के जवान शाम करीब 7:30 बजे पहुंचे. इसके बाद सैनिकों ने उसके परिवार को इंवेस्टिगेशन के बहाने घर से बाहर निकलने का आदेश दिया.

कुछ ही पलों में घर के टुकड़े-टुकड़े हो गए. घर मलबे में तब्दील हो गया. जले हुए खिलौने, जली हुई नोटबुक और काली पड़ चुकी बीम मलबे में बिखरी पड़ी हैं. ग्रामीण छोटे-छोटे समूहों में चुपचाप बैठे हैं और राख को देख रहे हैं.

याकूब ने कहा, “उन्होंने हमें कुछ भी बचाने का समय नहीं दिया. मेरे बेटे की दो दिन बाद शादी थी. हमने शादी की तैयारी के लिए पड़ोसियों और रिश्तेदारों से साढ़े तीन लाख रुपये उधार लिए थे. हमने कपड़े, गहने और दूसरी चीजें खरीदीं और अब सब कुछ जलकर राख हो गया है.”

पड़ोसियों का कहना है कि सैनिकों ने तोड़फोड़ करने से पहले पूरे गांव को खाली करा दिया.

उनके पड़ोस में रहने वाले एक युवक इश्फाक ने कहा, “उन्होंने सभी को बाहर निकालने का आदेश दिया और हमें वहां से भगा दिया.”

दरअसल, यह सबकुछ 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद कश्मीर में की गई कार्रवाई का हिस्सा है. जिसमें 26 पर्यटक और एक स्थानीय व्यक्ति मारे गए थे.

तब से अधिकारियों ने दक्षिण और उत्तरी कश्मीर में संदिग्ध आतंकवादियों और कथित ओवरग्राउंड वर्करों के कम से कम नौ घरों को ध्वस्त कर दिया है. पिछले पांच दिनों में घाटी में 500 से अधिक छापे मारे गए हैं, जिनमें सैकड़ों लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है.

याकूब के परिवार का कहना है कि उनका उग्रवाद से कोई संबंध नहीं है. उनका कहना है कि याकूब के भाई फारूक टेडवा 1990 के दशक में उग्रवाद के चरम के दौरान कई अन्य लोगों की तरह पाकिस्तान चले गए थे और फिर कभी वापस नहीं लौटे.

याकूब ने बताया, “वह अब अपने परिवार के साथ वहीं रहते हैं और हमारा उनसे कोई संपर्क नहीं है. इसका हमारे यहां क्या लेना-देना है? एक गरीब आदमी के घर को उजाड़ने और उसके बच्चों को बेघर करने से क्या हल हो सकता है?”

अब जब उनके पास जाने के लिए कोई जगह नहीं बची है तो उनका परिवार अब पड़ोसियों की मदद से लकड़ी की एक अस्थायी झोपड़ी बनाने की कोशिश कर रहा है.

सीमावर्ती गांव नारिकुट में ज़्यादातर गरीब परिवार रहते हैं जो मज़दूरी करके अपना गुजर-बसर करते हैं या तो एक-दूसरे के लिए काम करते हैं या सेना के लिए.

इस कार्रवाई की पूरे कश्मीर में राजनीतिक नेताओं ने आलोचना की है.

पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि सुरक्षा बलों को आतंकवादियों और नागरिकों के बीच अंतर करना चाहिए. वहीं श्रीनगर के सांसद रूहुल्लाह मेहदी ने कहा कि कश्मीर और कश्मीरी सामूहिक दंड का सामना कर रहे हैं.

अभी तक जम्मू-कश्मीर के नागरिक प्रशासन, सेना या जम्मू-कश्मीर पुलिस की ओर से तोड़फोड़ के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पहलगाम हमले की जांच अपने हाथ में ले ली है.

Image sourced from the article published by Outlook India on 29 April 2025.

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