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मणिपुर हिंसा की दूसरी बरसी पर बंद का आह्वान

मणिपुर में जातीय हिंसा को दो साल हो चुके हैं. 3 मई,2023 को जो आग भड़की थी, वह अभी पूरी तरह बुझी नहीं है. कुछ संगठन इस दिन शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं, तो कुछ इसे 'अलगाव दिवस' कह रहे हैं

मणिपुर में जातीय हिंसा को दो साल हो चुके हैं. 3 मई,2023 को जो आग भड़की थी, वह अभी पूरी तरह बुझी नहीं है.

कई संगठनों ने इस दिन यानि 3 मई 2025 को शांति, श्रद्धांजलि और विरोध के रूप में कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा की है.

कुकी-ज़ोमी समुदाय से जुड़े छात्र संगठनों ने इस दिन को “शोक दिवस” के रूप में मनाने के लिए पूरे बंद का आह्वान किया है.

उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि वे अपने घरों पर काले झंडे फहराएं. स्कूल और दुकानों को एक दिन के लिए बंद रखें.

यह अपील ज़ोमी छात्र महासंघ (जेएसएफ) और कुकी छात्र संगठन (केएसओ) ने मिलकर की है.

जेडएसएफ और केएसओ ने अपने संयुक्त बयान में कहा, “3 मई 2025 को मणिपुर में हिंसा के दो वर्ष पूरे हो रहे हैं. यह दिन हमें उन लोगों की याद दिलाता है जो इस संघर्ष में मारे गए. हम चाहते हैं कि यह दिन पूरी शांति और मौन श्रद्धांजलि के साथ मनाया जाए.”

चुराचांदपुर में श्रद्धांजलि सभा

चुराचांदपुर ज़िले के मुख्यालय में स्थित शहीद स्मृति स्थल पर एक सामूहिक प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाएगा.

इसके बाद ‘स्मृति दीवार’ के पास एक सार्वजनिक सभा रखी गई है जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भाग लेंगे.

इन आयोजनों का मकसद हिंसा में जान गंवाने वाले लोगों को याद करना और समुदाय में एकजुटता को बढ़ावा देना है.

आदिवासी नेताओं का ऐलान

इंडीजीनस ट्राइबल लीडर्स फॉरम (आईटीएलएफ) ने 3 मई को ‘विभाजन दिवस’ के रूप में मनाने का ऐलान किया है.

आईटीएलएफ के अनुसार, “यह दिन केवल दुख और पीड़ा का प्रतीक नहीं है बल्कि यह सोचने का दिन है कि हमारे समुदाय के लिए अलग अस्तित्व की आवश्यकता क्यों महसूस हो रही है.”

इस दिन प्रार्थनाओं के साथ-साथ प्रेरणादायक भाषण, संगठन की वार्षिक रिपोर्टें और विभिन्न आदिवासी नेताओं के विचार प्रस्तुत किए जाएंगे.

इंफाल घाटी में मैतेई संगठनों की अलग तैयारी

इंफाल घाटी में सक्रिय मैतेई संगठन कोकोमी ने भी लोगों से 3 मई को सभी गतिविधियां रोकने और खुमान लंपक खेल मैदान में आयोजित जनसभा में शामिल होने की अपील की है.

यह सभा मणिपुर राज्य के भविष्य की दिशा को लेकर संवाद के लिए आयोजित की जा रही है.

इसी के साथ, नागरिक समाज संगठनों के महासंघ (Federation of Civil Society Organisations) ने इस दिन को “विभाजन की खाई पाटने और साझे भविष्य की ओर” विषय के साथ स्मृति और एकजुटता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है.

दो वर्षों में क्या-क्या हुआ

मई 2023 में मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच हिंसा की शुरुआत हुई थी. इस संघर्ष में अब तक 250 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हज़ारों लोग अपने घरों से बेघर हो चुके हैं.

भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के भीतर बढ़ते असंतोष के कारण तत्कालीन मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को इस्तीफा देना पड़ा और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया.

ऐसे में जब इस हिंसा की दूसरी बरसी पर एक ओर कुकी-जोमी संगठन अलगाव दिवस मना रहे हैं, काले झंडे फहरा रहे हैं और शोक में बंद का आह्वान कर रहे हैं. वहीं मैतेई संगठनों की ओर से मणिपुर की एकता के समर्थन में आयोजन किए जा रहे हैं. यह साफ है कि दो साल बीत जाने के बाद भी मणिपुर न सिर्फ ज़ख़्मी है, बल्कि आज भी दो टुकड़ों में बँटा खड़ा है.

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