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केरल: आदिवासी छात्रों की शिक्षा से जुड़ी ज़रूरतों पर सरकार को ज्ञापन सौंपने की तैयारी

शिक्षा के क्षेत्र में निजीकरण और डिजिटलीकरण की वजह से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के युवा बुनियादी शिक्षा और उच्च शिक्षा क्षेत्रों से धीरे-धीरे बाहर हो गए हैं. इन युवाओं की इंटरनेट और डिजिटल उपकरणों तक पहुंच की कमी इन्हें शिक्षा का लाभ उठाने से रोक रही है.

राज्य के आदिवासी युवाओं के सामने आ रही मुश्किलों का हल ढूंढने की कोशिश में आदिवासी गोत्र महासभा (AGMS) के बैनर तले आदिवासी और दलित युवाओं का एक समूह, आदि शक्ति समर स्कूल, केरल सरकार को एक ज्ञापन सौंपने की तैयारी कर रहा है.

एजीएमएस नेता एम. गीतानंदन ने मीडिया को बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में निजीकरण और डिजिटलीकरण की वजह से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के युवा बुनियादी शिक्षा और उच्च शिक्षा क्षेत्रों से धीरे-धीरे बाहर हो गए हैं. इन युवाओं की इंटरनेट और डिजिटल उपकरणों तक पहुंच की कमी इन्हें शिक्षा का लाभ उठाने से रोक रही है.

संगठन ने इस मामले में सरकार से जल्द से जल्द हस्तक्षेप की मांग करने का फ़ैसला किया है. इसके लिए संगठन सरकार को जल्द ही एक ज्ञापन सौंपेगा. इस ज्ञापन में अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए अनिवार्य आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए यूनिवर्सिटीज़ और स्वायत्त कॉलेजों के प्रॉस्पेक्टस में एक विशेष आवंटन प्रक्रिया को शामिल करने का अनुरोध भी शामिल होगा.

इसके अलावा मांग है कि शिक्षा से जुड़ी हर तरह की फीस को ई-अनुदान के तहत शामिल किया जाए, और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों को डिजिटल डिवाइस दिए जाएं ताकि उनके शैक्षिक अधिकार सुनिश्चित किए जा सकें.

इसके अलावा संगठन की मांग है कि सभी जिला मुख्यालयों में आदिवासी छात्रों के लिए पोस्ट मैट्रिक हॉस्टल की स्थापना की जाए. साथ ही अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति विभाग और यूनिवर्सिटीज़ में छात्रों की समस्याओं का ध्यान रखकर, उनका समाधान ढूंढने के लिए संपर्क अधिकारियों की नियुक्ति की भी मांग सरकार के सामने रखी जाएगी.

अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए आरक्षित सीटों के न भरने पर अकसर इन सीटों को सामान्य वर्ग के छात्रों को आवंटित कर दया जाता है. संगठन की मांग है कि ऐसा करना दंडनीय अपराध बनाया जाना चाहिए.

ज्ञापन में छात्रों को दिए जाने वाला मासिक भत्ता बढ़ाने की भी मांग उठाई गई है. छात्रों की आर्थिक मदद करने के लिए शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में ही ग्रैजुएट और पोस्ट ग्रैजुएट छात्रों को उनका शैक्षिक अनुदान (Educational Grant) दे दिया जाना चाहिए, ताकि इन छात्रों को साल भर पैसों की चिंता न करनी पड़े.

संगठन ने यह भी मांग की है कि वायनाड और अट्टपाड़ी समेत राज्य के सभी प्रमुख आदिवासी इलाक़ों के स्कूलों में प्लस वन सीटों की संख्या बढ़ाई जाए. इससे दसवीं के बाद प्लस वन में सीट न मिलने पर पढ़ाई छोड़ने को मजबूर होने वाले कई छात्रों को फ़ायदा होगा.

ज्ञापन में आदिवासी छात्रों के लिए ज़्यादा मॉडल रेज़िडेंशियल स्कूलों की स्थापना पर भी ज़ोर दिया गया है. यह चार्टर संगठन द्वार अप्रैल के दूसरे सप्ताह तक सरकार को दिया जाएगा.

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