संथाल परगना इलाके में बांग्लादेशियों की घुसपैठ के मामले में दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को झारखंड हाईकोर्ट ने एक बार फिर सुनवाई की.
हाईकोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार, इंटेलिजेंस ब्यूरो, यूआईएडीएआई और बीएसएफ की ओर से जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर नाराजगी जताई है.
बांग्लादेशी घुसपैठ और संथाल परगना की बदलती जनसांख्यिकी की जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने कहा कि झारखंड में आदिवासी आबादी घट रही है और केंद्र सरकार चुप है.
कोर्ट ने कहा कि झारखंड का निर्माण आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए किया गया था लेकिन ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रवेश को रोकने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है.
साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) हर हफ्ते 24 घंटे काम करता है लेकिन बांग्लादेशी घुसपैठियों जैसे संवेदनशील मुद्दों पर अपना जवाब दाखिल नहीं कर रहा है.
बांग्लादेशी घुसपैठियों को रोकने में बीएसएफ की भी अहम भूमिका है लेकिन ऐसा लगता है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों को रोकने के मामले में केंद्र सरकार का रवैया सकारात्मक नहीं है.
कोर्ट ने 8 अगस्त को इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने में केंद्र सरकार की विफलता पर निराशा जताते हुए यह भी कहा था कि क्या सरकार बांग्लादेशी घुसपैठियों के देश में प्रवेश करने के बाद ही कार्रवाई करेगी.
दरअसल, झारखंड हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से बांग्लादेशियों की घुसपैठ रोकने के लिए उठाए गए कदमों और उनके विचारों के बारे में हलफनामे के माध्यम से जवाब देने को कहा था. इससे पहले आईबी, यूआईडीएआई और बीएसएफ को अलग-अलग हलफनामा दाखिल करने को कहा गया था.
केंद्र को गुरुवार को अपना जवाब दाखिल करना था लेकिन वह ऐसा नहीं कर सका और इसके बजाय उसने हस्तक्षेप याचिका दायर कर चार सप्ताह का समय मांगा.
वहीं हस्तक्षेप याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि जब राज्य सरकार ने मामले में जवाब दाखिल कर दिया है तो केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने में परेशानी क्यों हो रही है.
हालांकि, कोर्ट ने केंद्र सरकार को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी.
कोर्ट को यह भी बताया गया कि बांग्लादेश में प्रतिबंधित संगठन संथाल परगना के कई इलाकों में लव जिहाद और भूमि जिहाद के तहत स्थानीय आदिवासी लड़कियों को फंसाकर उनसे शादी कर रहा है, जिस पर रोक लगाने की जरूरत है.
वहीं हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को आदेश दिया था कि घुसपैठियों की पहचान सुनिश्चित कराने में स्पेशल ब्रांच की मदद लेकर कार्रवाई करें.
संथाल परगना प्रमंडल के सभी छह जिलों के उपायुक्तों को भी आदेश दिया गया था कि लैंड रिकॉर्ड से मिलान किए बिना आधार कार्ड, राशन कार्ड, वोटर कार्ड, बीपीएल कार्ड जारी नहीं करें.
कोर्ट ने यह भी कहा था कि जिन दस्तावेजों के आधार पर राशन कार्ड, वोटर कार्ड या आधार कार्ड बनाए गए हैं, वो जायज ही हों, ये नहीं कहा जा सकता. इसकी वजह से राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं में भी हकमारी हो रही है.
दरअसल, झारखंड हाईकोर्ट में यह जनहित याचिका जमशेदपुर निवासी दानियल दानिश ने दायर की है. इसमें कहा गया है कि जामताड़ा, पाकुड़, गोड्डा, साहिबगंज आदि झारखंड के बॉर्डर इलाके से बांग्लादेशी घुसपैठिए झारखंड आ रहे हैं. इससे इन जिलों में जनसंख्या में कुप्रभाव पड़ रहा है.