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मयूरभंज का यह आदिवासी गांव अपने स्वच्छता मॉडल के चलते आकर्षण का केंद्र बना

पूरे गांव में सड़कें साफ-सुथरी हैं और उनमें बिखरा हुआ कचरा नहीं है और प्लास्टिक का कूड़ा भी नहीं दिखता. यहां की बेदाग सड़कें स्वच्छता के प्रति समर्पित समुदाय का परिणाम हैं. क्योंकि हर निवासी अपने आस-पास के वातावरण को साफ रखने में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेता है.

तेज़ी से बढ़ती ओडिया अर्थव्यवस्था के बीच एक बड़ी समस्या वेस्ट मैनेजमेंट यानि कचरे का प्रबंधन है, जिसमें राज्य के अधिकांश शहर और कस्बे तेजी से विकास कर रहे हैं. कूड़ा-कचरा, बिना उठाए गए कचरे के ढेर और कचरे का उचित तरीके से निपटान न होना एक बढ़ती हुई चिंता है, जिससे ओडिशा के कई शहरी प्रशासनिक निकाय जूझ रहे हैं.

लेकिन इस सबके बीच मयूरभंज जिले के बिसोई ब्लॉक के अंतर्गत आने वाला संथाल आदिवासियों का बोबेजोडा गांव (Bobeijoda Village) अलग ही नज़र आ रहा है.

करीब सौ परिवारों वाला यह गांव साफ-सफाई का नियम ही नहीं बल्कि यहां के लोगों की जीवनशैली है.

साफ-सुथरी सड़कें आकर्षण का केंद्र

पूरे गांव में सड़कें साफ-सुथरी हैं और उनमें बिखरा हुआ कचरा नहीं है और प्लास्टिक का कूड़ा भी नहीं दिखता. यहां की बेदाग सड़कें स्वच्छता के प्रति समर्पित समुदाय का परिणाम हैं. क्योंकि हर निवासी अपने आस-पास के वातावरण को साफ रखने में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेता है.

यहां कूड़ेदानों का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है और साफ-सफाई बनाए रखना यहां के लोगों के लिए दूसरा स्वभाव बन गया है. जो यहां आने वाले पर्यटकों के लिए स्वच्छता के स्तर को देखकर हैरान होने का एक प्रमुख आकर्षण बन गया है.

बोबेजोडा निवासी फुलो हंसदा ने कहा, “हम सभी निवासी अपने गांव को साफ रखने के लिए मिलकर काम करते हैं. दूर-दूर से कई पर्यटक यहां आते हैं और हमारे आस-पास के वातावरण को इतना साफ रखने के लिए हमारी तारीफ करते हैं.”

पाटा पर्व के दौरान गांव और भी अधिक चमकदार और स्वागत करने वाला नजारा ले लेता है, जहां हर कोने में साफ-सफाई झलकती है. इस अवसर को मनाने के लिए कई मिट्टी और छप्पर के घरों को प्राकृतिक रंगों से खूबसूरती से सजाया जाता है और आंगन से लेकर सड़कों तक सब कुछ चमक रहा होता है.

स्वच्छता की विरासत

दरअसल, पंद्रह साल पहले दिवंगत शिक्षक मधुसूदन मरांडी ने गांव में स्वच्छता आंदोलन की शुरुआत की थी. तब से समुदाय ने इसे बनाए रखने के लिए मिलकर काम किया है.

संथाली आदिवासी समुदाय, जो अपनी जीवंत परंपराओं और साफ-सुथरे परिवेश के लिए जाना जाता है. इस समुदाय ने अपने जीवन के तरीके को देखने के लिए आने वाले लोगों को आकर्षित किया है और स्वच्छता के लिए एक स्टैंडर्ड स्थापित किया है, जिसे दुनिया भर में मान्यता मिली है.

स्थानीय निवासियों का कहना है कि वो मरांडी द्वारा आगे लाई गई विचार प्रक्रिया को जारी रखा है और स्वच्छता और सफाई की इस विरासत का पालन करना जारी रखेंगे.

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