HomeIdentity & Lifeकरबी आंगलोंग में सोलर पावर प्रोजेक्ट का विरोध क्यों ?

करबी आंगलोंग में सोलर पावर प्रोजेक्ट का विरोध क्यों ?

सांसद अजीत भुइयां ने असम सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस परियोजना के लिए कोई पर्यावरणीय अध्ययन नहीं किया गया है और न ही राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (National Board of Wildlife) की अनुमति ली गई है.

असम के करबी आंगलोंग ज़िले में 18,000 बीघा ज़मीन पर प्रस्तावित एक बड़े सोलर पावर प्रोजेक्ट को लेकर स्थानीय आदिवासी समुदायों में डर और चिंता का माहौल है.

इस परियोजना के कारण इस क्षेत्र के करीब 20,000 करबी, नागा और अन्य जनजातीय लोगों पर विस्थापन का खतरा मंडरा रहा है.

राज्यसभा में उठा मुद्दा

राज्यसभा में असम के सांसद अजीत कुमार भुइयां ने इस मुद्दे को शून्य काल के दौरान उठाया.

अपने भाषण की शुरुआत में उन्होंने ‘करबी आंगलोंग’ का अर्थ बताते हुए कहा कि यह नाम करबी भाषा से लिया गया है. उन्होंने बताया ‘करबी’ उन मूल निवासियों को कहा जाता है जो इस क्षेत्र में सदियों से बसे हुए हैं.

उन्होंने चिंता जताई कि अब उन्हीं करबी लोगों को अपनी ही ज़मीन से बेदखल किया जा रहा है.

सांसद अजीत भुइयां ने असम सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने छठी अनुसूची (Sixth Schedule) की नीतियों को दरकिनार करके क्षेत्र में सोलर पावर प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया है.  

उन्होंने कहा कि सरकार एशियन डेवलपमेंट बैंक की मदद से करबी आंगलोंग के खतखाती-लंकाथा क्षेत्र में 1,000 मेगावाट का बड़ा सोलर पावर प्रोजेक्ट बनाने जा रही है. इसके लिए लगभग 18,000 बीघा ज़मीन अधिग्रहित की जाएगी.

23 गांवों पर बेदखली का खतरा

भुइयां ने अपने भाषण में कहा कि इस परियोजना के कारण 23 गांव विस्थापित हो जाएंगे. इन 23 गांवों में लगभग 20,000 करबी, नागा और अन्य आदिवासी समुदायों के लोग रहते हैं. भुइयां ने बताया कि ये 20,000 लोग करीब 200 सालों से यहां रह रहे हैं.

उन्होंने कहा कि असम सरकार ने बिना किसी सार्वजनिक राय के इस परियोजना को आगे बढ़ाया है. उन्होंने इसे स्थानीय लोगों के लिए अन्यायपूर्ण बताया.

पर्यावरण अध्ययन की अनदेखी

भुइयां ने आगे कहा कि प्रस्तावित ज़मीन में लंबे समय से खेती की जा रही है और यह क्षेत्र असम-नागालैंड सीमा का महत्वपूर्ण जैव विविधता क्षेत्र है. यहां कई नदियां और सहायक नदियां बहती हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि करबी आंगलोंग स्थायी परिषद और असम सरकार ने इसे अनुपयुक्त ज़मीन घोषित कर भूमि अधिग्रहण की नीति का उल्लंघन किया है.

उन्होंने यह भी कहा कि इस परियोजना के लिए कोई पर्यावरणीय अध्ययन नहीं किया गया है और न ही राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (National Board of Wildlife) की अनुमति ली गई है.

उन्होंने असम में इससे पहले हुए ज़मीन अधिग्रहण के मामलों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि सरकार अब ‘Advantage Assam’ के नाम पर इसी तरह का कार्य कर रही है.

सांसद भुइयां ने अपने भाषण के अंत में केंद्र सरकार से मांग की कि इस सोलर पावर प्रोजेक्ट को तत्काल प्रभाव से रोका जाए ताकि करबी, नागा और अन्य आदिवासी समुदायों का जीवन सुरक्षित रह सके.

स्थानीय समुदायों ने आशंका जताई  कि इस परियोजना के कारण न केवल उनकी आजीविका पर असर पड़ेगा, बल्कि पर्यावरण पर भी गंभीर प्रभाव पड़ सकता है.

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