राजस्व विभाग के अधिकारियों ने इस हफ़्ते आनमलई टाइगर रिज़र्व के अंदर बसे आदिवासियों को रहने की जगह देने की अपनी योजना के तहत काडमपारई में एक सर्वेक्षण किया. जिला कलेक्टर जीएस समीरन ने हाल ही में अधिकारियों को इस काम में तेजी लाने का निर्देश दिया था.
इसी तरह की कार्रवाई पिछले साल भी की गई थी, जब आदिवासियों को कल्लार तेप्पकुलमेडु में जमीन आवंटित की गई थी.
आदिवासी कार्यकर्ता एस धनराज के मुताबिक़ कडपारई में आदिवासियों पर अतिक्रमण करने का आरोप लगता रहता था, और आनमलई टाइगर रिजर्व (एटीआर) के अधिकारियों ने महामारी के दौरान उनकी अनदेखी की. लोगों को ज़रूरी सामान नहीं मिल रहा था, जिससे उन्हें काफ़ी नुकसान हुआ. कलेक्टर के हस्तक्षेप की वजह से अब कम से कम लोगों को वनवासियों के रूप में तो माना जाता है.
राजस्व विभाग का कहना है कि उन्होंने काडमपारई, एतकुली कावरक्कल और सिनकोना में सर्वेक्षण किया है, और वहां आदिवासियों को जमीन आवंटित करने की प्रक्रिया जारी है.
तमिल नाडु आदि द्रविड़ कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पोल्लाची उप कलेक्टर की अध्यक्षता वाली उप मंडल समिति और आदिवासियों के प्रतिनिधियों के साथ, वालपारई और मनोम्बोली के वन रेंज अधिकारियों से मिलकर हर आदिवासी परिवार के लिए भूमि आवंटन का फैसला करने के लिए जल्द ही एक बैठक बुलाई जाएगी.
उनका अनुमान है कि 50 से 55 आदिवासी लोगों को जमीन मिलेगी, और उनके दस्तावेजों की जांच के बाद यह संख्या बदल भी सकती है.
काडमपारई के एक आदिवासी ने बताया कि वह घर बनाने के लिए ज़मीन मिलने की संभावना से खुश हैं. केशवन ने कहा, “हमें जमीन का पट्टा पाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ रहा है. हमने उप कलेक्टर कार्यालय और जिला कलेक्टर कार्यालय में याचिका दायर की है. हम 30 से ज़्यादा सालों से एटीआर अधिकारियों से भी मदद का अनुरोध कर रहे हैं.”
राज्य सरकार ने पिछले साल नवंबर में भी वालपारई के पास कल्लार तेप्पाकुलमेडु में 21 आदिवासी परिवारों को 1.5 सेंट प्रति परिवार के हिसाब से ज़मीन आवंटित की थी.