त्रिपुरा के आदिवासी संगठनों के सदस्यों ने सोमवार को बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग के सामने पड़ोसी देश में बौद्ध मठों पर हुए हमलों की निंदा की. दरअसल बौद्ध मठ पर हालिया हमलों के खिलाफ अगरतला में बांग्लादेश उच्चायोग के विरोध में चकमा समुदाय एकजुट हो गया है. उन्होंने उच्चायोग के माध्यम से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को एक ज्ञापन भी सौंपा.
सोमवार को प्रदर्शन करने वाले आदिवासी संगठनों में चकमा बौद्ध वेलफेयर सोसाइटी, यंग चकमा एसोसिएशन, त्रिपुरा चकमा स्टूडेंट्स एसोसिएशन, चकमा नेशनल काउंसिल ऑफ इंडिया और त्रिपुरा रेज्यो चकमा गबुच्य जोडा शामिल है.
बांग्लादेश के कॉक्स बाजार जिले में टेकनाफ के तहत कटखाली वन बौद्ध मठ पर हमले हुए और मठ में आग लगा दी गई. पांच आदिवासी संगठनों के एक संयुक्त बयान में सोमवार को कहा गया कि 24 अक्टूबर को हुए हमले के दौरान चकमा समुदाय से संबंधित महिलाओं सहित कम से कम 8 स्वदेशी व्यक्ति घायल हो गए.
इन संगठनों द्वारा प्रस्तुत ज्ञापन में कहा गया है कि कटखाली वन बौद्ध मठ पर हमला 13 अक्टूबर से मंदिरों, दुर्गा पूजा पंडालों और हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों की घटनाओं की एक श्रृंखला के बाद हुआ जो दर्शाता है कि देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है.
ऐसा इसलिए है क्योंकि बांग्लादेश सरकार 2012 में चटगांव के रामू, कॉक्स बाजार और पटिया में 19 बौद्ध मंदिरों और लगभग 100 घरों को नष्ट करने वालों को दंडित करने में विफल रही है.
चकमा संगठनों ने अपने ज्ञापन के माध्यम से आगे याद दिलाया कि देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के जीवन, संपत्ति और उनके धर्म का पालन करने के अधिकार की रक्षा करने की जिम्मेदारी बांग्लादेश सरकार पर है.
आदिवासी संगठनों ने कटखाली वन बौद्ध मठ पर हुए हमलों और चकमा समुदाय के कम से कम आठ स्वदेशी व्यक्तियों पर हमले के अपराधियों को न्याय के लिए लाने और रामू कॉक्स के 19 बौद्ध मंदिरों और लगभग 100 घरों को नष्ट करने वालों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की है.