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त्रिपुरा हाई कोर्ट का आदेश, 17 मई से पहले हों आदिवासी क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद के चुनाव

26 मार्च, 2020 को राज्य सरकार ने ज़िला परिषद के लिए आम चुनावों को 'अनिश्चित काल के लिए' टाल दिया था. पिछले परिषद का कार्यकाल 17 मई, 2020 को समाप्त हो गया. एक सरकारी अधिसूचना में कहा गया कि चुनाव को कोविड महामारी के चलते स्थगित किया गया है. लेकिन, ना तो अब तक चुनाव हुए हैं, और राज्यपाल के अंतरिम प्रभार की अवधि भी पिछले साल नवंबर में समाप्त हो गई.

त्रिपुरा में आदिवासी क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (Tripura Tribal Areas Autonomous District Council – TTAADC) के भंग होने और राज्यपाल आरके बैस को निकाय का प्रभारी बना दिए जाने के आठ महीने बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को 17 मई तक इस 30-सदस्यीय परिषद के लिए आम चुनाव कराने का आदेश दिया है.

कोर्ट का यह फ़ैसला अपु देबबर्मा द्वारा दायर एक याचिका पर आया है. देबबर्मा जहां रहते हैं, वह इलाक़ा टीटीएएडीसी के प्रशासनिक दायरे में आता है. कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर राज्य चुनाव आयोग और सरकार तैयार हो तो चुनाव जल्दी भी कराए जा सकते हैं. राज्य चुनाव आयुक्त ने कोर्ट में दायर एक हलफनामे में कहा कि ज़िला परिषद के चुनाव के लिए मतदाता सूची में ज़रूरी संशोधन और प्रकाशन का काम 15 जनवरी तक पूरा कर लिया जाएगा.

इससे पहले, त्रिपुरा हाई कोर्ट ने टीटीएएडीसी के चुनाव में देरी पर नाराज़गी व्यक्त की थी, और त्रिपुरा सरकार, राज्य निर्वाचन आयोग, भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई), त्रिपुरा के राज्यपाल और अन्य से जवाब मांगा था.

26 मार्च, 2020 को राज्य सरकार ने ज़िला परिषद के लिए आम चुनावों को ‘अनिश्चित काल के लिए’ टाल दिया था. पिछले परिषद का कार्यकाल 17 मई, 2020 को समाप्त हो गया. एक सरकारी अधिसूचना में कहा गया कि चुनाव को कोविड महामारी के चलते स्थगित किया गया है. लेकिन, ना तो अब तक चुनाव हुए हैं, और राज्यपाल के अंतरिम प्रभार की अवधि भी पिछले साल नवंबर में समाप्त हो गई, हालांकि इसे एक अधिसूचना के ज़रिए छह महीने के लिए और बढ़ा दिया गया था.

टीटीएएडीसी का काम और शक्तियां

त्रिपुरा का स्वायत्त जनजातीय क्षेत्र 7,132 वर्ग कि.मी. में फैला है, जो पूरे राज्य का 68% हिस्सा है. जबकि, राज्य में आदिवासी 37 लाख की कुल आबादी का एक तिहाई हिस्सा हैं. TTAADC के अधिकार क्षेत्र में आने वाली 70 प्रतिशत भूमि पर पहाड़ और जंगल हैं, जहां ज़्यादातर निवासी जूम खेती करते हैं.

संविधान की 7वीं अनुसूची के तहत प्रावधानों की गारंटी देते हुए परिषद का गठन TTAADC अधिनियम, 1979 के अनुसार किया गया था. इसे बाद में संविधान की छठी अनुसूची के प्रावधानों के साथ अपग्रेड किया गया.

छठी अनुसूची के तहत शक्तियां

संविधान की छठी अनुसूची के तहत टीटीएएडीसी के पास दो प्रकार की शक्तियां हैं – विधायी और कार्यकारी. विधायी कार्य के तहत बजट की मंज़ूरी, बिलों पर चर्चा, ट्रेज़री बेंच द्वारा प्रस्तुत नियम और विनियमों के बारे में चर्चा होती है. परिषद में कुल 30 सदस्य होते हैं, जिनमें से 28 सदस्यों का चुनाव होता है, और दो सदस्य त्रिपुरा के राज्यपाल द्वारा नामित किए जाते हैं.

कार्यकारी समिति का नेतृत्व मुख्य कार्यकारी सदस्य करता है, जो ट्रेज़री बेंच के सदस्यों में से चुना जाता है. संविधान की छठी अनुसूची राज्य की जनजातीय आबादी के स्वशासन के लिए ज़िला परिषद को पर्याप्त अधिकार प्रदान करती है.

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