तेलंगाना के नलगोंडा ज़िले में दो आदिवासी महिलाओं का जबरन मुंडन कराया गया. कथित तौर पर ये सब हुआ एक स्थानीय पंचायत के निर्देश पर किया गया है. इस पंचायत ने इन औरतों पर समुदाय के एक 16 वर्षीय लड़के को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था.
दोनों महिलाओं रामावत कामिली और रामावत अची को एक पेड़ से बांध दिया गया था. पुलिस अधिकारियों ने कहा कि कथित तौर पर पिछले शनिवार को ग्रामीणों द्वारा इन महिलाओं के साथ गाली-गलौज और मारपीट की थी. इस घटना के बाद सोमवार को दो मामले दर्ज किए गए थे.
यह घटना कोंडा मल्लेपल्ली में सार्वजनिक रूप से हुई थी और पंचायत ने कथित तौर पर एक फ़रमान जारी किया था कि पुलिस को इसके बारे में सूचित नहीं किया जाना चाहिए. गुप्त सूचना मिलने पर ज़िले की स्पेशल ब्रांच पुलिस ने मामले की जांच की और सोमवार की रात कोंडा मल्लेपल्ली थाने में मृतक लड़के की मां समेत आठ आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.
पुलिस के मुताबिक, मृतक लड़का राजू रामावथ एक आदिवासी गांव रायनीगुंटा थांडा का रहने वाला था और देवरकोंडा शहर में दसवीं कक्षा में पढ़ रहा था, जहां वह एक चचेरे भाई के साथ किराए के घर में रहता था. कथित तौर पर 14 सितंबर को अपने कमरे में आत्महत्या से उनकी मृत्यु हो गई, लेकिन आत्महत्या का कारण नहीं पता था.
कुछ दिनों बाद जब परिवार के सदस्यों ने उसका मोबाइल फोन चेक किया तो उन्होंने पाया कि वो गांव की दो महिलाओं के साथ लगातार संपर्क में था.
नलगोंडा की पुलिस अधीक्षक रेमा राजेश्वरी ने MBB को बताया, “दो महिलाएं, जो एक ही आदिवासी समुदाय और एक ही गांव की हैं, शहर में नियमित रूप से वेश्यावृत्ति में लिप्त थीं. पिछले दो महीने से वे लड़के के नियमित संपर्क में थे. उन्होंने उसे फंसा लिया और पैसे की मांग करने लगे, जिसके बाद उसने दूसरों से पैसे उधार लेना शुरू कर दिया.”
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि कि लड़के की मृत्यु के समय उस पर 10 हज़ार रुपये से ज्यादा का उधार था.
परिवार ने आरोप लगाया कि दोनों महिलाओं ने उनके लड़के को अपने जाल में फंसाया और पैसे के लिए ब्लैकमेल किया. लड़के के फोन में व्हाट्सएप पर कुछ धमकी भरे वॉयस मैसेज मिलने के बाद, उन्होंने दो महिलाओं से स्पष्टीकरण की मांग की.
लेकिन उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर, उन्होंने कथित तौर पर शनिवार को समुदाय के बुजुर्गों की एक ग्राम पंचायत आयोजित की.
परिवार ने आरोप लगाया कि लड़के ने घबराहट में अपनी जान ले ली. उन्होंने दोनों महिलाओं पर कथित तौर पर अपने बेटे को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया.
एक अधिकारी ने कहा, “पंचायत ने लड़के को आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए दोनों महिलाओं को जिम्मेदार ठहराया और फैसला किया कि दोनों महिलाएं सजा की हकदार हैं.”
पुलिस ने घटना के बाद गांव से निकाली गई दोनों महिलाओं को ग्रामीणों के खिलाफ शिकायत करने के लिए राजी किया.
औरतों से शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. इन में धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए सजा), 324 (स्वेच्छा से खतरनाक हथियारों या साधनों से चोट पहुंचाना), 342 (गलत तरीके से कारावास की सजा), 355 (जो कोई किसी व्यक्ति पर हमला करता है या आपराधिक बल का प्रयोग करता है, जिससे उस व्यक्ति का अपमान करने का इरादा है).
504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान), 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा), 509 (शब्द, इशारा या कार्य एक महिला की विनम्रता का अपमान करने का इरादा) r/w 34 भारतीय दंड संहिता की धारा 34, समुदाय के बुजुर्गों के खिलाफ, जिनमें वे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने महिलाओं का मुंडन कराया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया.
इस बीच, मृतक लड़के के परिवार की शिकायत पर देवरकोंडा थाने में दोनों महिलाओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है.
अधिकारी ने कहा, “पंचायत इस मामले को समुदाय के भीतर रखना चाहती थी और उसने अपने सदस्यों को एक अल्टीमेटम जारी किया था कि वे किसी को भी बाहर की सूचना न दें. उनका मानना था कि महिलाओं को यह जानने के बाद लड़के को नहीं फंसाना चाहिए था कि वो उसी समुदाय से संबंधित है. इस तरह की गतिविधियों को प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता है.”