अंडमान और निकोबार पुलिस के अपराध जांच विभाग (CID) ने दक्षिण अंडमान में तारमुगली द्वीप के पास आदिवासी संरक्षित क्षेत्र में प्रवेश करने के आरोप में एक अमेरिकी नागरिक को गिरफ्तार किया है.
पुलिस ने बुधवार को बताया कि भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में प्रतिबंधित आदिवासी आरक्षित क्षेत्र में प्रवेश करने के आरोप में 24 वर्षीय एक अमेरिकी नागरिक को हिरासत में लिया गया है.
एक अधिकारी ने बताया कि सीआईडी ने अमेरिकी नागरिक को 31 मार्च को गिरफ्तार किया था.
पुलिस ने बताया कि अमेरिकी नागरिक की पहचान 24 वर्षीय मिखाइलो विक्टरविच पोल्याकोव (Mykhailo Viktorovych Polyakov) के रूप में हुई है और वह 27 मार्च को पोर्ट ब्लेयर पहुंचा था.
इसके तीन दिन बाद रविवार को मिखाइलो को गिरफ्तार कर लिया गया, जब खबर मिली कि वो द्वीप के प्रतिबंधित हिस्से में नाव लेकर गए हैं.
अंडमान और निकोबार पुलिस के डीजीपी एचएस धालीवाल ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा कि कि स्थानीय लोगों द्वारा दक्षिण अंडमान के खुरमाडेरा समुद्र तट के पास इस व्यक्ति को देखे जाने के बाद पुलिस सतर्क हो गई, जो जारवा रिजर्व फॉरेस्ट के करीब है. जो मूल निवासी जारवा जनजाति के लिए संरक्षित क्षेत्र है.
धालीवाल ने कहा, ‘‘वह अमेरिकी नागरिक है और उसके पिता यूक्रेन से हैं. उसे स्थानीय लोगों ने 29 मार्च को सुबह करीब चार बजे खुरमाडेरा समुद्र तट के पास नाव पर देखा था.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम उसके बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर रहे हैं और संरक्षित आदिवासी इलाके में जाने के उसके इरादे के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर रहे हैं. हम यह भी पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में रहने के दौरान वह और कहां-कहां गया था. हम पोर्ट ब्लेयर में उस होटल के कर्मचारियों से भी पूछताछ कर रहे हैं जहां वह ठहरा था.’’
जांच से पता चला कि यह पहली बार नहीं है कि पोल्याकोव अंडमान आया है बल्कि 2024 में वह दो बार द्वीपसमूह आ चुका है.
सीआईडी अधिकारी ने बताया, ‘‘विदेशी अधिनियम, 1946 के साथ-साथ अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (आदिवासी जनजातियों का संरक्षण) संशोधन विनियमन, 2012 की धाराओं के तहत उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.’’
सीआईडी अधिकारी ने बताया कि वह फिलहाल चार अप्रैल तक पुलिस हिरासत में है.
पुलिस ने कहा कि उन्होंने गृह मंत्रालय को हिरासत के बारे में सूचित कर दिया है जो अमेरिकी दूतावास के संपर्क में है.
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह कानूनी रूप से संरक्षित
अंडमान और निकोबार, एक पूर्व ब्रिटिश दंडात्मक उपनिवेश, 572 द्वीपों का एक समूह है जो भारत की मुख्य भूमि से 1,200 किलोमीटर (700 मील) से अधिक दूरी पर स्थित है.
भारत सरकार संघीय क्षेत्र के कुछ दूरदराज के हिस्सों तक पहुंच की सख्त निगरानी करती है. जहां पांच मूल निवासी जनजातियां रहती हैं, जिनमें से कुछ बाहरी लोगों से संपर्क नहीं करना चाहते.
सेंटिनली, जारवा, ओंग, शोम्पेन और ग्रेट अंडमानी सहित ये जनजातियां दुनिया के अंतिम बचे हुए अलग-थलग समुदायों में से हैं.
जनजातीय भूमि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह विनियमन, 1956 के तहत कानूनी रूप से संरक्षित है, जो अनधिकृत प्रवेश को प्रतिबंधित करता है.
साल 2018 में 27 वर्षीय अमेरिकी मिशनरी जॉन एलन चाऊ (John Allen Chau) को सेंटिनली जनजाति द्वारा मार दिया गया था. जब वह ईसाई धर्म का प्रचार करने के लिए अवैध रूप से उनके क्षेत्र में प्रवेश करने की कोशिश कर रहा था.
कथित तौर पर जब उसकी नाव द्वीप के पास पहुंची तो जनजातियों ने उसे तीरों से मार डाला.
वहीं 2006 में दो भारतीय मछुआरे गलती से उत्तरी सेंटिनल द्वीप पर चले गए थे, जिन्हें भी सेंटिनली जनजाति ने मार डाला था. जब बाद में एक भारतीय सैन्य हेलीकॉप्टर द्वीप के ऊपर से नीचे की ओर उड़ा तो आदिवासी सदस्यों ने विरोध जताने के लिए उस पर तीर चलाए.
तब से नौसेना ने द्वीप के चारों ओर तीन मील का बफर ज़ोन लागू कर दिया है ताकि कोई बाहरी व्यक्ति उसके करीब न आ सके.