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मंत्रालय एकलव्य स्कूलों पर करे पूरा पैसा ख़र्च – संसदीय कमेटी

समिति ने इच्छा व्यक्त की कि जनजातीय कार्य मंत्रालय को प्रत्येक योजना के लिए निर्धारित धनराशि राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन में खर्च हो सके इसके लिए उपायों को सख्ती से लागू करे.

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता संबंधी स्थायी समिति ने बुधवार को जनजातीय मामलों के मंत्रालय से केंद्र सरकार की प्रमुख पहल एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) योजना के कार्यान्वयन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने को कहा.

जनजातीय मामलों के मंत्रालय की अनुदान मांगों (2025-26) पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता संबंधी स्थायी समिति द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया है कि इस योजना के लिए आवंटित धनराशि का पूरा उपयोग जनजातीय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए किया जाना चाहिए.

एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय का उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों में आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है. जिसका लक्ष्य साल 2026 तक 728 स्कूल स्थापित करना है.

पी सी मोहन की अध्यक्षता वाले पैनल ने यह भी सिफारिश की कि मंत्रालय को EMRS में प्रत्येक छात्र पर आने वाले खर्च को संशोधित करना चाहिए और NEST के प्रशासनिक इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना चाहिए.

ईएमआरएस का औसत आने वाला खर्च नवोदय विद्यालय समिति (NVS) के बराबर होना चाहिए. क्योंकि ईएमआरएस का मॉडल एनवीएस पर आधारित है और राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा सोसायटी (NEST) मुख्यालय और प्रस्तावित नौ क्षेत्रीय कार्यालयों के लिए पदों को बढ़ाने के लिए व्यय विभाग के साथ जोरदार तरीके से आगे बढ़ना चाहिए.

समिति ने मंत्रालय से बजटीय आवंटन बढ़ाने के लिए योजनाओं के कार्यान्वयन में बाधाओं को दूर करने के लिए भी कहा.

समिति ने इच्छा व्यक्त की कि जनजातीय कार्य मंत्रालय को प्रत्येक योजना के लिए निर्धारित धनराशि राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन में खर्च हो सके इसके लिए उपायों को सख्ती से लागू करे.

पैनल ने यह भी कहा कि मंत्रालय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि 2024-25 के लिए मंत्रालय को आवंटित धनराशि का पूर्ण उपयोग किया जाए. साथ ही 2025-26 के लिए आवंटित धनराशि को संशोधित अनुमान चरण में नीचे की ओर संशोधित न किया जाए.

पैनल ने यह भी सुझाव दिया कि मंत्रालय को राज्य प्राधिकारियों द्वारा उपयोगिता प्रमाण-पत्र (UC) प्रस्तुत करने में देरी, प्रगति रिपोर्ट और डीपीआर प्रस्तुत करने में देरी जैसे मुद्दों का तत्काल समाधान करना चाहिए.

साथ ही जनजातीय अनुसंधान संस्थानों को सहायता देने के लिए निधियों के उपयोग को बढ़ाने के लिए तकनीकी और प्रक्रियात्मक बाधाओं, प्रशासनिक देरी, क्षमता निर्माण मुद्दों आदि को दूर करने के लिए जरूरी उपाय करने चाहिए.

एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल (EMRS)

साल 1997-98 में सरकार ने आदिवासी इलाकों में पढ़ाई लिखाई की अच्छी व्यवस्था के लिए एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूलकी स्थापना की शुरुआत की.

EMRS आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है.

इन स्कूलों में हॉस्टल की व्यवस्था होती है. साथ ही इन स्कूलों में पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ खेल-कूद, संगीत, संस्कृति के अलावा अन्य कौशल में छात्रों को पारंगत करने का लक्ष्य भी रखा गया था.

साल 2018-19 के बजट में यह व्यवस्था की गई थी कि देश के हर उस ब्लॉक में जहां की कम से कम आधी आबादी आदिवासी है वहां कम से कम एक एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल की स्थापना की जाएगी.

इसके साथ ही यह भी तय हुआ था कि अगर किसी ब्लॉक में 20,000 से ज़्यादा आबादी आदिवासी है तो वहां पर भी ये स्कूल होंगे.

साल 2025-26 तक देशभर में 740 ईएमआरएस की स्थापना का लक्ष्य है.

NESTS की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, देशभर के आदिवासी इलाकों के लिए सरकार द्वारा कुल 728 एकलव्य स्कूल सेंशन किए गए हैं. इनमें से 477 स्कूल फंक्शनल हैं और इन स्कूलों में 1 लाख 37 हज़ार 886 छात्र एनरॉल हैं.

वहीं आम बजट 2025-26 में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों को 7,088.60 करोड़ रुपये मिले हैं.

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