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हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में चंपई सोरेन की जगह क्यों ले रहे हैं?

हेमंत सोरेन तीसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे. राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के बुलावे पर हेमंत सोरेन के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल गुरुवार को दोपहर 12.30बजे राजभवन पहुंचे. राज्यपाल ने हेमंत सोरेन के सरकार बनाने के दावे को स्वीकार करते हुए उन्हें सरकार बनाने का न्योता दिया.

झारखंड में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के मुख्यमंत्री बनने की तैयारी पूरी हो गई है. राजभवन के अधिकारियों ने बताया कि राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन ने हेमंत सोरेन को झारखंड में सरकार बनाने का न्योता दे दिया है.

सूत्रों के मुताबिक हेमंत सोरेन आज शाम राज्य के नए सीएम के तौर पर शपथ लेंगे.

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने बताया कि झामुमो नेता हेमंत सोरेन आज झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.

झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM)  नेता चंपई सोरेन ने बुधवार को ही झारखंड के सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था. उनके इस्तीफे के बाद हेमंत सोरेन ने अपना दावा राज्यपाल के सामने पेश कर दिया था.

राज्य में जेएमएम के सहयोगी दल कांग्रेस और आरजेडी ने इस फैसले का समर्थन किया है.

हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद पांच महीने पहले पार्टी के पुराने वफादार चंपई सोरेन (Champai Soren) ने राज्य की कमान संभाली थी. कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था.

हेमंत सोरेन की वापसी

आख़िर हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री के रूप में वापसी का फैसला क्यों किया? जब 81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा के चुनाव नवंबर-दिसंबर 2024 में होने हैं.

हेमंत को 28 जून को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी. एक हफ्ते बाद वे सीएम के रूप में वापसी करने वाले हैं. ऐसा तब है, जब ईडी कथित तौर पर उन्हें जमानत देने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करने की योजना बना रहा है.

जमानत आदेश में जस्टिस रोंगन मुखोपाध्याय की एकल हाईकोर्ट पीठ ने कहा कि “यह मानने का कारण है” कि सोरेन ईडी द्वारा आरोपित अपराध के दोषी नहीं थे और याचिकाकर्ता द्वारा इसी तरह का अपराध करने की कोई संभावना नहीं थी.

सोरेन निश्चित रूप से हाईकोर्ट की इन टिप्पणियों का इस्तेमाल विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा के खिलाफ करेंगे, जब तक कि जांच एजेंसी को शीर्ष अदालत से राहत नहीं मिल जाती.

हेमंत निश्चित रूप से यह संदेश देना चाहेंगे कि उन्हें केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा ‘झूठे’ मामले में पांच महीने तक जेल में रखा गया था.

यह चुनावी मुद्दा जेएमएम को राज्य में अपनी राजनीतिक किस्मत चमकाने में मदद करेगा. खासकर तब जब वह 2024 के लोकसभा चुनाव में तीन सीटें जीतने के बाद उत्साहित है. जबकि 2019 के आम चुनावों में जेएमएम को एक सीट मिली थी.

झारखंड INDIA ब्लॉक के लिए अहम

इस साल के अंत में महाराष्ट्र और हरियाणा के साथ झारखंड में भी विधानसभा चुनाव होंगे. लेकिन महाराष्ट्र और हरियाणा, जहां एनडीए की सरकार है, उसके विपरीत झारखंड ऐसा राज्य है जहां इंडिया ब्लॉक को अपनी सरकार बचानी है.

सत्तारूढ़ गठबंधन को राज्य में फिर से चुनाव जीतने के लिए सत्ता विरोधी लहर से लड़ना होगा.

2019 में जब JMM ने आम चुनाव में सिर्फ एक लोकसभा सीट जीती थी तो उसने विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया और रघुबर दास के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया.

आंकड़े

हेमंत सोरेन ने झारखंड में अगली सरकार बनाने का दावा पेश किया है. 81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा में वर्तमान में 76 विधायक हैं.

अभी तक की स्थिति के मुताबिक, JMM के नेतृत्व वाले गठबंधन के पास राज्य विधानसभा में बहुमत है, जबकि इसकी संख्या घटकर 45 रह गई है. JMM के पास 27 विधायक हैं, कांग्रेस के पास 17 और राजद के पास 1 विधायक हैं.

JMM के दो विधायक नलिन सोरेन और जोबा माझी अब लोकसभा सदस्य हैं. जबकि जामा विधायक सीता सोरेन ने भाजपा के टिकट पर आम चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दे दिया था.

वहीं झामुमो ने दो विधायकों – बिशुनपुर विधायक चमरा लिंडा और बोरियो विधायक लोबिन हेम्ब्रोम को भी पार्टी से निकाल दिया है.

विधानसभा में भाजपा की ताकत भी घटकर 24 रह गई है. क्योंकि उसके दो विधायक – ढुलू महतो (बाघमारा) और मनीष जायसवाल (हजारीबाग) अब लोकसभा सांसद हैं.

वहीं बीजेपी ने मांडू विधायक जयप्रकाश भाई पटेल को भी पार्टी से निकाल दिया क्योंकि वे चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस में शामिल हो गए थे.

भाजपा की प्रतिक्रिया

नेतृत्व परिवर्तन ने विपक्षी भाजपा को झामुमो को परिवारवादी पार्टी कहने का मौका दे दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड भाजपा प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि इस फैसले से पता चलता है कि शिबू सोरेन परिवार से बाहर के आदिवासी नेता पार्टी के लिए सिर्फ ‘काम चलाव’ हैं. चंपई सोरेन एक आदिवासी नेता हैं.

असम के मुख्यमंत्री और भाजपा के झारखंड सह-प्रभारी हेमंत बिस्वा सरमा ने एक्स पर लिखा, “झामुमो और कांग्रेस द्वारा एक वरिष्ठ आदिवासी नेता को मुख्यमंत्री पद से हटाना बेहद दुखद है.”

वहीं झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के इस्तीफे पर टिप्पणी करते हुए भाजपा के राज्यसभा सदस्य दीपक प्रकाश ने इस कदम की आलोचना की और कहा, “झारखंड में फिर से परिवारवाद पर आधारित सरकार बनेगी. लोग पूछ रहे हैं कि क्या राज्य में खनिज संपदा की फिर से लूट होगी, क्या फिर से शराब घोटाले होंगे और क्या फिर से जमीन घोटाले की कहानियां सामने आएंगी.”

चंपई सोरेन के लिए आगे क्या?

कुछ मीडिया रिपोर्टों से पता चला है कि हेमंत मुख्यमंत्री के रूप में वापस आने के लिए उत्सुक नहीं थे. लेकिन चंपई सोरेन की छवि उनकी सरकार के बारे में कुछ आरोपों के कारण खराब हो गई थी. JMM वह जोखिम नहीं उठाना चाहता था और इसलिए हेमंत ने पदभार संभालने का फैसला किया.

हालांकि, इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चंपई को चुनाव से कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने पर संदेह था. चंपई ने यह भी बताया कि क्योंकि हेमंत जमानत पर हैं इसलिए उनकी सरकार को अस्थिर करने की कोशिशें हो सकती हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में एक अज्ञात सूत्र के हवाले से कहा गया है कि चंपई सोरेन ‘जल्दबाजी’ के खिलाफ थे.

लेकिन कांग्रेस और आरजेडी से गठबंधन सरकार में सभी इंडिया ब्लॉक के सहयोगियों ने हेमंत का समर्थन किया.

इंडिया ब्लॉक ने जोर देकर कहा कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में जेएमएम ने 2019 का विधानसभा चुनाव जीता और चुनाव के करीब उनके नेतृत्व में सत्तारूढ़ गठबंधन के पक्ष में परिणाम आएंगे. नेताओं ने आखिरकार चंपई सोरेन को पद छोड़ने के लिए मना लिया.

ऐसे में चंपई को अगली हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री के रूप में शामिल किए जाने की संभावना है. चंपई कोल्हान क्षेत्र में एक लोकप्रिय नेता हैं, जो झारखंड विधानसभा में 14 सदस्य भेजता है.

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