झारखंड विधान सभा चुनाव (Jharkhand Vidhan Sabha Election) में बीजेपी का घोषणा पत्र जारी हो गया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य के सभी बड़े बीजेपी नेताओं की उपस्थिति में रविवार को रांची में यह घोषणापत्र सबके सामने रखा.
अमित शाह ने पार्टी का घोषणा पत्र जारी करते हुए ऐलान किया कि झारखंड में समान नागरिक संहिता यानि UCC लागू किया जाएगा. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के आदिवासी समुदायों को समान नागरिक संहिता के दायरे से बाहर रखा जाएगा.
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने आदिवासी समुदाय के लिए कई अहम वादे किए हैं. इसमें पाँच लाख युवाओं के लिए नौकरियां, महिलाओं के लिए ₹2,100 मासिक सहायता, सभी के लिए आवास योजना और प्रत्येक परिवार को ₹500 की कीमत पर रसोई गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने का वादा शामिल है.
बीजेपी ने 25 वर्षों के झारखंड राज्य स्थापना को चिह्नित करते हुए 150-बिंदु घोषणापत्र जारी किया है. इसमें आदिवासी नायक बिरसा मुंडा के आदर्शों पर आधारित कई योजनाएँ भी होंगी
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के लिए जारी घोषणापत्र में आदिवासी समुदाय, अवैध घुसपैठ, खनन और कल्याणकारी योजनाओं को केंद्रित रखते हुए मोटेतौर पर ये वादे किए हैं –
1.आदिवासी समुदाय से जुड़ी योजनाएँ और घुसपैठ पर रोक
संताल परगना क्षेत्र में अवैध घुसपैठ के मुद्दे पर भाजपा ने कहा कि वे “बांग्लादेशी घुसपैठियों” को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएंगे. भाजपा ने वादा किया है कि अवैध घुसपैठियों से आदिवासी भूमि वापस ली जाएगी, और आदिवासी महिलाओं से शादी करने वाले बाहरी लोगों के बच्चों को आदिवासी दर्जा नहीं दिया जाएगा, ताकि आदिवासी समुदाय के अधिकार सुरक्षित रह सकें.
2. यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) और आदिवासी समुदायों को छूट
भाजपा ने घोषणा की है कि वे सत्ता में आने पर UCC लागू करेंगे, लेकिन आदिवासियों को इससे बाहर रखा जाएगा. इसके साथ ही, भाजपा ने पेसा (PESA) कानून को लागू करने की बात की है, जिससे आदिवासी क्षेत्रों की ग्राम सभाओं को अधिक शक्ति और स्वायत्तता मिलेगी. इससे खनिज संसाधनों के प्रबंधन में भी ग्राम सभा की भागीदारी सुनिश्चित होगी.
3. खनन पर नियंत्रण
भाजपा ने खनन गतिविधियों में पारदर्शिता लाने के लिए हर छह महीने में जिला खनिज फाउंडेशन फंड का स्वतंत्र ऑडिट कराने का वादा किया है. अवैध खनन, विशेष रूप से अवैध बालू खनन पर रोक लगाने और पंचायतों को बालू निकासी का अधिकार देने की भी योजना बनाई गई है.
4. युवाओं के लिए रोजगार और सरकारी नौकरियाँ
भाजपा ने 2,87,500 सरकारी पदों पर निष्पक्ष भर्ती का वादा किया है . पार्टी ने कहा है कि सत्ता में आने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में ही भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. स्नातक और स्नातकोत्तर बेरोजगार युवाओं के लिए ₹2000 मासिक भत्ता देने का भी वादा किया गया है. इसके अलावा, पाँच लाख स्वरोजगार के अवसर भी सृजित करने की बात कही गई है.
5. महिला सशक्तिकरण और कल्याणकारी योजनाएँ
‘गोगो दीदी योजना’ के तहत महिलाओं के खाते में हर महीने ₹2,100 देने और ‘लक्ष्मी जोहार योजना’ के अंतर्गत ₹500 में एलपीजी सिलेंडर देने का वादा किया गया है. बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों के लिए ₹2,500 मासिक पेंशन देने की भी घोषणा की गई है.
6. अपराध, भ्रष्टाचार और सुरक्षा
भाजपा ने “झारखंड संगठित अपराध एवं माफिया नियंत्रण अधिनियम” लाने का वादा किया है, जिससे राज्य में संगठित अपराधों और माफिया गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई हो सके. इसके साथ ही, भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘शून्य सहिष्णुता’ नीति के तहत जनता को सीधे शिकायत करने की सुविधा देने का वादा किया है.
बीजेपी ने अपना घोषणा पत्र जारी करते हुए कहा है कि वह रोटी, बेटी और माटी तीनों का संरक्षण करेगी. बीजेपी के इस घोषणा पत्र को देख कर यह अंदाजा़ा लगाया जा सकता है कि पार्टी ने आदिवासी समुदायों का विश्वास जीतने की कोशिश की है.
इस घोषणा पत्र में शामिल बड़े वादों के अलावा कई अन्य घोषणाएं भी आदिवासी समुदायों को ध्यान में रख कर की गई हैं. मसलन कोल्हान क्षेत्र के लिए पार्टी ने घोषणा की है कि आदिवासी भाषाओं को परीक्षा के माध्यम के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा.
कोल्हान क्षेत्र में आदिवासी समुदाय भाषा के मुद्दे पर काफ़ी सचेत हैं. यहां पर लंबे समय से हो आदिवासी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल करने की मांग हो रही है. इस मांग के समर्थन में कई सालों से आंदोलन चल रहा है.
लेकिन इस मुद्दे पर बीजेपी का घोषणा पत्र ख़ामोश है. इसके अलावा भी आदिवासी जीवन, जीविका और संस्कृति से जुड़े कई मुद्दे हैं जिन पर बीजेपी का यह घोषणा पत्र कुछ नहीं कहता है.
इनमें सबसे बड़ा मुद्दा सरना धर्म कोड को मान्यता देने का है. लेकिन इस सवाल पर भी बीजेपी का घोषणा पत्र चुप ही है. सरना धर्म के अलावा आदिवासी समुदाय जनगणना में अपनी पहचान अलग से दर्ज कराने की मांग भी कर रहे हैं.
जनगणना में आदिवासी की अलग से पहचान के मुद्दे पर भी बीजेपी घोषणा पत्र में कुछ नहीं कहा गया है. बीजेपी अपने संकल्प पत्र में रोटी, बेटी और माटी की बात कर रही है. दरअसल बीजेपी इन तीन बातों के ज़रिए आदिवासी बनाम मुसलमान की बहस को हवा दे रही है.
झारखंड में आदिवासी की संस्कृति, धार्मिक पहचान और ज़मीन से जुड़े ज़्यादातर बड़े मुद्दों पर बीजेपी ने कुछ भी नहीं कहा है. बीजेपी को यह ध्यान रखना चाहिए था कि झारखंड में उससे इसलिए नराज़ हुए थे क्योंकि रघुबरदास सरकार ने (बीजेपी सरकार) छोटा नागपुर काश्तकारी क़ानून (CNT) और संथाल परगना काश्तकारी क़ानून के साथ छेड़छाड़ की कोशिश की थी.
इसलिए बीजेपी इस संकल्प पत्र के सहारे आदिवासियों का भरोसा जीत पाएगी ऐसा लगता नहीं है.