झारखंड में दूसरे और आखिरी चरण में 38 विधानसभा सीटों के लिए बुधवार 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. इन सीटों के लिए सोमवार (18 नवंबर) की शाम चुनाव प्रचार थम गया. यह 38 सीटें झारखंड में सत्ता की तस्वीर और दलों-गठबंधन की तकदीर तय करेगी.
पहले चरण की तरह इस बार भी इन सीटों पर मुख्य मुकाबला एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच है. लेकिन 10 सीटों पर जयराम महतो की पार्टी झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) उम्मीदवार भी चुनाव परिणाम तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Election) के आखिरी चरण में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, जेएमएम की स्टार प्रचारक कल्पना सोरेन, जेएलकेएम के अध्यक्ष जयराम महतो समेत अन्य दिग्गजों का राजनीतिक भविष्य तय होगा.
प्रचार के आखिरी दिन बीजेपी-एनडीए की ओर से यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, लोजपा (रामविलास) प्रमुख एवं केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, असम के सीएम हिमंता बिस्व सरमा ने किया.
वहीं इंडिया ब्लॉक की ओर से लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, सीएम हेमंत सोरेन, जेएमएम की स्टार प्रचारक कल्पना सोरेन जैसे नेताओं ने 20 से अधिक जनसभाएं की.
दूसरे चरण में संथाल परगना प्रमंडल और उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल की 18-18 और दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल की दो सीटें शामिल हैं. इस चरण की आठ सीटें अनुसूचित जनजाति और तीन अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हैं, जबकि सामान्य सीटों की संख्या 27 है.
आख़िरी चरण की 38 सीटों में से 28 सीटों पर एनडीए और इंडिया में सीधा मुकाबला है. लेकिन 10 सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति है.
2019 के नतीजे क्या थे?
2019 में इन सीटों पर हुए चुनाव में सबसे ज्यादा 13 सीटों पर जेएमएम ने जीत दर्ज की थी, जबकि 12 सीटें बीजेपी के खाते में गई थीं. कांग्रेस को 8, झारखंड विकास मोर्चा और आजसू पार्टी को 2-2 एवं सीपीआईएमएल को 1 सीट पर जीत हासिल हुई थी.
इस चरण में कुल 528 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, जिनकी किस्मत कुल 1 करोड़ 23 लाख 58 हजार 195 मतदाता तय करेंगे. इन सभी सीटों पर कुल मिलाकर 14,218 मतदान केंद्र बनाए गए हैं, जहां पोलिंग पार्टियां 19 नवंबर की शाम तक पहुंच जाएंगी.
31 अतिसंवेदनशील मतदान केंद्र ऐसे हैं, जहां सुबह सात से शाम चार बजे तक ही मतदान होगा. इन्हें छोड़ अन्य सभी केंद्रों पर शाम पांच बजे तक वोट डाले जा सकेंगे.
प्रमुख प्रत्याशी
इस चरण के चुनाव में प्रमुख प्रत्याशियों में हेमंत सोरेन, बाबूलाल मरांडी, लोबिन हेम्ब्रम, हेमलाल मुर्मू, स्टीफन मरांडी, रबिन्द्रनाथ महतो और सीता सोरेन शामिल है.
इसके अलावा बसंत सोरेन, लुईस मरांडी, बादल, हफीजुल हसन, रणधीर सिंह, प्रदीप यादव, दीपिका पांडेय सिंह, कल्पना सोरेन, अमर बाउरी, पूर्णिमा नीरज सिंह और सुदेश महतो का नाम शामिल हैं.
आदिवासी आरक्षित सीटों का सियासी समीकरण
झारखंड विधानसभा चुनाव में आदिवासी आरक्षित सीटें किसी भी पार्टी के लिए बेहद अहम है. दूसरे चरण में 8 आदिवासी आरक्षित सीटों पर मतदान होगा. इसमें बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाड़ा, महेशपुर, शिकारीपाड़ा, दुमका, जामा, घाटशिला और पोटका शामिल है.
बरहेट विधानसभा सीट
बरहेट विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगातार तीसरी बार जीत हासिल करने के लिए चुनाव मैदान में हैं. सोरेन ने इस सीट से साल 2014 और 2019 में जीत हासिल की थी.
बीजेपी ने इस बार गमालियेल हेम्ब्रम को चुनाव मैदान में उतारा है. पिछले चुनाव में भी गमालियेल आजसू पार्टी टिकट पर चुनाव मैदान में थे, लेकिन उन्हें करीब 2500 वोट ही मिले थे.
शिक्षक की नौकरी छोड़ कर राजनीति में आए गमालियेल को बीजेपी के परंपरागत वोटरों से समर्थन मिलने की उम्मीद है. वहीं बरहेट क्षेत्र पिछले चार दशक से अधिक समय से जेएमएम का गढ़ रहा है.
जामा विधानसभा सीट
जामा विधानसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला होगा. इस सीट से तीन बार की विधायक रहीं सीता सोरेन की जगह जेएमएम ने अब डॉक्टर लुईस मरांडी को उम्मीदवार बनाया है. लुईस मरांडी विधानसभा चुनाव में दुमका सीट से टिकट नहीं मिलने पर बीजेपी छोड़ कर जेएमएम में शामिल हुईं.
वहीं बीजेपी ने एक बार फिर से सुरेश मुर्मू को उम्मीदवार बनाया है. सुरेश मुर्मू ने पिछले चुनाव में यहां सीता सोरेन को कड़ी टक्कर दी थी, लेकिन वो करीब 2200 वोटों से चुनाव हार गए थे.
दुमका विधानसभा सीट
दुमका सीट को जेएमएम की परंपरागत सीटों में से एक माना जाता है. इस बार दुमका विधानसभा सीट से शिबू सोरेन के छोटे बेटे बसंत सोरेन लगातार दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं. उनका मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार सुनील सोरेन से है. सुनील दुमका से शिबू सोरेन को लोकसभा चुनाव में हरा चुके हैं.
दुमका सीट से 2019 के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन झामुमो प्रत्याशी के रूप में जीते थे. बाद में हेमंत सोरेन ने यह सीट खाली कर दी थी. इसके बाद हुए उप चुनाव में सोरेन के भाई बसंत सोरेन जीते थे.
2019 में पहली बार हेमंत सोरेन ने भाजपा प्रत्याशी लुईस मरांडी को हराया था. उप चुनाव में बसंत सोरेन ने लुईस मरांडी को हराया था.
इस बार भाजपा ने मरांडी का टिकट यहां से काट दिया है. लोकसभा चुनाव में टिकट देकर काटने वाले सुनील सोरेन को प्रत्याशी बनाया है.
बोरियो विधानसभा सीट
बोरियो में इस बार बीजेपी के लोबिन हेम्ब्रम और जेएमएम के धनंजय सोरेन के बीच मुकाबला है. लोबिन हेम्ब्रम बोरियो सीट से पांच विधायक रह चुके हैं. चार बार वो जेएमएम टिकट पर चुनाव लड़े, जबकि एक बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विजयी रहे.
पिछले चुनाव में भी लोबिन हेम्ब्रम जेएमएम टिकट पर जीत हासिल की थी लेकिन लोकसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ने पर उन्हें बोरियो क्षेत्र से सिर्फ 14 हजार वोट मिले. वहीं जेएलकेएम प्रत्याशी सूर्य नारायण हांसदा भी चुनाव मैदान में हैं.
लिट्टीपाड़ा विधानसभा सीट
लिट्टीपाड़ा विधानसभा सीट से जेएमएम ने इस बार हेमलाल मुर्मू को उम्मीदवार बनाया है. वहीं बीजेपी ने बाबूधन मुर्मू को मैदान में उतारा है.
साल 2019 के चुनाव में इस सीट से जेएमएम के दिनेश विलियम मरांडी ने जीत हासिल की थी. लेकिन जेएमएम से टिकट कटने के बाद दिनेश विलियम मरांडी अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. दिनेश विलियम मरांडी के पिता साइमन मरांडी और मां सुशीला हांसदा भी इस सीट से 7 बार चुनाव जीत चुकी हैं.
महेशपुर विधानसभा सीट
महेशपुर विधानसभा सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता स्टीफन मरांडी चुनाव मैदान में हैं.साल 2019 के चुनाव में भी स्टीफन मरांडी इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं.
इस बार बीजेपी ने नवीन हेंब्रम को चुनाव मैदान में उतारा है. महेशपुर सीट परंपरागत रूप से जेएमएम का किला रहा है लेकिन इस सीट से बीजेपी को भी एक बार जीत चुकी हैं.
शिकारीपाड़ा विधानसभा सीट
शिकारीपाड़ा विधानसभा सीट से जेएमएम ने इस बार सांसद नलिन सोरेन के पुत्र आलोक सोरेन को मैदान में उतारा है. जबकि उनके सामने बीजेपी के पारितोष सोरेन मैदान में है.
शिकारीपाड़ा विधानसभा सीट से जेएमएम के नलिन सोरेन सात बार चुनाव जीत चुके हैं, इस बार लोकसभा चुनाव में नलिन सोरेन को जीत मिली, जिसके बाद उन्होंने अपने पुत्र आलोक को चुनाव मैदान में उतारा हैं.