झारखंड में 49 वर्षीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का दूसरे कार्यकाल के लिए स्वागत किया जा रहा है क्योंकि झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाला उनका गठबंधन विधानसभा की 81 सीटों में से 57 पर आगे चल रहा है.
अब तक हुई वोटों की गिनती में साफ हो चुका है कि इंडिया गठबंधन शानदार बहुमत के साथ सत्ता में आ रही है.
ऐसे में शनिवार दोपहर को जीत सुनिश्चित होने के बाद मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में 149 दिन जेल में बिताने वाले सोरेन ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में अपनी पत्नी कल्पना सोरेन और उनकी टीम को साल 2000 में राज्य की स्थापना के बाद से किसी भी विजयी गठबंधन द्वारा हासिल की गई सबसे अधिक सीटों का श्रेय दिया.
उन्होंने कहा कि इस जीत के लिए हमने अपना होमवर्क किया था और अपने लक्ष्य निर्धारित किए थे. हम जानते थे कि यह लड़ाई मुश्किल होने वाली है इसलिए हमने अपनी टीम के साथ बहुत सारा ग्राउंड वर्क किया. यह बहुत बढ़िया टीम वर्क था और हमने वह संदेश दिया जो हम देना चाहते थे.
सोरेन ने कहा कि आपने देखा कि हमने लोकसभा चुनावों में कैसा प्रदर्शन किया (झामुमो-कांग्रेस गठबंधन ने 14 में से 5 सीटें जीतीं); अगर मैं जेल से बाहर होता तो हम बहुत बेहतर प्रदर्शन कर सकते थे. उस समय मेरी पत्नी कल्पना सोरेन ने वन-मैन आर्मी के रूप में काम किया और इस बार हम दो लोग थे.
जब उनसे पूछा गया कि प्रचार अभियान में भाजपा ने ज्यादातर घुसपैठ (बांग्लादेशियों द्वारा) के बारे में बात की ताकि आदिवासी वोटों को विभाजित किया जा सके. क्या आपको लगता है कि यह उनके लिए एक समस्या बन गई?
तो उन्होंने कहा कि हां, मुख्य बात यह है कि लोग किसकी बात सुन रहे हैं और वे इससे क्या सीखते हैं. मतदाता और नेता के बीच का रिश्ता क्लास के टीचर और स्टूडेंट जैसा होना चाहिए, एक तरह का समन्वय ज़रूरी है और शिक्षक को छात्र की जरूरतों को समझने में सक्षम होना चाहिए.
लोगों ने देखा कि पिछले पांच सालों में हम उनके साथ कैसे थे, उन्होंने हमें बहुत करीब से देखा. यह एक क्षेत्रीय चुनाव भी था इसलिए यह अलग था. हर मुद्दा जो मतदाताओं के दिमाग में चल रहा था, हमने सुनिश्चित किया कि हम उन सवालों का जवाब दें. हमने उन चीजों पर ध्यान केंद्रित किया जो भाजपा गलत कर रही थी और इस बात पर जोर दिया कि हम क्या सही कर रहे हैं.
हेमंत सोरेन ने आदिवासी आबादी को संगठित और एकजुट करने का श्रेय अपने पिता (शिबू सोरेन) को दिया.
उन्होंने कहा कि यह पहली बार था कि वे अभियान में हमारे साथ नहीं थे लेकिन लोगों ने उनके संघर्ष और योगदान को नहीं भुलाया.
मैय्या सम्मान योजना के बारे में सोरेन ने कहा कि हमारा राज्य भारत के सबसे गरीब राज्यों में से एक है. यहां हर रुपये का बहुत महत्व है, खासकर ऐसी महंगाई के समय में. हमने पहले ही तय कर लिया था कि सामाजिक सुरक्षा हमारी मुख्य प्राथमिकता होगी और इसलिए हमने इस कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित किया और देख रहे हैं कि यह कैसे काम करता है.
जब सोरेन से पूछा गया कि क्या इस चुनाव को लेकर उनके ऊपर बहुत दबाव था तो उन्होंने कहा कि हां, बहुत. मैं आपको बता भी नहीं सकता कि कितना. जब मैं भाषण देता था, तो ऐसा लगता था कि मेरे अंदर खून बह रहा है. यह बहुत मुश्किल था. मुझे नहीं लगता कि मैंने ऐसा चुनाव देखा है और मुझे नहीं लगता कि मैं कभी देखूंगा.
हेमंत और कल्पना की जोड़ी
आदिवासी समाज झामुमो का कोर वोट बैंक है. लेकिन हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को जेएमएम ने आदिवासी अस्मिता से जोड़ दिया. जेएमएम के इस दांव से आदिवासी वोटबैंक पर हेमंत और उनकी पार्टी की पकड़ और भी मजबूत हुई. लोकसभा चुनाव में आदिवासी बहुल इलाकों में जेएमएम और इंडिया ब्लॉक का प्रदर्शन अच्छा रहा था.
विधानसभा चुनाव में में आदिवासी सीटों पर जेएमएम की लीड इसी तरह का संकेत मानी जा रही है.
हेमंत सोरेन के जेल जाने से पहले तक उनकी पत्नी कल्पना सोरेन की इमेज एक कुशल गृहिणी की थी. सियासत से दूर रहने वाली कल्पना पति के जेल जाने के बाद सियासत में एक्टिव हुईं.
कल्पना के सियासत में आने से भी हेमंत को ताकत मिली. कल्पना न सिर्फ चुनावी रैलियों के मामले में पति हेमंत के साथ कदम से कदम मिलाकर चलती दिखीं बल्कि बीजेपी का साइलेंट वोटर मानी जाने वाली महिला मतदाताओं को जेएमएम के पक्ष में करने में सफल रहीं.