जैसे-जैसे झारखंड की दुमका सीट पर लोकसभा चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार अपने लिए ज्यादा से ज्यादा समर्थन जुटाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.
जहां बीजेपी इस प्रतिष्ठित सीट को बरकरार रखने के लिए जेएमएम की पूर्व अध्यक्ष सीता सोरेन पर भरोसा कर रही है. वहीं जेएमएम के दिग्गज नेता और सात बार के शिकारीपाड़ा विधायक नलिन सोरेन जीत हासिल करने के लिए बड़े पैमाने पर पारंपरिक वोट बैंकों की गोलबंदी पर भरोसा कर रहे हैं.
यह पहली बार है कि झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन खराब स्वास्थ्य के कारण चुनाव प्रचार में सक्रिय रूप से शामिल नहीं हो पाए हैं. वहीं मजबूर परिस्थितियों के कारण उनकी पारंपरिक सीट के लिए पार्टी का टिकट सोरेन परिवार के बाहर के किसी व्यक्ति को आवंटित किया गया है.
इन परिस्थितियों में शिबू सोरेन के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ईडी द्वारा गिरफ्तारी भी शामिल है.
दुमका लोकसभा सीट, जिसमें तीन जिलों – दुमका, जामताड़ा और देवघर के छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. उसको पारंपरिक रूप से झामुमो का गढ़ माना जाता है.
हालांकि, शिबू सोरेन की बड़ी बहू और जामा (दुमका) से तीन बार की विधायक सीता सोरेन को भाजपा द्वारा मैदान में उतारे जाने के बाद झामुमो नेतृत्व सीट सुरक्षित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है.
क्योंकि सीता की जीत के दीर्घकालिक राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं. खासकर उनके भाजपा में शामिल होने पर मतदाताओं के जनादेश के संदर्भ में.
झामुमो के वरिष्ठ पदाधिकारी सुशील दुबे ने कहा, “सीता की जीत की संभावना कम है. आदिवासी, अल्पसंख्यक और अन्य सीमांत वर्ग का झामुमो का समर्थन आधार बरकरार है. जो जेल में बंद हेमंत सोरेन के प्रति चल रही सहानुभूति लहर के कारण पार्टी उम्मीदवार नलिन सोरेन के पक्ष में अधिक आक्रामक तरीके से वोट डालने जा रहे हैं. साथ ही सत्तारूढ़ सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न विकास और सामाजिक सुरक्षा योजनाएं भी भाजपा से जुड़े अन्य मतदाताओं का महत्वपूर्ण बदलाव सुनिश्चित करेंगी.”
दूसरी ओर भाजपा मौजूदा मोदी लहर पर भरोसा करती दिख रही है. जैसा कि पार्टी के मौजूदा सांसद सुनील सोरेन को शुरू में पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के रूप में नामित करने के बावजूद उन्हें हटाकर एक दलबदलू उम्मीदवार को मैदान में उतारने के उनके निर्णय से स्पष्ट है.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि सुनील को बाहर करने से उनके कुछ करीबी भाजपा कार्यकर्ताओं को निराशा हो सकती है. लेकिन वे सभी पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार सीता सोरेन को सुरक्षित करने में व्यस्त हैं ताकि पार्टी के 400+ लोकसभा सीटें जीतने के लक्ष्य में योगदान दिया जा सके..
लेकिन नेता यह भी कहते हैं कि सुनील के प्रतिस्थापन से सत्ता विरोधी लहर खत्म हो जाएगी जो उनके मतदाताओं के ज्वलंत मुद्दों के प्रति उनकी उदासीनता के कारण उनके खिलाफ व्याप्त थी.
दुमका लोकसभा सीट पर लोकसभा चुनाव के आखिरी और सातवें चरण में 1 जून को मतदान होगा.