HomeElections 2024महाराष्ट्र में महायुति ने वन अधिकार कानून के क्रियान्वयन में बाधा डाली,...

महाराष्ट्र में महायुति ने वन अधिकार कानून के क्रियान्वयन में बाधा डाली, आदिवासियों को लाभ से वंचित किया: कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि भाजपा और महायुति एफआरए के क्रियान्वयन में लगातार बाधा डाल रहे हैं, जिससे लाखों आदिवासी इसके लाभों से वंचित हो गए हैं.

महाराष्ट्र में अगले महीने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राज्य में सत्तारूढ़ ‘महायुति’ गठबंधन राज्य में वन अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन में अवरोध पैदा कर रहा है जिससे लाखों आदिवासी इसके लाभ से वंचित हो गए हैं.

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी और महायुति सरकार पर निशाना साधते हुए एक बयान में कहा, ‘‘साल 2006 में कांग्रेस ने क्रांतिकारी वन अधिकार अधिनियम (FRA) पारित किया था. इस कानून ने आदिवासियों और वनों में रहने वाले अन्य समुदायों को अपने जंगलों का प्रबंधन करने और उनसे प्राप्त उपज से आर्थिक लाभ उठाने का कानूनी अधिकार दिया था.’’

दरअसल, सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में एकनाथ शिंदे की शिवसेना, भाजपा और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी शामिल हैं.

वहीं विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (एसपी) शामिल हैं.

जयराम रमेश ने आगे कहा कि एफआरए व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों अधिकार प्रदान करता है और अप्रैल 2011 में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में मेंडा लेखा वन अधिकार विशेषाधिकार सुरक्षित करने वाला पहला समुदाय बना, जिसमें ग्राम सभा को बांस के उपयोग पर नियंत्रण मिल गया.

रमेश ने आरोप लगाया कि भाजपा और महायुति एफआरए के क्रियान्वयन में लगातार बाधा डाल रहे हैं, जिससे लाखों आदिवासी इसके लाभों से वंचित हो गए हैं.

उनके मुताबिक, इस कानून के तहत दायर 4 लाख 1 हज़ार 46 व्यक्तिगत दावों में से सिर्फ 52 प्रतिशत (2 लाख 6 हज़ार 620) ही मंजूर किए गए हैं.

कांग्रेस नेता ने कहा कि तब से महाराष्ट्र में वितरित भूमि के टाइटल सामुदायिक अधिकारों के लिए पात्र 50,045 वर्ग किलोमीटर में से केवल 23.5 प्रतिशत (11,769 वर्ग किलोमीटर) को कवर करते हैं.

उनका कहना है, ‘‘वन अधिकार अधिनियम का निष्पक्ष और ईमानदारीपूर्वक क्रियान्वयन कांग्रेस के छह सूत्री आदिवासी संकल्प की प्रमुख प्राथमिकता है, जिसकी घोषणा राहुल गांधी ने 12 मार्च, 2024 को ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान नंदुरबार में की थी.’’

संकल्प के छह बिंदुओं के बारे में बताते हुए रमेश ने कहा, ” पहला, जल-जंगल-जमीन का कानूनी अधिकार: एक वर्ष के भीतर लंबित वन अधिकार अधिनियम दावों (पट्टों) का निपटारा. सभी खारिज किए गए दावों की समीक्षा के लिए एक पारदर्शी प्रक्रिया छह महीने के भीतर स्थापित की जाएगी.”

उन्होंने कहा कि दूसरा बिंदु “सुधार” का है, जिसमें वन संरक्षण अधिनियम और भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार में मोदी सरकार द्वारा किए गए सभी आदिवासी विरोधी संशोधनों को वापस लेना शामिल है.

उन्होंने आगे बताया कि संकल्प के तहत तीसरा बिंदु “पहचान” है, जिसमें उन सभी बस्तियों को अनुसूचित क्षेत्रों के रूप में अधिसूचित करना शामिल है जहां एसटी सबसे बड़ा सामाजिक समूह है.

उन्होंने कहा कि संकल्प में “अपनी धरती, अपना राज” भी शामिल है, जिसमें पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम को लागू करने के लिए राज्य कानून बनाने और वास्तविक “ग्राम स्वशासन” स्थापित करने की बात कही गई है.

साथ ही “स्वाभिमान” भी शामिल है, जिसमें लघु वन उपज को दिए जाने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी प्रदान करने की बात कही गई है.

जयराम रमेश ने कहा कि छठा बिंदु “बजट अधिकार” का है. जिसमें कहा गया है कि अनुसूचित जातियों/जनजातियों के लिए बजट का हिस्सा कानूनी रूप से उनकी जनसंख्या के हिस्से के बराबर होना चाहिए.

महाराष्ट्र में सभी 288 सीटों पर एक ही चरण में 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे और मतगणना 23 नवंबर को होगी, जो मौजूदा महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने से एक दिन पहले होगा. राज्य की की 288 विधानसभा सीटों में से 25 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments