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हार के बाद हिमंत बिस्व सरमा ने कहा -‘कभी दावा नहीं किया कि भाजपा झारखंड चुनाव जीतेगी’

हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि वह अब घुसपैठ के मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे क्योंकि झारखंड में भाजपा के सह-प्रभारी के तौर पर उन्होंने जो कुछ भी कहना था, कह दिया है.

23 नवंबर को झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आए और राज्य में सत्ताधारी गठबंधन की वापसी हुई है. राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) नीत गठबंधन ने चुनाव में 56 सीट के साथ शानदार जीत दर्ज करते हुए सत्ता अपने पास बरकरार रखी.

81 सदस्यीय विधानसभा में 56 सीटें इंडिया ब्लॉक ने अपने नाम की जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को महज 24 सीटों से संतोष करना पड़ा.

अब बीजेपी की इस करारी हार के बाद असम के मुख्यमंत्री और झारखंड भाजपा के चुनाव सह प्रभारी हिमंत बिस्व सरमा ने रविवार को कहा कि उन्होंने कभी यह दावा नहीं किया कि भाजपा झारखंड में विधानसभा चुनाव जीतेगी और अगली सरकार बनाएगी.

सरमा ने कहा, “जब भी आप (मीडिया) मुझसे झारखंड के बारे में पूछते थे तो मैं कहता था कि यह एक मुश्किल राज्य है. मैंने कभी दावा नहीं किया कि हम जीतेंगे. हमारी पार्टी के लिए वहां चुनाव लड़ना एक कठिन काम था लेकिन हमने मौजूदा परिस्थितियों में अच्छा काम किया.”

भाजपा नेता ने कहा कि पार्टी किसी भी कारण से लक्ष्य हासिल नहीं कर सकी और उन्होंने प्रयास करते रहने की आवश्यकता पर जोर दिया.

सरमा ने कहा, “जब भी हम किसी चीज में असफल होते हैं, तो असफल प्रयास भविष्य की सफलता की नींव का काम करता है.”

सरमा ने आगे कहा, “मैंने राज्य में बहुत समय बिताया लेकिन अपने मिशन में असफल रहा. लेकिन मैं हमेशा आपके प्यार को याद रखूंगा. मैं आपके प्यार और समर्थन के लिए आभारी हूं.”

असम के मुख्यमंत्री ने हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के लिए “घुसपैठ” के मुद्दे को संबोधित करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया. साथ ही उन्होंने इसे “संवैधानिक कर्तव्य” बताया.

“वे कितना करेंगे, इसका पूर्वानुमान लगाना मेरे लिए सही नहीं होगा. असम के मुख्यमंत्री के रूप में मैं इस मामले पर अब और टिप्पणी नहीं करूंगा. जब मैं पार्टी का सह-प्रभारी था, तब मैंने जो कुछ भी कहना था, कह दिया.”

भाजपा नेता ने कहा कि वह झामुमो के नेतृत्व वाली नई सरकार के कार्यों के बारे में पहले से कोई राय नहीं बनाएंगे.

सरमा ने यह भी कहा कि वह अब घुसपैठ के मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे क्योंकि झारखंड में भाजपा के सह-प्रभारी के तौर पर उन्होंने जो कुछ भी कहना था, कह दिया है.

उन्होंने कहा, “किसी भी सरकार को घुसपैठ के मामले में समझौता नहीं करना चाहिए क्योंकि इसका अंतिम परिणाम जनसांख्यिकीय परिवर्तन होगा, जिसका असर सभी पर पड़ेगा.”

सरमा ने नए भाजपा विधायकों से राज्य विधानसभा में इस मुद्दे को उठाने का आग्रह किया और कहा कि “घुसपैठ” आने वाले दिनों में राज्य को “काफी नुकसान” पहुंचाएगी.

उन्होंने कहा, “यह आपकी (झामुमो) सरकार है और मैं आपसे अपील करता हूं कि इन घुसपैठियों को वापस खदेड़ें या कम से कम उनकी पहचान करें.”

विधानसभा चुनाव के लिए सह प्रभारी बनने के बाद हिमंत बिस्व सरमा ने झारखंड में ‘बांग्लादेशी घसुपैठ’ का मुद्दा उठाया था. बाद में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने भी इस मुद्दे को चुनावी सभा में बार-बार दोहराया था.

बीजेपी की तरफ से कहा जा रहा था कि इस तरह की घुसपैठ से राज्य की डेमोग्राफ़ी बदल जाएगी. इसके लिए बीजेपी ने ‘रोटी, बेटी और माटी’ का नारा दिया था.

बीजेपी शुरू से ही गलत पिच पर चली गई थी. लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी ने सिर्फ और सिर्फ अवैध घुसपैठ और संथाल परगना में डेमोग्राफी में बदलाव का मुद्दा उठाया जो नतीजों में उसके पक्ष में नहीं दिखा.

(PTI file image)

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