झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे देखे तो इस बार महिलाओं विधायकों ने बड़ा इतिहास रच दिया है. दरअसल इस बार झारखंड में 12 सीटों पर महिला विधायक चुनाव जीत कर आई हैं. ऐसे में झारखंड विधानसभा में पहली बार 12 महिला विधायक नजर आएंगी.
24 साल पहले झारखंड के गठन के बाद से राज्य की हर विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. साल 2000 में यहां तीन महिला विधायक थीं, जबकि 2005 में यह संख्या बढ़कर 8 और 2014 में 9 हो गई. 2019 में विधानसभा में 10 महिला विधायक थीं.
इस बार निर्वाचित 12 में से सबसे ज्यादा पांच महिला विधायक कांग्रेस के टिकट पर आई हैं, जबकि चार भाजपा के टिकट पर हैं. बाकी तीन महिला विधायक झामुमो की हैं.
पहली बार विधायक बनने वाली महिलाओं में श्वेता सिंह, निशात आलम, पूर्णिमा दास साहू, मंजू कुमारी, रागिनी सिंह शामिल हैं. जबकि कल्पना सोरेन, नीरा यादव, सविता महतो, शिल्पी नेहा तिर्की, लुईस मरांडी, दीपिका पांडेय और ममता देवी पहले ही अपनी योग्यता साबित कर चुकी हैं.
इन 12 महिलाओं में कांग्रेस की निसात आलम को पाकुड़ सीट पर सबसे ज्यादा 86 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत का श्रेय जाता है. उन्होंने आजसू के अजहर इस्लाम को 86,029 वोटों से हराया.
टेंडर घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की पत्नी निसात आलम ने अपने पति की सीट पर पहली बार चुनाव लड़ा.
वहीं कांग्रेस नेता समरेश सिंह की बहू श्वेता सिंह भी बोकारो से भाजपा के बिरंची नारायण को 7,207 मतों से हराकर निर्वाचित हुईं.
महिला विधायकों में सबसे प्रमुख चेहरा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन हैं, जिन्होंने भाजपा की मुनिया देवी को 17,142 मतों के अंतर से हराकर लगातार दूसरी बार झारखंड विधानसभा में जगह बनाई.
पूर्व मंत्री दीपिका पांडे सिंह ने भाजपा के अशोक कुमार को 18,645 मतों के अंतर से हराकर महगामा विधानसभा क्षेत्र से फिर से जीत हासिल की है. विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा द्वारा टिकट न दिए जाने के बाद झामुमो में शामिल हुईं पूर्व भाजपा मंत्री लुइस मरांडी ने जामा सीट पर भाजपा उम्मीदवार सुरेश मुर्मू को 5738 वोटों के अंतर से हराया.
इसी तरह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाली शिल्पी नेहा तिर्की दूसरी बार मरदर सीट से निर्वाचित हुई हैं.
महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत बढ़ा
जैसा कि इस बार झारखंड विधानसभा में पहली बार 12 महिला विधायक नजर आएंगी. उसी तरह इस बार चुनाव में पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया.
झारखंड के कुल 81 में से 68 सीटों पर महिला मतदाताओं ने पुरुषों के मुकाबले ज्यादा मतदान किया है.
झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में कुल 67.74% कुल मतदान हुए हैं. पहले चरण में 43 में से 37 सीटों पर महिला मतदाताओं का वोटिंग प्रतिशत ज्यादा रहा. वहीं दूसरे चरण की 38 में से 31 सीटों पर पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं ने ज्यादा मतदान किया है. दोनों चरण में पुरुषों की अपेक्षा 5,51,797 से ज्यादा महिलाओं ने मतदान किया है.
राजनीति में महिलाओं की भागीदारी
पिछले कुछ सालों में चुनावों में महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ी है. कई राज्यों के चुनावों में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर वोटिंग में हिस्सा लिया. कई सरकारों को बनाने और गिराने में महिलाओं का बड़ा हाथ रहा है. लेकिन यही महिलाएं राजनीति में अब भी काफी पीछे हैं.
अभी लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं का बहुत ज्यादा प्रतिनिधित्व नहीं है. इस साल हुए लोकसभा चुनाव में सिर्फ 74 महिलाएं ही जीत सकीं. जबकि साल 2019 में 78 महिलाओं ने चुनाव जीता था.
राज्यसभा में सिर्फ 31 महिला सांसद हैं. इस तरह से लोकसभा में 14 फीसदी और राज्यसभा में 13 फीसदी से भी कम महिला सांसद हैं.
विधानसभाओं में भी यही हाल हैं. 31 राज्यों की विधानसभाओं में से सिर्फ छत्तीसगढ़ विधानसभा ही ऐसी है, जहां 20 फीसदी से ज्यादा महिला विधायक हैं. छत्तीसगढ़ में 19 महिला विधायक हैं.
आंकड़े बताते हैं देश की 18 विधानसभाएं ऐसी हैं, जहां 10 फीसदी से कम महिला विधायक हैं.
जिन विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 फीसदी से अधिक है. उनमें बिहार (11%), छत्तीसगढ़ (21%), हरियाणा (14%), झारखंड (15%), पंजाब (11%), उत्तराखंड (11%), उत्तर प्रदेश (12%), पश्चिम बंगाल (14%) और दिल्ली (12%) है.
गुजरात विधानसभा में 8 फीसदी महिला विधायक हैं जबकि हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सिर्फ एक ही महिला विधायक है.
राजनीति में महिलाओं को प्रतिनिधत्व देने के मामले में भारत अपने पड़ोसियों पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी पीछे है. दुनिया की सभी सांसदों में सिर्फ 25 फीसदी ही महिलाएं हैं. रवांडा, क्यूबा, बोलीविया और यूएई ही ऐसे देश हैं, जहां 50 फीसदी से ज्यादा महिला सांसद हैं.