HomeElections 2024तेलंगाना की आदिलाबाद सीट की खासियत और इतिहास क्या है?

तेलंगाना की आदिलाबाद सीट की खासियत और इतिहास क्या है?

तेलंगाना की आदिलाबाद सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. यहां 13 मई को चौथे चरण में मतदान होने वाला है. 1970 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आदिलाबाद से चुनाव लड़ने की योजना बनाई थी. आइए आदिलाबाद लोकसभा क्षेत्र की खासियत और इतिहास के बारे में विस्तार से जानते हैं.

तेलंगाना की आदिलाबद सीट पर सालों से आदिवासियों का ही दबदबा रहा है. इसलिए इस सीट से लड़ने वाली तीन मुख्य पार्टियों ने अपना उम्मीदवार भी आदिवासी समुदाय से चुना है.

तेलंगाना में 17 लोकसभा सीटे हैं, इनमें से दो सीटें – आदिलाबाद और महबूबाबाद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं.

आदिलाबाद सीट पर बीजेपी, बीआरएस और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है. बीजेपी ने गोदाम नागेश, बीआरएस ने अत्रम सक्कु और कांग्रेस ने अत्रम सुगुना को उम्मीदवार के रूप में खड़ा किया है.

बीजेपी के उम्मीदवार गोदाम नागेश को राजनीति का काफी अनुभव है. यह आंध्र प्रदेश से मंत्री रहे चुके हैं और बीआरएस के सांसद भी रहे हैं. अब इन्होंने बीआरएस की सदस्यता छोड़ बीजेपी का हाथ थाम लिया है.

वहीं बीआरएस के दावेदार अत्रम सक्कु आसिफाबाद से दो बार विधायक रहे चुके हैं. इस बार वे बीआरएस की तरफ से लोकसभा चुनाव में उतरे हैं.

इसके अलावा कांग्रेस की उम्मीदवार अत्रम सुगुना राजनीति में एक नया चेहरा हैं. वे पहले शिक्षक और समाज सेविका थी.
कांग्रेस की उम्मीदवार अत्रम आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ती हैं. वे अपने समाजिक कार्यो की वज़ह से आदिवासी इलाकों में जानी जाती हैं.

आदिलाबाद में ट्राइबल यूनिवर्सिटी और बेरोज़गारी आदिवासियों के लिए अहम मुद्दा है. यहां रहने वाले आदिवासी बताते हैं कि आदिलाबाद में बेहद कम उद्योग हैं जिसकी वजह से रोज़गार की भारी कमी है.

इसलिए यहां पर रहने वाले आदिवासी और अन्य ग्रामीण गल्फ (दुबई और अरब जैसे देशों) में पालयन करने पर मजबूर हो जाते हैं. इनमें से ज्यादातर लोग पढ़े-लिखे नहीं होते हैं.

इसके अलावा आदिलाबाद में रहने वाले जो लोग आगे पढ़ना भी चाहते हैं, उनके लिए इस क्षेत्र में एक भी विश्वविद्यालय मौजूद नहीं है.

आदिवासियों को यह उम्मीद है कि क्षेत्र का नया सांसद एक विश्वविद्यालय की स्थापना जरूर करेगा. पहले यहां एपी पुनर्गठन अधिनियम के तहत ट्राइबल विश्वविद्यालय बनाया जा रहा था, लेकिन बाद में इसे मुलुगु ज़िले में स्थानांतरित कर दिया गया.

उस समय यहां बीआरएस की सरकार थी और छात्र नेताओं ने विश्वविद्यालय स्थानांतरित का विरोध किया था. आदिवासियों का आरोप है कि विरोध करने वाले नेताओं के खिलाफ बीआरएस सरकार ने केस दर्ज किया.

इसके अलावा तेलंगाना के आदिलाबाद के विकास कार्य भी थमे हुए हैं. मसलन सिमेंट फैक्टरी की फिर से शुरूआत, आदिलाबाद से आरमूर तक रेलवे स्टेशन बनना, ज़िले में एयरपोर्ट बनना भी अभी बाकी है.


आदिलाबाद सीट और इसका इतिहास

आदिलाबाद लोकसभा क्षेत्र का गठन 1952 में हुआ था. अब तक यहां लोकसभा के 18 चुनाव हो चुके हैं.
1952 में आदिलाबाद सीट को सोशलिस्ट पार्टी ने जीता था.

इसके अलावा कांग्रेस ने इस सीट को आठ बार, टीडीपी ने छह बार, बीआरएस ने दो बार जीती हैं. वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यह सीट हासिल की.

आदिलाबाद लोकसभा क्षेत्र में आदिलाबाद, बोथ, निर्मल, मुधोल, खानापुर, आसिफाबाद और सिरपुर विधानसभा क्षेत्र मौजूद हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में कुल 16,50,175 मतदाता हैं.

1970 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आदिलाबाद से चुनाव लड़ने की योजना बनाई थी. उन्होंने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा भी किया लेकिन बाद में उन्होंने मेदक से चुनाव लड़ने का फैसला किया.

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