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खेत मज़दूर की बेटी अस्टम उराँव की कप्तानी में भारतीय टीम आज फुटबॉल विश्वकप अभियान शुरू करेगी

अस्टम के ख़बरों में आने के बाद से उसके परिवार के साथ साथ उसके गाँव की तस्वीर भी बदल रही है. अस्टम के फुटबॉल टीम में शामिल होने के बाद ज़िला के अधिकार उनके परिवार से मिलने उसके गाँव पहुँचे. ज़िला अधिकारियों ने घोषणा की है कि अस्टम के नाम से गाँव में 2 करोड़ रूपये के ख़र्च से एक फुटबॉल स्टेडियम बनाया जाएगा.

आज भुवनेश्वर के कलिंग स्टेडियम में ऐतिहासिक मैच खेला जाएगा. इस मैच में भारतीय महिला फुटबॉल टीम फ़ीफ़ा अंडर-17 महिला विश्व कप 2022 के अपने ग्रुप A के शुरुआती मुकाबले में यूएसए से भिड़ेगी.

भारतीय महिला टीम ने मेज़बान होने के नाते टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई किया है और फ़ीफ़ा अंडर-17 महिला विश्व कप में हिस्सा लेगी.

आज के इस मैच का नतीजा जो भी हो लेकिन झारखंड के गुमला ज़िले के गोर्राटोली के लिए यह मैच हमेशा याद रखा जाएगा. क्योंकि आज के इस मैच में भारतीय टीम का नेतृत्व यहाँ की आदिवासी लड़की अस्टम उराँव कर रही हैं. 

अस्टम उराँव  फ़ीफ़ा अंडर-17 महिला विश्व कप 2022 में खेल रही भारतीय टीम की कप्तान बनाई गई हैं. अस्टम का नाम कुछ महीने पहले चर्चा में आया था जब उन्हें भारतीय सीनियर फुटबॉल टीम के लिए चुन लिया गया था.

जैसे कहा जाता है ‘सोने पर सुहागा’ अस्टम उराँव के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ है. पिछले सप्ताह उन्हें U17 टीम का कप्तान बना दिया गया. 

अस्टम का फुटबॉल टीम में शामिल होना बड़ी बात क्यों है

झारखंड का गुमला ज़िला माओवादी हिंसा से प्रभावित ज़िला रहा है. इसके अलावा अस्टम एक बेहद गरीब आदिवासी परिवार से हैं. उनके माता-पिता खेत मज़दूर हैं. इसके बावजूद अस्टम ने मेहनत और लगन से यह मुक़ाम हासिल किया है. 

अस्टम के ख़बरों में आने के बाद से उसके परिवार के साथ साथ उसके गाँव की तस्वीर भी बदल रही है. अस्टम के फुटबॉल टीम में शामिल होने के बाद ज़िला के अधिकार उनके परिवार से मिलने उसके गाँव पहुँचे. ज़िला अधिकारियों ने घोषणा की है कि अस्टम के नाम से गाँव में 2 करोड़ रूपये के ख़र्च से एक फुटबॉल स्टेडियम बनाया जाएगा.

गुमला के उपायुक्त सुशांत गौरव ने कहा कि प्रशासन ने स्टेडियम बनाने का फ़ैसला किया है. इस फ़ैसले से इस इलाक़े की अन्य लड़कियाँ भी अपनी खेलों की तरफ़ और आकर्षित होंगी और उन्हें सुविधाएँ भी उपलब्ध कराई जा सकेंगी. 

अस्टम की फुटबॉल टीम में शामिल होने का एक और फ़ायदा उसके गाँव को मिलेगा. अब इस गाँव तक बाक़ायदा पक्की सड़क बनाई जा रही है. 

अस्टम के परिवार में उनके पिता हीरालाला उराँव और माता तारादेवी के अलावा उनकी 4 बहने और 1 भाई है. 

अस्टम ने फुटबॉल के खेल में बचपन से ही मेहनत करनी शुरू कर दी थी. पहली बार 2016 में उन्हें हज़ारीबाग़ में राज्य स्तरीय ट्रेनिंग कैंप के लिये चुन लिया गया. हज़ारीबाग़ के कोचिंग सेन्टर में कोच सोनी कुमार अस्टम की इस उपलब्धि पर कहती हैं, “एक गाँव से आई गरीब आदिवासी परिवार की लड़की जिस मुक़ाम पर है वह कोई मामूली बात नहीं है. क्योंकि उसके पास कोई सुविधा नहीं थी. “

खेत-मजदूरी करने वाले माँ-बाप और कुल 6 बच्चे, इस परिवार को कभी कभी दो वक़्त के खाने का भी संकट झेलना पड़ जाता था. लेकिन उसके बावजूद अगर अस्टम आज भारत का नेतृत्व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कर रही हैं, तो यह बड़ी बात तो ज़रूर है. 

इस फ़ुटबॉल टूर्नामेंट में पहली बार सातवें संस्करण में भारतीय टीम प्रतिस्पर्धा करती नज़र आएगी. यूएसए के अलावा भारत 14 और 17 अक्टूबर को अपने ग्रुप मैचों में मोरक्को और ब्राज़ील से भी प्रतिस्पर्धा करेगी. भारतीय टीम अपने सभी ग्रुप मैच भुवनेश्वर के कलिंग स्टेडियम में खेलेगी. नाइजीरिया की पूर्व महिला फ़ुटबॉल टीम के कोच स्वीडन निवासी थॉमस डेन्नरबी हैं. 

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