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गुजरात: आंदोलन के अखाड़े में पहले चरण का मतदान

1 दिसंबर 2022 को गुजरात की 89 सीटों के लिए मतदान होगा. इस पहले चरण में यह मतदान हो रहा है उसमें कई ऐसे ज़िले हैं जहां आदिवासी आबादी रहती है. यह आदिवासी आबादी इन इलाक़ों में वोटर के तौर पर काफ़ी प्रभाव रखती है. इसके अलावा इस इलाक़े में कई आदिवासी आंदोलन भी हुए हैं. मसलन नर्मदा, पार, तापी नदी जोड़ परियोजना के ख़िलाफ़ यहाँ पर काफ़ी बड़ा आंदोलन हुआ था.

गुजरात के पहले चरण में जिन 89 सीटों पर चुनाव हो रह उनमें से कई सीटें आदिवासी बहुल इलाक़े में हैं. राज्य के पिछले चुनाव की बात करें तो इन 89 सीटों में से ज़्यादातर बीजेपी ने जीत ली थीं.

लेकिन 14 आदिवासी सीटों पर बीजेपी को कोई ख़ास सफलता नहीं मिली थी. 2017 के विधान सभा चुनाव में आदिवासियों के लिए आरक्षित कुल 27 सीटों में से कांग्रेस ने 15 सीटें जीती थीं. जबकि बीजेपी को सिर्फ़ 9 सीटें ही मिली थीं. भारतीय ट्राइबल पार्टी ने भी दो सीटें जीत ली थीं.

इस बार के विधान सभा चुनाव से पहले नर्मदा-पार-तापी नदी जोड़ परियोजना के ख़िलाफ़ आदिवासियों ने एक लंबी और सफल लड़ाई लड़ी है.

इस आंदोलन की वजह से सरकार को इस परियोजना को ठंडे बस्ते में डालना पड़ा. आदिवासियों का आंदोलन और आदिवासी मुद्दे पहले चरण के मतदान में कितनी भूमिका निभाएँगे? इस बातचीत में हमने यही जानने की कोशिश की है.

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