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आदिवासी की ज़मीन की रक्षा के क़ानून में छेड़छाड़ के प्रस्ताव का विरोध

आंध्र प्रदेश में आदिवासियों की ज़मीन की खरीद-बिक्री को नियंत्रित करने वाले क़ानून में संशोधन के प्रस्ताव से आदिवासी नाराज़ हैं. इस प्रस्ताव के विरोध में आदिवासी संगठनों ने 48 घंटे का बंद बुलाया है.

आंध्र प्रदेश के विभिन्न जनजातीय संगठनों और कुछ राजनीतिक दलों की संयुक्त कार्रवाई समिति (Joint Action Committee) ने 11 और 12 फरवरी को राज्य के कई जनजातीय क्षेत्रों में 48 घंटे के बंद की घोषणा की है.

हाल ही में आंध्र प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष अय्यन्ना पात्रुडु ने आदिवासियों की ज़मीन की रक्षा से जुड़े एक क़ानून में संशोधन का प्रस्ताव दिया था. विधान सभा अध्यक्ष संवभावित निवेशकों की एक बैठक को संबोधित कर रहे थे.

इस दौरान अपने भाषण में उन्होंने जनजातीय क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ाने के लिए निजी निवेश को आकर्षित करने की ज़रूरत ज़ाहिर की थी. इस क्रम में उन्होंने 1/70 अधिनियम में संशोधन का सुझाव दिया था.

क्या है 1/70 अधिनियम

1/70 अधिनियम को भूमि हस्तांतरण विनियमन अधिनियम 1970 के रूप में भी जाना जाता है. यह अधिनियम जनजातीय भूमि को गैर-जनजातीय लोगों को हस्तांतरित करने से रोकता है और जनजातीय समुदायों के हितों की रक्षा करता है.

संयुक्त कार्रवाई समिति नेताओं का मानना है कि अध्यक्ष अय्यन्ना पात्रुडु का यह सुझाव इस अधिनियम का उल्लंघन करेगा. उनका कहना है कि ऐसा करने से जनजातीय लोग अपनी आजीविका और अधिकारों को खो देंगे. 

आंध्र प्रदेश के स्पीकर अय्यन्ना पात्रुडु ने विशाखापटनम में क्षेत्रीय पर्यटन निवेशक बैठक के दौरान कहा कि विशाखापटनम में  पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. उन्होंने ख़ासतौर पर जनजातीय क्षेत्रों में पर्यटन पर ज़ोर दिया. 

उन्होंने तमिलनाडु के ऊटी का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां कई सुविधाएं हैं, लेकिन आंध्र प्रदेश के अलुरी सीतारमा राजू ज़िले के लामसिंगी में वैसी सुविधाएं नहीं हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यदि अराकू और लामसिंगी में रिसॉर्ट्स और आवासीय सुविधाओं में सुधार किया जाए तो अधिक पर्यटक इन स्थानों पर आएंगे.

इस बैठक के दौरान अय्यन्ना पात्रुडु ने यह भी कहा कि 1/70 अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता है, क्योंकि वर्तमान कानून के अनुसार केवल जनजातीय लोग ही जनजातीय क्षेत्रों में निवेश कर सकते हैं. 

उन्होंने कह कि इस अधिनियम के कारण कई निवेशक इन क्षेत्रों में निवेश करने से हिचकिचाते हैं. उनका मानना है कि अधिनियम में संशोधन से पर्यटन क्षेत्र में निवेश आकर्षित होगा और अराकू और लामसिंगी में विकास होगा.

आदिवासियों के संगठनों के नेताओं का तर्क है कि 1/70 अधिनियम जनजातीय लोगों की भूमि और अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया था. इसमें किसी भी प्रकार का संशोधन जनजातीय समुदायों के लिए हानिकारक हो सकता है.

वे मांग कर रहे हैं कि अध्यक्ष अय्यन्ना पात्रुडु अपने बयान के लिए माफी मांगें और 1/70 अधिनियम में किसी भी संशोधन के ख्याल को छोड़ दें.

जनजातीय समुदायों का मानना है कि यदि 1/70 अधिनियम में संशोधन किया जाता है तो बाहरी निवेशकों को जनजातीय क्षेत्रों में भूमि खरीदने और विकास परियोजनाओं को शुरू करने की अनुमति मिल जाएगी जिससे स्थानीय जनजातीय लोगों की आजीविका और सांस्कृतिक पहचान खतरे में पड़ सकती है.

वे इस बात पर ज़ोर देते हैं कि विकास के नाम पर उनके अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए और उनकी भूमि और संसाधनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए.

इस अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव से नाराज़ संयुक्त कार्रवाई समिति ने 48 घंटे का ‘मन्यम बंद’ रखा है.

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