HomeAdivasi Daily18 आदिवासी बँधुआ मज़दूरों को मुक्त कराए जाने का दावा

18 आदिवासी बँधुआ मज़दूरों को मुक्त कराए जाने का दावा

इन श्रमिकों द्वारा 27 दिन काम करने के बाद मजदूरी व खाने की व्यवस्था के संबंध में मांग की गई तो इनके साथ मारपीट की गई. इस घटना के बाद दमयंती मरावी द्वारा अपने गांव में खबर कर उन्हें छुड़ाने की गुहार लगाई गई थी.

मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के गाँव समनापुर बांदाटोला के 18 आदिवासियों को बँधुआ मज़दूरी से छुड़ाने की ख़बर मिली है. ख़बरों के अनुसार इन आदिवासियों को महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में बंधक बनाकर रखा गया था.

जिला प्रशासन की की तरफ़ से दावा किया गया है कि सभी 18 बंधक श्रमिकों को मुक्त करा लिया गया है. ये सभी मज़दूर बैगा आदिवासी समुदाय से हैं. बँधुआ मज़दूरी से बचाए गए ये सभी मज़दूर शनिवार को बालाघाट पहुंच गए थे. 

बालाघाट पहुंचने पर नांदेड़ में बंधक बनाकर रखे गए इन श्रमिकों का मध्यप्रदेश शासन के आयुष मंत्री रामकिशोर कावरे, मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन द्वारा सर्किट हाउस में स्वागत किया गया.

प्रशासन ने बताया है कि इस अवसर पर बंधक श्रम अधिनियम के तहत मुक्त 18 श्रमिकों को शासन की ओर से 20-20 हजार रुपये की राशि प्रदान की गई. सभी श्रमिकों का स्वास्थ्य परीक्षण कराने के बाद भोजन कराया गया और उन्हें उनके गांव बांदाटोला समनापुर के लिए बस से रवाना किया गया.

श्रमिकों को मुक्त कराने गए दल के सदस्य श्रम निरीक्षक सुनील यादव ने बताया कि ठेकेदार गणेश राठौर और गोविंद राठौर इन मज़दूरों को काम कराने के वास्ते ले गया था. इन 18 बैगा आदिवासी को नागपुर और वर्धा के बीच काम कराने की बात कह कर 17 हजार रुपये दिया गया था.

इसके बाद ठेकेदार एक पिकअप वाहन से एक दिसंबर को इन आदिवासियों को महाराष्ट्र ले गया था.

लेकिन रास्ते में इन श्रमिकों को आठ हजार रुपये देकर नांदेड़ ले जाया गया था. नांदेड़ जिले चिंचोली गांव में इन लोगों से गन्नाा कटाई का काम कराया जा रहा था. इन श्रमिकों से दिन और रात में भी काम लिया जाता था. श्रमिकों के भोजन व ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी. 

इन श्रमिकों द्वारा 27 दिन काम करने के बाद मजदूरी व खाने की व्यवस्था के संबंध में मांग की गई तो इनके साथ मारपीट की गई. इस घटना के बाद दमयंती मरावी द्वारा अपने गांव में खबर कर उन्हें छुड़ाने की गुहार लगाई गई थी.

कलेक्टर डॉ गिरीश कुमार मिश्रा की पहल पर नांदेड जिला प्रशासन के सहयोग से इन श्रमिकों को बालाघाट का वापस लाया गया है. इनमें सात श्रमिक 18 से कम आयु के हैं।

इन श्रमिकों को ले जाने वाली ठेकेदार गणेश राठौर और गोविंद राठौर के विरुद्ध भारतीय दंड विधान, बाल श्रम अधिनियमए बंधक श्रम अधिनियम व एससी.एसटी एक्ट के अंतर्गत कुल 12 धाराओं में उस्मान नगर थाने में प्रकरण दर्ज किया गया है.

मौके पर गिरफ्तार किए गए गणेश राठौर से इन मज़दूरों के 27 दिन की 01 लाख रुपये की मजदूरी का भुगतान भी कराया गया है.

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