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मध्य प्रदेश: आदिवासी परिवार के 5 सदस्यों की हत्या की सीबीआई जांच की सिफारिश

कांग्रेस ने नेमावर की घटना को एक बड़ा मुद्दा बना दिया था और जून के अंत में सामने आने के ठीक बाद विरोध प्रदर्शन किया था. मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जीवित बचे परिवार से मिलने नेमावर गए थे.

मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा चर्चा में रहा नेमावर आदिवासी हत्याकांड मामले के छह महीने बाद शिवराज सरकार ने इस घटना की सीबीआई जांच की सिफारिश की है. इसे लेकर राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र लिखा है. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बुधवार को पुष्टि की कि राज्य सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी.

यह कदम नेमावर से भोपाल तक प्रस्तावित ‘न्याय मार्च’ से पहले आया है, जिसकी घोषणा एक युवा लड़की भारती कसदे ने की थी, जो परिवार की एकमात्र जीवीत सदस्य है. न्याय मार्च 1 से 6 जनवरी तक प्रस्तावित है.

इसी साल 29 जून को एक खेत की खुदाई के बाद आदिवासी परिवार के पांच सदस्यों के शव मिले थे. नेमावर के जिस खेत में पांच शव (1 महिला, 3 युवती और 1 युवक)  मिले थे वो लोग 13 मई से ही लापता थे. पुलिस लगातार इन लोगों को ढूंढ रही थी जिसके बाद मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने खेत से इनका शव बरामद किया था. पांचों शव को खेत में बने 10 फीट गहरे गड्ढे से बरामद किया गया था.

देवास के नेमावर में हुई इस घटना को लेकर सियासत भी चरम पर थी. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पीड़ित परिवार से मुलाकात कर घटना की सीबीआई जांच कराने की मांग की थी. पूरे मामले में स्थानीय पुलिस प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए 9 लोगों को आरोपी बनाया था. इनकी गिरफ्तारी की गई थी, लेकिन घटना से जुड़े कई अनसुलझे सवालों के जवाब तलाशने में पुलिस नाकाम साबित हुई. अब पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की अनुशंसा मुख्यमंत्री ने कर दी है.

कांग्रेस ने नेमावर की घटना को एक बड़ा मुद्दा बना दिया था और जून के अंत में सामने आने के ठीक बाद विरोध प्रदर्शन किया था. मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जीवित बचे परिवार से मिलने नेमावर गए थे.

वहीं पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा और युवा कांग्रेस प्रमुख विक्रांत भूरिया सहित कांग्रेस के दो सदस्यीय तथ्य खोज दल ने पाया कि राजनीतिक संरक्षण के कारण मुख्य आरोपी को पहले के आपराधिक मामलों में छोड़ दिया गया था और इस मामले के जांच में भी देरी हुई थी. परिवार को न्याय दिलाने की मांग को लेकर भीम आर्मी ने पश्चिमी मध्य प्रदेश में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन भी किया था.

वहीं राज्य सरकार के नेमावर आदिवासी हत्याकांड मामले की सीबीआई को जांच देने पर कांग्रेस ने कहा है कि देर से लिया गया फैसला. पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा है कि जघन्य अपराध के लिए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने तत्काल सीबीआई जांच कराने की मांग की थी लेकिन सरकार 6 महीने बाद जागी है.

दरअसल, ओबीसी आरक्षण और पंचायत चुनाव से ध्यान भटकाने की कोशिश है. बहरहाल अब अगर नेमावर आदिवासी हत्याकांड मामले की जांच सीबीआई करती है तो कई नए खुलासे होने की उम्मीद है.

बुधवार को सरकार के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा कि यह सच्चाई की जीत है और शायद अब परिवार को कुछ न्याय मिलेगा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस शुरू से ही परिवार को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करती रही है और सीबीआई जांच की मांग करती रही है लेकिन सरकार को फैसला लेने में सात महीने से ज्यादा का समय लग गया.

हालांकि सीबीआई जांच की सिफारिश करने के राज्य सरकार के फैसले को एक राजनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि पहले से ही ओबीसी कोटा के मुद्दे पर फंसी सत्तारूढ़ बीजेपी आदिवासी मुद्दे को एक बार फिर विपक्षी कांग्रेस को नहीं सौंपना चाहती है.

पिछले कुछ महीनों के दौरान बीजेपी सरकार ने आदिवासी मतदाताओं को लुभाने के लिए कई कदम उठाए हैं – आदिवासी नायकों के सम्मान में बड़े कार्यक्रम आयोजित करना, उनके नाम पर स्थानों और संस्थानों का नाम बदलना और समुदाय के लिए अन्य रियायतों की घोषणा करना.

दरअसल राज्य विधानसभा में आदिवासियों के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं और समुदाय 26 और सीटों पर चुनावों को प्रभावित करता है, दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों ने उन्हें लुभाने की कोशिश की है.

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