अफ्रीकी देश गैबॉन की राजधानी लिब्रेविल में कर्नाटक के 21 आदिवासी फंसे हैं. इनमें 9 लोग दावणगेरे ज़िले के चन्नागिरी तालुक के गोपनाल गांव से और 12 लोग शिवमोग्गा ज़िले के हक्कीपिक्की समुदाय से हैं.
इनमें 10 महिलाएं और 11 पुरुष शामिल हैं. इन्हें फर्ज़ी बिज़नेस वीज़ा पर यात्रा करने के कारण हिरासत में लिया गया है.
कैसे फंसे ये लोग?
हक्कीपिक्की समुदाय के ये लोग हर्बल तेल और आयुर्वेदिक उत्पादों का व्यापार करने के लिए गैबॉन गए थे.
यह समुदाय अफ्रीका में अपनी हर्बल दवाओं की बिक्री के लिए जाना जाता है. लेकिन इनके दस्तावेजों की जांच में पता चला कि इनका बिज़नेस वीज़ा नकली है.
इसके बाद उनके पासपोर्ट ज़ब्त कर लिए गए और उन्हें हिरासत में ले लिया गया.
एजेंट ने किया धोखा
इन लोगों ने पुलिस को बताया कि वे हर साल गैबॉन आते हैं और हमेशा सही वीज़ा पर यात्रा करते थे.
इस बार उन्होंने वीजा नवीनीकरण के लिए एक एजेंट से संपर्क किया. लेकिन एजेंट ने गलत तरीके से फर्जी वीजा दिला दिया.
एजेंट ने यह वीजा सरकार से अप्रूव नहीं करवाया. इसलिए यह अवैध साबित हुआ.
रिहाई के लिए मांगी गई रकम
गैबॉन प्रशासन ने शुरू में ₹2 लाख प्रति व्यक्ति जुर्माना मांगा. लेकिन बातचीत के बाद यह राशि ₹57,000 कर दी गई.
प्रशासन ने इन्हें भारत में अपने परिवार से संपर्क करने की अनुमति दी है ताकि वे रिहाई के लिए पैसे भेज सकें.
परिवारों की मदद और सरकार का दखल
हक्कीपिक्की समुदाय के राज्य अध्यक्ष पुनीत कुमार आर ने बताया कि परिवार और समाज के लोग रकम जुटाने की कोशिश कर रहे हैं.
दावणगेरे के ज़िला जनजातीय कल्याण अधिकारी नवीन सीएच ने कहा कि अधिकतर परिवारों ने जुर्माना भरने की तैयारी कर ली है. भारतीय दूतावास भी मामले पर नजर रखे हुए है और इन लोगों की सुरक्षित वापसी के लिए काम कर रहा है.
संभावना है कि अगर सब ठीक रहा तो ये सभी लोग शनिवार रात की फ्लाइट से भारत लौट आएंगे.