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कई वर्षों बाद भी 11 में से सिर्फ 3 जनजातीय संग्रहालय ही पूरे हुए: संसदीय पैनल

पैनल ने मंत्रालय से निर्माण कार्य में तेजी लाने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि नवंबर 2025 तक पूरा होने वाले चार संग्रहालयों और मई 2026 तक पूरा होने वाले एक संग्रहालय का निर्माण समय पर पूरा हो जाए.

एक संसदीय पैनल ने कहा है कि सरकार द्वारा आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में संग्रहालय स्थापित करने की घोषणा के पांच साल से अधिक समय बाद भी कई संग्रहालय अधूरे हैं और उनमें से तीन पर काम भी शुरू नहीं हुआ है.

हाल ही में लोकसभा में पेश की गई एक रिपोर्ट में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता संबंधी स्थायी समिति ने कहा कि केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने जनजातीय नेताओं के योगदान को मान्यता देने और जनजातीय समुदायों में गौरव की भावना पैदा करने के लिए 10 राज्यों में 11 ऐसे संग्रहालयों को समर्थन दिया है.

हालांकि, यह बताया गया कि अब तक तीन संग्रहालय का उद्घाटन किया जा चुका है. झारखंड के रांची में भगवान बिरसा मुंडा मेमोरियल स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय. मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में बादल भोई राज्य जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय और जबलपुर में राजा शंकर शाह और कुँवर रघुनाथ शाह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन किया जा चुका है.

समिति ने कहा, “समिति शेष 8 संग्रहालयों के निर्माण में धीमी प्रगति को रेखांकित करना चाहेगी. क्योंकि उन्हें 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में मंजूरी दी गई थी. जैसे कि आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, गुजरात और मिज़ोरम में जो अभी तक पूरा नहीं हुआ है.”

इसमें यह भी कहा गया है कि केरल के लिए साल 2017-18, मणिपुर के लिए 2018-19 में, गोवा के लिए 2020-21 में नियोजित संग्रहालय कई वर्षों के बीत जाने के बाद भी अभी भी डीपीआर चरण में हैं.

पैनल ने मंत्रालय से निर्माण कार्य में तेजी लाने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि नवंबर 2025 तक पूरा होने वाले चार संग्रहालयों और मई 2026 तक पूरा होने वाले एक संग्रहालय का निर्माण समय पर पूरा हो जाए.

इसके अलावा समिति ने कई एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) के किराये के भवनों में संचालित होने पर भी चिंता जताई.

केंद्र सरकार ने दूरदराज के आदिवासी इलाकों में कक्षा 6 से 12 तक आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने और उन्हें दूसरों के साथ समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद करने के लिए 728 ईएमआरएस बनाने का लक्ष्य रखा था.

साल 2025-26 के लिए ईएमआरएस योजना के लिए 7,088.60 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो मंत्रालय के कुल बजट का 47 प्रतिशत है.

पैनल ने पाया कि 2023-24 में 5,943 करोड़ रुपये और 2024-25 में 6,399 करोड़ रुपये के बजट में से केवल 2,471.81 करोड़ रुपये और 4,748.92 करोड़ रुपये (17 फरवरी, 2025 तक) का ही उपयोग किया गया है.

मंत्रालय ने कहा कि फंड के उपयोग में देरी स्कूल निर्माण, स्टाफ भर्ती, क्षमता निर्माण और डिजिटल लर्निंग सुविधाओं की स्थापना के लिए भूमि की कमी जैसे मुद्दों के कारण हुई.

समिति ने इन चुनौतियों के समाधान के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया ताकि आवंटित धनराशि का पूर्ण उपयोग हो सके और जनजातीय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो सके.

इसमें कहा गया है कि 477 फंक्शनल ईएमआरएस में से 341 के पास अपनी इमारतें हैं.

पैनल ने कहा कि सभी स्कूलों को किराए के या अन्य सरकारी भवनों के बजाय अपनी इमारतों से काम करना चाहिए क्योंकि इनमें उचित सुविधाओं का अभाव हो सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है, “क्योंकि मंत्रालय के पास अपना स्वयं का बुनियादी ढांचा स्थापित करने के लिए पर्याप्त धनराशि है. इसलिए समिति ने यह भी इच्छा व्यक्त की कि उन्हें अपने स्वयं के भवनों से कार्यात्मक बनाने के लिए एक व्यापक कार्य योजना तैयार की जानी चाहिए और प्रत्येक ईएमआरएस का निर्माण कार्य 2-3 वर्षों की निर्धारित अवधि में पूरा किया जाना चाहिए.”

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