मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) मामलों की जांच के लिए सीबीआई (CBI) ने बुधवार, 16 अगस्त को विभिन्न स्तर के 53 अधिकारियों को टीम में शामिल किया है. इस टीम में 29 महिला अधिकारी भी शामिल है.
राज्य में सीबीआई जांच के दायरे में आए शुरुआती 11 मामलों की तफ्तीश के लिए पुलिस उपनिरीक्षक यानी डीआईजी स्तर के तीन अधिकारियों सहित 53 अधिकारियों को सूची जारी कर दी गई है.
इसमें दो महिला डीआइजी रैंक के अधिकारी समेत 29 महिला अधिकारी/कर्मी भी शामिल हैं.
सीबीआई अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि तीन उप महानिरीक्षक रैंक के अधिकारी राज्य में हिंसा के मामलों की जांच के लिए अपनी-अपनी टीम का नेतृत्व करेंग.
इन अधिकारियों में महिला अधिकारी लवली कटियार (Lovely Katiyar) और निर्मला देवी (Nirmala Devi) शामिल हैं.
सभी अधिकारी ज्वाइंट डायरेक्टर घनश्याम उपाध्याय (Ghanshyam Upadhyay) को रिपोर्ट करेंगे जो विभिन्न मामलों में जांच की निगरानी करेंगे.
मणिपुर में भड़की हिंसा और महिलाओं के साथ हुए अमानवीय अपराधों के सिलसिले में दर्ज 6500 से अधिक FIR में से 11 अति संवेदनशील मामलों को जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा गया है.
केंद्र और मणिपुर सरकार ने इन मामलों को मणिपुर पुलिस (Manipur police) से लेकर सीबीआई को सौंपने की बात सुप्रीम कोर्ट में मान ली थी.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि आमतौर पर जब इतनी बड़ी संख्या में मामले सीबीआई को सौंपे जाते हैं तो एजेंसी मैन पावर उपलब्ध कराने के लिए संबंधित राज्य पर भी निर्भर करती है.
लेकिन मणिपुर के मामले में वे जांच में पक्षपात के किसी भी आरोप से बचने के लिए स्थानीय अधिकारियों की भूमिका को कम करने की कोशिश कर रहे हैं.
पीएम ने की शांति की अपील
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले पर ध्वाजारोहण के बाद लाल मणिपुर का जिक्र करते हुए कहा, ‘पिछले दिनों में मणिपुर में हिंसा का दौर चला. मां बेटियों के सम्मान से खिलवाड़ हुआ लेकिन आज वहां स्थिति सामान्य हो रही. शांति लौट रही. केंद्र और राज्य सरकार शांति बहाली के लिए काम कर रही हैं. देश मणिपुर के लोगों के साथ है.’
उन्होंने आगे कहा कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर समस्याओं के समाधान के लिए भरपूर प्रयास कर रही है और करती रहेगी. जब हम इतिहास पर नजर डालते हैं तो कुछ पल ऐसे आते हैं, जो अपनी अमिट छाप छोड़ जाते हैं. इसका प्रभाव सदियों तक रहता है.
पीएम मोदी ने कहा कि शुरुआत में यह घटना छोटी लगती है. लेकिन वह आने वाले समस्याओं की जड़ बन जाती है. हजार बारह सौ साल पहले इस देश पर आक्रमण हुआ. लेकिन तब पता तक नहीं था कि एक घटना देश पर ऐसा प्रभाव डालेगी हम गुलामी में जकड़ते गए. जिसका मन चाहा हम पर आकर सवार हो गया.
3 मई को भड़की थी हिंसा
मणिपुर में तीन मई को राज्य में पहली बार जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 160 से अधिक लोग मारे गए हैं और कई सौ लोग घायल हुए हैं. बहुसंख्यक मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किये जाने के दौरान यह हिंसा भड़की थी.
मणिपुर की कुल आबादी में मैतेई समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. जबकि आदिवासी नगा और कुकी समुदाय के लोगों की संख्या 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
(Image credit: AFP)