HomeAdivasi Daily2025 तक देश की आधी आदिवासी आबादी आदर्श गाँवों में होगी ?

2025 तक देश की आधी आदिवासी आबादी आदर्श गाँवों में होगी ?

नरेन्द्र मोदी सरकार ने एक और योजना का नाम बदल दिया है. यह योजना आदिवासी भारत के लिए है. सरकार ने दावा किया है कि साल 2025 तक देश की आधी आदिवासी आबादी आदर्श गांवों में रह रही होगी. यानि उनके गांवों में सभी सुविधाएं मौजूद होंगी.

केंद्र की बीजेपी सरकार ने एक और योजना का नाम बदल दिया है. अब आदिवासी इलाकों के लिए विशेष केंद्रीय सहायता (special central assistance to tribal sub scheme) को प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (PMAAGY) के नाम से जाना जाएगा.

जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री (MoS) रेणुका सिंह ने सोमवार को लोकसभा को बताया कि केंद्रीय जनजातीय मामलों का मंत्रालय अब देश भर में कम से कम आधी आदिवासी आबादी के गांवों को आदर्श गांव के तौर पर विकसित करेगी.

उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत अलग अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ऐसे गांव जिनकी 50 प्रतिशत आबादी आदिवासी समुदाय की है या फिर जिन गांवों में कम से कम 500 आदिवासी रहते हैं, उन्हें इस योजना के तहत कवर किया जाएगा.

उन्होंने लोकसभा में दावा किया कि इस योजना के तहत देश भर में कम से कम 36 हज़ार 428 गांवों को आदर्जाश गांव बनाया जाएगा.

उन्होंने कहा कि ये प्रयास मौजूदा विशेष केंद्रीय सहायता जनजातीय उप-योजना (SCA से TSS) का हिस्सा थे, जिसे अब 2021-22 से 2025-26 तक लागू करने के लिए प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (PMAAGY) का नाम दिया गया है. रेणुका सिंह ने कहा कि यह परियोजना देश में 4.22 करोड़ आदिवासी लोगों को कवर करने के लिए है, जो भारत की कुल अनुसूचित जनजाति आबादी का लगभग 40 प्रतिशत है.

2021-22 और 2022-23 के दौरान गांवों की लक्ष्य संख्या में से कुल लगभग 16 हज़ार 554 गांवों को लिया गया है. सुश्री सिंह ने कहा कि राज्यों को 1 हज़ार 927 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई थी और अब तक 6 हज़ार 264 गांवों की ग्राम विकास योजनाएं स्वीकृत की जा चुकी हैं.

इस परियोजना में ग्राम विकास योजनाएं तैयार करना, इन गांवों में परिवारों और लोगों के बीच केंद्रीय और राज्य योजनाओं का अधिकतम कवरेज और स्वास्थ्य, शिक्षा, कनेक्टिविटी और आजीविका जैसे क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे में सुधार करना शामिल होगा.

रेणुका सिंह ने कहा कि यह योजना अब सड़क संपर्क, दूरसंचार संपर्क, स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्रों, स्वास्थ्य उप-केंद्रों, पेयजल सुविधाओं और जल निकासी में अंतराल को भरने पर ध्यान देगी. जिसके लिए हर एक गांव को 20.38 लाख रुपये आवंटित किए जाएंगे.

आदर्श ग्राम में स्वास्थ्य,शिक्षा और पोषण, आवास निर्माण, विद्युत सप्लाई, सड़क निर्माण, दूरसंचार और इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराई जाएंगी कृषि गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा कौशल और उद्यमिता के तहत बाजार उपलब्ध होंगे.

मोदी सरकार ने आते ही सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की थी और इसके तहत लाखों रुपए गांव के लिए फंडिंग हुई. लेकिन अभी भी सांसद अपने गांव को आदर्श नहीं बना सके. ऐसे में अब सवाल यह है कि क्या आदिवासियों के गांव आदर्श बन पाएंगे, क्या इन गांवों तक वह सारी सुविधाएं मुहैया हो जाएंगी जो कागजों में बताई गई हैं.

हाल ही में एक सरकारी कमेटी की रिपोर्ट ने ही यह बताया है कि देश भर में आदिवासी हाशिये पर जी रहे हैं. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ख़ास तौर से मध्य भारत के आदिवासियों की स्थिति काफ़ी ख़राब है.

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