तमिलनाडु के तिरुवल्लूर के कुछ आदिवासी अप्रैल में अपने जीवन का पहला मतदान करेंगे. 50 लोगों के इस समूह में 20 से 60 वर्ष के बीच के आदिवासी हैं. इन सबके लिए राज्य का आगामी विधानसभा चुनाव पहला मौक़ा होगा, जब वो अपना वोट डालेंगे.
तिरुवल्लूर तालुक के अधिगत्तूर गांव में इरुला, नरिकुरवा और अरुंधतियार आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं. इन सब को सिर्फ 10 दिनों में वोटर आईडी मिल गया.
यह संभव हो पाया है तिरुवल्लुर के राजस्व विभाग की अधिकारी एन प्रीति पार्कावी की वजह से जिन्होंने वोटर आईडी मिलने के प्रोसेस को इन आदिवासियों के लिए फ़ास्टट्रैक किया. आम तौर पर, किसी भी नए आवेदक को EPIC प्राप्त करने में तीन से छह महीने लगते हैं.
इन आदिवासियों के पास कोई सरकारी दस्तावेज़ (ID Proof) नहीं थे. इसलिए उनके लिए एक विशेष शिविर का आयोजन कर, उन्हें आधार कार्ड और राशन कार्ड भी बांटे गए.
अधिकारियों ने यह भी पाया कि इनमें से कई आदिवासी बुज़ुर्ग तो चुनाव और वोट डालने के अपने अधिकार के बारे में जानते तक नहीं थे. कुछ यह भी सोचते थे कि मतदाता पहचान पत्र (Voter ID Card) के लिए उन्हें एक बड़ी रकम ख़र्च करनी होगी.

अब इन आदिवासियों को उनके लोकतांत्रिक अधिकारों और चुनाव में भाग लेने के महत्व के बारे में शिक्षित किया जा रहा है.
नरिकुरवा समुदाय में से नया वोटर आई कार्ड पाने वालों में से कई बुज़ुर्ग शामिल हैं. दूसरी तरफ़ इन समुदायों के युवा भी कार्ड मिलने से बेहद उत्साहित हैं. इस साल अप्रैल में होने वाले चुनाव में वो अपने बुज़ुर्गों के साथ वोट डाल सकेंगे.
पीवीटीजी की श्रेणी में आने वाले इरुला समुदाय के 20 लोगों को भी वोटर आईडी कार्ड दिए गए हैं. इरुला एक आदिम जनजाति है, जिसके लिए सरकार अलग से फ़ंड खर्च करती है.
इन आदिवासियों का उस सरकार को चुनने में अभी तक कोई योगदान नहीं था, जो इनके लिए योजनाएं बनाती है. उम्मीद है आने वाले कई चुनावों में वो अपने प्रतिनिधि चुन सकेंगे.