मणिपुर विधानसभा का सत्र 10 फरवरी से शुरू होगा. राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 174 के खंड (1) को लागू करते हुए मणिपुर विधानसभा का सातवां सत्र बुलाया है.
सत्र सोमवार, 10 फरवरी, 2025 को इंफाल के विधानसभा हॉल में सुबह 11:00 बजे बुलाया जाएगा.
बुधवार को तामेंगलोंग जिले में हुई कैबिनेट बैठक में विधानसभा सत्र बुलाने का फैसला लिया गया. आगामी सत्र मार्च 2022 में गठित 12वीं मणिपुर विधानसभा का 7वां सत्र होगा.
इस विधानसभा सत्र से राज्य के अहम मुद्दों को संबोधित करने और समुदाय की मांगों के समाधान की तलाश करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में काम करने की उम्मीद है.
सत्र के दौरान सरकार का संचालन, विशेष रूप से बहिष्कार करने वाले विधायकों द्वारा उठाई गई शिकायतों के मद्देनजर, बारीकी से जांच के दायरे में होगा.
हिंसा ने मणिपुर के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने पर गहरा प्रभाव डाला है. इसलिए विधानसभा के विचार-विमर्श स्थिरता और सुलह की दिशा में महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित हो सकते हैं.
वहीं मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर विकास की घोषणा करते हुए कहा, “10 फरवरी, 2025 से बारहवीं मणिपुर विधानसभा के 7वें सत्र की शुरुआत होगी. इसके अतिरिक्त, मणिपुर काश्तकारी विधेयक, 2025 के मसौदे को भी मंजूरी दे दी गई है.”
बैठक के दौरान प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी 2.0 के कार्यान्वयन और इंफाल और थौबल के लिए व्यापक शहरी गतिशीलता योजना पर भी चर्चा की गई. जिसका उद्देश्य शहरी विकास और क्षेत्र में गतिशीलता को बढ़ाना है.
कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री, मंत्रिस्तरीय टीम के सदस्य, विधायक, वरिष्ठ अधिकारी और पुलिस कर्मियों ने हिस्सा लिया. जिसमें राज्य की प्राथमिकताओं और विधायी मामलों को संबोधित करने के लिए सरकार के प्रयासों को रेखांकित किया गया.
3 मई 2023 को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से सात भाजपा और दो कुकी पीपुल्स अलायंस विधायकों सहित दस आदिवासी विधायक विधानसभा सत्र का बहिष्कार कर रहे हैं और राज्य में आदिवासियों के लिए अलग प्रशासन या केंद्र शासित प्रदेश की मांग कर रहे हैं.
10 आदिवासी विधायकों में से दो मंत्री लेतपाओ हाओकिप और नेमचा किपगेन (एकमात्र महिला मंत्री) भी सुरक्षा कारणों से राज्य की राजधानी नहीं आ रहे हैं और कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं.
उनकी अनुपस्थिति के बावजूद सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा पार्टी के सात आदिवासी विधायकों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच टकराव में साल 2023 से दोनों समुदायों के 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और करीब एक लाख लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हो गए.
3 मई, 2023 से जारी जातीय हिंसा के 600 से ज़्यादा दिन बीत चुके हैं लेकिन अभी तक वहां के हालात नहीं बदले हैं.