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माओवादी प्रभावित इलाक़े में छात्राओं का यह हॉस्टल 6 साल से अधूरा पड़ा है

माओवाद से प्रभावित एक गाँव में नौजवानों से संगठन बना कर अपने इलाक़े में एक छात्रावास के मामले को उठाने का फ़ैसला किया है. यह छात्रावास पिछले 6 साल से निर्माणाधीन है.

कांकेर जिले के आदिवासी बहुल कोयलीबेड़ा इलाके के चारगांव में निर्माणाधीन आदिवासी बालिका छात्रावास का भवन अधूरा है. ग्रामीणों के मुताबिक पिछले 6 साल से यहां निर्माण कार्य बंद है.

यहाँ के लोगों का कहना है कि चारगांव माइंस और जिला प्रशासन के पास पर्याप्त पैसा होने के बावजूद भी आदिवासी छात्राओं की पढ़ाई लिखाई और रहने के लिए सर्व सुविधायुक्त भवन नहीं है. 

आदिवासी छात्र युवा संगठन ने अपनी पड़ताल में बताया कि   बीते छ: साल से आदिवासी छात्राओं के लिए नया भवन निर्माण किया जा रहा है. यह निर्माण कार्य 6 साल से ठप्प हो गया है. 

गाँव के लोगों का कहना है कि आदिवासी विकास विभाग और जिला प्रशासन के अलावा स्थानीय विधायक अनूप नाग को भी यहां की सुध लेने की फुर्सत नहीं है. 

इलाक़े के आदिवासी नौजवानों के संगठन ने अपने इलाक़े के स्कूलों की हालत का जायज़ा लिया है

यह इलाक़ा माओवाद प्रभावित है और यहाँ पर विकास के दावे कागजों पर दम तोड़ रहें हैं. गांव वालों का यह भी कहना है कि चारगांव में एक आदिवासी बालिका छात्रावास है.  इस छात्रावास में छात्राओं को पीने के पानी की समस्या से छात्राओं को जूझना पड़ रहा है. 

यहाँ गाँव वालों का कहना है कि 50 सीट वाले इस छात्रावास में 21 बेड उपलब्ध है.  लेकिन यहाँ पर किसी तरह से  33 छात्राओं को सोना पड़ता है. इस तरह से इन लड़कियों के सोने के लिए बेड कम पड़ गया है. 

एक ही बेड पर दो छात्राओं को सोकर रात बिताना पड़ रहा है. उन्होंने बोर खनन की मांग की है, क्योंकि हैंडपंप गर्मी के दिनों में खराब ही रहता है. 

छात्राओं के लिए  खेल का मैदान और खेल का सामान नहीं है.इसके अलावा रात को बिजली नहीं रहती है जिससे आदीवासी छात्राओ को पढ़ाई लिखाई करने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.

इन हालातों में आदिवासी लड़कियों की पढ़ाई लिखाई बुरी तरह से प्रभावित हो रही है. नागरिक जीवन की सुविधाओं के बगैर यहां बच्चे अपना भविष्य गढ़ने मेहनत कर रहें हैं. 

यहाँ के नौजवानों से हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि जरूरत इस बात की है कि आदिवासियों की बेहतरी के लिए काम करने का दावा करने वाला आदिवासी विकास विभाग और स्थानीय प्रशासन के साथ जनप्रतिनिधि भी अपनी जिम्मेदारी निभाये और छात्रावासों की हालत देखें.

हॉस्टल में व्यवस्था दुरुस्त करने आदिवासी छात्र युवा संगठन कर रहा प्रयास

कोयलीबेड़ा के इस गांव में स्थानीय आदिवासी छात्र छात्राओं ने एक संगठन बनाया है. इसका नाम है आदिवासी छात्र युवा संगठन रखा गया है. इसके अध्यक्ष राजेश नुरूटी, भुवनेश्वरी नवगो, पिंकी कमेटी, सनोति मंडावी, सोमा नुरूटी, निखिलेश नाग, लक्षमण मंडावी, महेश दर्रो, सुमित्रा नवगो ,अजय कुमेटी, महीमा जमुनासागर ने दौरा कर छात्राओं से बातचीत की. 

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