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आंध्रप्रदेश: गर्भवती आदिवासी महिला को 9 किलोमीटर तक डोली में ले जाया गया

आंध्रप्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले में एक गर्भवती आदिवासी महिला को अस्पताल पहुँचाने के लिए 9 किलोमीटर का सफ़र डोली में करना पड़ा तय.

सोमवार को आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले की एक आदिवासी गर्भवती महिला को 9 किलोमीटर तक डोली में ले जाना पड़ा.

दरअसल, जिले के अनंतगिरी मंडल के रोमपल्ली पंचायत के बुरिगा गांव में सड़क न होने के कारण एंबुलेंस उनके गांव तक नहीं पहुंच पाई, जिसके कारण गर्भवती महिला को 9 किलोमीटर तक डोली में ले जाना पड़ा.

बुरिगा में रहने वाले बोंजुबाबू की 20 वर्षीय पत्नी बी. कोथम्मा को सोमवार को सुबह करीब 3 बजे प्रसव पीड़ा शुरु हुई थी. एम्बुलेंस के लिए फोन करने पर उसके परिवार वालों को कहा गया कि उन्हें गर्भवती महिला को एनआर पुरम पंचायत के रायपाडु रोड पर लाना होगा.

क्योंकि उस समय वहां बहुत तेज़ बारिश हो रही थी तो उनके परिवार ने निश्चय किया कि जब सुबह होगी तब वे उसे अस्पताल ले जाएंगे. सुबह होने पर परिवार ने एक ड़ोली का इंतज़ाम किया और उसे एंबुलेंस तक ले जाया गया.

डोली में 9 किलोमीटर का लंबा सफ़र करने के बाद करीब 11:30 बजे वह रायापाडु पहुंची. रायापाडु से कोथम्मा को एम्बुलेंस में बैठाया गया और विजयनगरम जिले के एस. कोटा में स्थित क्षेत्रीय अस्पताल ले जाकर उसे वहां भर्ती करवाया गया.

इस बीच, बुरिगा गांव में रहने वाले बी. सन्यासी राव और कोनापर्थी सिम्हाचलम ने आरोप लगाया कि 2022 में सड़क निर्माण के लिए विभिन्न स्तरों पर धनराशि आवंटित की गई थी लेकिन ठेकेदारों ने अधिकारियों के साथ मिलकर इसका उपयोग अपने लाभ के लिए कर लिया और सड़क का काम बीच में ही अधूरा छोड़ दिया.

उन्होंने कलेक्टर और नई सरकार से अपील की कि वे इस मामले की जांच के लिए एक समिति गठित करें और उन्हें न्याय दिलवाने में उनकी मदद करे.

उनका कहना है कि इसमें अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत है जिसकी सज़ा उन्हें मिलनी चाहिए.
गाँव वाले लगातार इस इलाके में सड़क निर्माण की अपील कर रहे थे लेकिन उनकी मांग को हर बार अनसुना किया जा रहा है.

अधिकारियों से उम्मीद की राह देख रहे ग्रामीणों को आखिर में परेशान होकर खुद अपनी समस्या का हल निकालना पड़ा जिससे कम से कम बीमार लोगों को समय पर अस्पताल पहुँचाया जा सके.

ग्रामवासी बी. सन्यासी राव और कोनापर्थी सिम्हाचलम ने बताया कि हमें मजबूरन खुद विजयनगरम जिले के बुरिगा से वनीजा गांव तक कच्ची सड़क बनाने का फैसला लेना पड़ा.

यह इस तरह का पहला मामला नहीं है…देश के आदिवासी इलाकों में अक्सर सड़क के अभाव में लोगों को इस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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